Uttarakhand

नेक इरादा, पक्का वादा

देवभूमि उत्तराखण्ड भारत का पहला ऐसा राज्य है, जहां यूनिफाॅर्म सिविल कोड, नकल विरोधी कानून से लेकर कई ऐसे बड़े निर्णय लिए गए, जिसने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को राष्ट्रीय स्तर पर एक शक्तिशाली नेता के तौर पर स्थापित किया है। नगर निकाय चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव के नतीजों में भी उत्तराखण्ड की सभी सीटों पर भाजपा की जीत कहीं ना कहीं पुष्कर सिंह धामी के कुशल नेतृत्व के कारण हुई। राज्य में तीन साल का राजकाज धामी के कुशल नेतृत्व की कहानी कह रहा है। पिछले कुछ सालों में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच पुष्कर सिंह धामी प्रदेश में भाजपा के सबसे भरोसेमंद चेहरा बनकर उभरे हैं। साफ छवि, मृदुभाषी पुष्कर सिंह धामी ना सिर्फ पक्ष, बल्कि विपक्ष के नेताओं के बीच भी लोकप्रिय हैं। हालांकि प्रशासनिक और राजनीतिक रूप से कुछ ऐसे प्रकरण भी सामने आए हैं जिसमें धामी सरकार को बैकफुट पर भी जाना पड़ा है

‘हमारी सरकार ने पिछले तीन वर्षों से जहां एक ओर शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, खेल, पेयजल और हवाई कनेक्टिविटी सहित सभी प्रमुख क्षेत्रों का इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने की दिशा में कार्य किया है, वहीं प्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों से सम्बंधित 30 से अधिक नई नीतियां बनाकर उत्तराखण्ड के सर्वांगीण विकास का एक विस्तृत रोडमैप तैयार कर कई नई योजनाएं लागू की हैं। इसका परिणाम है कि हर क्षेत्र में उत्तराखण्ड की प्रगति साफ दिखाई दे रही है। अंत्योदय परिवारों को तीन गैस सिलेंडर प्रदान करना, प्रदेश की महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण, राज्य आंदोलनकारियों को दस फीसदी क्षैतिज आरक्षण, वृद्धावस्था पेंशन की सुविधा, सरकारी नौकरियों में खेल कोटे को पुनः प्रारम्भ करना, विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति प्रदान करना, 207 प्रकार की पैथेलाॅजिकल जांचों की निःशुल्क सुविधाओं को लागू किया गया। वर्ष 2023-24 के सतत् विकास के लक्ष्यों को हासिल करने के इंडेक्स में उत्तराखण्ड को मिले पहले स्थान के साथ ही ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में एचीवर्स तथा स्टार्टअप रैंकिंग में लीडर्स की श्रेणी के साथ ही बेरोजगारी दर में रिकाॅर्ड कमी की गई। प्रदेश की बेरोजगारी दर में रिकाॅर्ड 4.4 प्रतिशत की कमी लाकर उत्तराखण्ड ने राष्ट्रीय औसत को भी पीछे छोड़ दिया है। हमारे सतत् आर्थिक सुधारों का ही ये परिणाम है कि 2023-24 की तुलना में इस वर्ष राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में 13.59 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। इतना ही नहीं प्रति व्यक्ति आय में हमने 11.33 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कर राष्ट्रीय औसत को भी पीछे छोड़ दिया है। जी-20 बैठकों, ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट और राष्ट्रीय खेलों के आयोजन की भी चर्चा की। देवभूमि से समान नागरिक संहिता की पवित्र गंगा प्रवाहित होने से पूरे देश में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार हुआ है। नकल विरोधी कानून के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। दंगा और धर्मांतरण विरोधी कानूनों का भी पदार्पण हुआ। भू-कानून इससे देवभूमि की इस पुण्य धरा को भू-माफियाओं से बचाया जा सकेगा। हमने जनता से जो वायदे किए, उन्हें पूरा किया। अब तक हम 2022 में जारी अपने दृष्टि पत्र के करीब 70 प्रतिशत से अधिक वादों को धरातल पर उतारने में सफल रहे हैं। अन्य वादे भी जल्द पूरे कर लिए जाएंगे।’

 

23 मार्च को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जब अपने कार्यकाल के तीन साल पूरे किए तो उन्होंने उक्त उपलब्धियों का ब्योरा जनता के सामने पेश किया। सूबे के सभी जिलों में वे अपनी सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने के लिए रैलियां कर रहे हैं। एक तरह से कहा जाए तो जनता के द्वार पर सरकार जश्न मना रही है। फिलहाल नेक इरादे के साथ आगे बढ़ रही धामी सरकार ने अपने 70 प्रतिशत वादे पूरे कर कर जनता के दिल में विश्वास जगाया है।

राज्य की भाजपा सरकार के 3 वर्ष में भाजपा का पिछला कार्यकाल जोड़ें तो 8 वर्ष हो जाते हैं। इन आठ वर्षों के दौरान हर वर्ग की जन भावनाओं और जन आकांक्षाओं के साथ खिलवाड़ हुआ है। किसान, युवा, महिला, व्यापारी, वृद्धजनों के साथ भाजपा ने धोखा किया। इन वर्षों में भाजपा की कथनी और करनी में गम्भीर अंतर रहा। प्रचार से जनता के असली सवालों से बचने का प्रयास किया गया। बढ़ती बेरोजगारी, पलायन असली मुद्दा है। पलायन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार करीब 6 दर्जन गांव भुतहा (घोस्ट विलेज) हैं। आज बेबसी का पलायन गम्भीर समस्या बन गई है। राज्य के विकास में भी जबरदस्त असंतुलन दिखाई दे रहा है। इनके प्रस्तावित बजट और जो क्रियान्वित हो रहा है, उसमें गम्भीर अंतर है। जबकि कांग्रेस ने हमेशा जिला योजनाओं को महत्व दिया। मनरेगा के अंदर प्राप्त धनराशि से लेकर सेंटर स्पाॅन्सर योजनाओं की स्थिति भी चिंताजनक है। सिर्फ प्रचार के माध्यम से विफलताओं को ढकने की कोशिश की गई है। राज्य के पास विकास का कोई रोड मैप नहीं है। 2016 में सड़कों पर जितने डेंजर प्वाइंट थे, उनकी संख्या बढ़कर आज तिगुनी हो गई है। यही कारण है कि रोड एक्सीडेंट हो रहे हैं। पीएमजीएसवाई की सड़कों का कोई क्राइटेरिया नहीं है। ठेकेदार मनमाने तरीके से काम कर रहे हैं। राज्य की अधिकतर सड़कें पूरी तरह से गड्ढायुक्त हो गई हैं। जबकि सड़कें आईना होती हैं लेकिन सरकार इसमें भी फेल साबित हुई है। इसके साथ ही कैपिटल इनकम कम हुई है जो भाजपा के दावों की पोल खोलती है। सरकार का धामी एडिशन झूठ के गर्भ से पैदा हुआ है। इससे पूर्व त्रिवेंद्र एडिशन भी झूठ के गर्भ से पैदा हुआ था। यह सनातन के भी नहीं हैं। सनातन में परिवार को एक संस्था माना गया है। लेकिन इन्होंने लिव इन के जरिए उस संस्कृति पर भी हमला किया है। इसका परिणाम जनता को भुगतना पड़ रहा है। इनकी राजनीति केवल घृणा द्वेष पर आधारित होती है। लोगों के अंदर घृणा पैदा करके द्वेष पैदा किया जा रहा है। लेकिन कांग्रेस के पास सशक्त यूनाइटेड अपोजिशन की क्षमता है। जब भी कांग्रेस को उत्तराखण्ड की जनता ने मौका दिया कांग्रेस ने माइलस्टोन बनकर काम किया। लोग अब झूठ और फरेब के गर्भ से पैदा हुई भाजपा को नकारेंगे।

हरीश रावत, पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड

साल 2022 में जब विधानसभा चुनाव हुए तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपनी विधानसभा खटीमा से चुनाव हार गए थे। हालांकि मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में भाजपा ने उत्तराखण्ड में पूर्ण बहुमत हासिल किया और लगातार दूसरी बार सरकार न बना पाने का मिथक तोड़ा। इस दौरान धामी के चुनाव हारने से मुख्यमंत्री पद के लिए फिर चेहरे पर चर्चाएं शुरू हुई लेकिन आलाकमान ने उनपर विश्वास जताते हुए दुबारा प्रदेश की कमान सौंपी। 23 मार्च 2022 को 8 मंत्रियों के साथ पुष्कर सिंह धामी ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके बाद जून 2022 में हुए उपचुनाव में धामी ने चंपावत सीट जीत ली। इसके बाद मुख्यमंत्री ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

तीन साल के दौरान लिए गए कई अहम फैसलों से मुख्यमंत्री धामी ने देश भर में धमक बना डाली। इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण और सख्त फैसले लिए हैं। जिनमंे समान नागरिक संहिता के साथ ही नकल विरोधी कानून, लैंड जिहाद, धर्मांतरण विरोधी, दंगारोधी कानून प्रमुख हैं। जिसके बाद से उत्तराखण्ड के फैसलों का कई राज्य अनुकरण कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह इन्हीं फैसलों की वजह से धामी की कई बार तारीफ कर चुके हैं। इन तीन सालों के कार्यकाल में सरकार की ओर से ताबड़-तोड़ बड़े-बड़े फैसले लिए गए।

उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा उत्तराखण्ड में जब समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू किया तो इसे न केवल उत्तराखण्ड, बल्कि पूरे भारत के लिए एक ऐतिहासिक कदम बताया गया। इस चलते उत्तराखण्ड देश का इकलौता ऐसा राज्य बना जहां पहली बार यूसीसी लागू किया गया। मुख्यमंत्री ने इसे समाज में समानता स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास बताते हुए कहा कि यह निर्णय संवैधानिक अधिकारों को सबके लिए समान रूप से लागू करने का प्रयास है।

 

भाजपा के शासनकाल में महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, दलित शोषित समाज और महिलाओं का उत्पीड़न हुआ है। उत्तराखण्ड को अब भ्रष्टाचार के माॅडल के रूप में जाना जाता है। 2017 में उत्तराखण्ड पर 35 हजार करोड़ का कर्ज था। लेकिन बीते 8 सालों में यह कर्ज बढ़कर 95 हजार करोड़ से ऊपर हो गया। सरकार को इसका जवाब देना होगा कि जो कर्ज प्रदेश की महान जनता पर थोपा गया उसमें जमीनी सतह पर क्या काम हुआ। इस वर्ष जो बजट पेश हुआ, उसका 45 फीसदी धनराशि राज्य सरकार खर्च नहीं कर पाई। आपदा प्रबंधन में 596 करोड़ का बजट है। लेकिन सरकार 29 फीसदी ही खर्च कर पाई। पर्यटन का 259 करोड़ बजट है लेकिन खर्च 30 फीसदी हुआ। वन विभाग के लिए 129 करोड़ बजट था। लेकिन बजट का 30 फीसदी ही खर्च हो पाया। हर साल जंगल और वनस्पतियां जल रही हैं। इससे आधुनिक उपकरण खरीदें जा सकते थे। लेकिन सरकार वृक्षारोपण में भी फिसड्डी साबित हुई है। इसी तरह समाज कल्याण विभाग में 158 करोड़ बजट की व्यवस्था थी। लेकिन 8.26 फीसदी ही खर्च किया गया। सबका साथ सबका विकास की बात करने वाली भाजपा ने इन तीन सालों में जल, जंगल, जमीन को बेचने का काम किया। नदियां खनन माफियाओं को सौंपी गई। वहीं वन विभाग और पुलिस मूकदर्शक बनी हुई हैं।

यशपाल आर्य, नेता प्रतिपक्ष, उत्तराखण्ड

प्रदेश में देश का सबसे कठोर नकल विरोधी कानून लागू किया गया। इस कानून के लागू होने के बाद पारदर्शिता के साथ समय पर परीक्षाएं सम्पन्न हो रही हैं। उत्तराखण्ड में जबरन धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए एक सख्त धर्मांतरण विरोधी कानून लागू किया गया। इसके बाद प्रदेश में जबरन या प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने या करने पर 10 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है।

प्रदेश में दंगारोधी कानून को कैबिनेट से मंजूरी मिली। इससे दंगाइयों पर कड़ी कार्रवाई करने के साथ ही दंगे में होने वाली सार्वजनिक सम्पत्ति के नुकसान की भरपाई भी दंगाइयों से ही की जाएगी। इसके लिए क्लेम ट्रिब्यूनल का गठन भी कर दिया गया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गत बजट सत्र में भू-कानून का संशोधन बिल लाकर उसे और सख्त बनाया। साथ ही उत्तराखण्ड में गैर कानूनी तरीके से भूमि खरीदने वालों पर भी कार्रवाई करने के निर्देश दिए। इसके अलावा हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर को छोड़कर प्रदेश के सभी जिलों में बाहरी राज्यों के लोगों पर कृषि और बागवानी की जमीन खरीदने पर प्रतिबंध लगाया है। हालांकि धामी सरकार के भू-कानून को जानकार उतना सख्त नहीं मानते हैं, जितने की मांग की जा रही थी। लैंड जिहाद पर कार्यवाही करके धामी ने देवभूमि उत्तराखण्ड में सुख, शांति और अमन- चैन का राज किया है। लैंड जिहाद के तहत की गई कार्यवाही के दौरान करीब 5 हजार एकड़ सरकारी भूमि को कब्जामुक्त कराया गया है।

धामी सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए सरकारी नौकरी में महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण लागू किया है। उम्मीद की जा रही है कि इससे महिला सशक्तिकरण को और अधिक बल मिलेगा। लम्बे समय से चली आ रही मांग को देखते हुए राज्य आंदोलनकारियों एवं उनके सभी आश्रित पात्रों के लिए 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने का निर्णय धामी सरकार द्वारा लिया गया। जिसकी काफी सराहना हो रही है।

नारी सशक्तिकरण योजना के अंतर्गत महिलाओं को प्रोजेक्ट काॅस्ट का 30 प्रतिशत या एक लाख रुपए की सब्सिडी प्रदान की जा रही है। महिला स्वयं सहायता समूहों को 5 लाख रूपए तक का ऋण बिना ब्याज के उपलब्ध कराया जा रहा है। इससे प्रदेश की महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं। महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने हेतु लखपति दीदी योजना के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों को 5 लाख तक का ऋण बिना ब्याज के दिया जा रहा है। वर्तमान में करीब 80 हजार महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से सलाना पांच से सात लाख कमाकर लखपति दीदी बनी हैं। सरकार ने इस साल तक 1.25 लाख महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य रखा है।

उत्तराखण्ड ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में विभिन्न देशों के उद्योगपतियों द्वारा 3.56 लाख करोड़ के 1,779 एमओयू हस्ताक्षरित हुए हैं। राज्य सरकार 20 फीसदी करार को धरातल पर उताकर अब तक 71 हजार करोड़ की परियोजनाओं की ग्राउंडिंग कर चुकी है।

ऊधमसिंह नगर में पुलिस की गोलाबारी में पंचायत प्रतिनिधि की मौत हो जाती है। भाजपा सरकार में खनन माफिया हावी हुआ है। भाजपा के पूर्व सीएम और सांसद त्रिवेंद्र रावत को संसद में मुद्दा उठाना पड़ा है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखण्ड 9 हिमालयी राज्यों में महिला अपराध के मामलों में पहले पायदान पर है। प्रदेश में 60 हजार से ज्यादा पद खाली पड़े हैं। जबकि 40 हजार ऐसे लोग हैं जो ठेकेदारों के तहत काम कर रहे हैं। उपनल वाले कर्मियों को कोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार नौकरी नहीं दे रही है। राज्य में हुए भर्ती घोटाले में भाजपा के नेता ही पकड़े गए। प्रदेश के एक मंत्री को सरकार बचाने में जुटी है। सरकार के पास कोरोना में हुई वेंटिलेटर और अन्य उपकरणों की खरीद का कोई रिकाॅर्ड नहीं है। चार धाम यात्रा में मृत्यु के आंकड़ों को भी छिपाया गया। जिस इन्वेस्टर समिट के नाम पर प्रदेश में करोड़ों रुपए खर्च किए गए उस इन्वेस्टर समिट का मुख्यमंत्री अपने 3 साल के कार्यकाल में जिक्र तक नहीं कर रहे हैं।

करण माहरा, प्रदेश अध्यक्ष उत्तराखण्ड कांग्रेस

उत्तराखण्ड के स्थानीय उत्पादों को बड़े स्तर पर पहचान दिलाने के उद्देश्य से ‘एक जनपद दो उत्पाद योजना’ की शुरुआत की गई। इस योजना के जरिए प्रत्येक जिले में स्थानीय उत्पादों को व्यावसायिक रूप से बढ़ावा मिल रहा है, उत्तराखण्ड के 27 उत्पादों को जीआई टैग भी मिल चुके हैं।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए होम स्टे योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत, पर्यटकों के ठहरने के लिए पहाड़ों में होम स्टे बनाने पर सरकार 10 लाख रुपये तक की छूट दे रही है। यह योजना पहाड़ों से पलायन रोकने और रोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही पर्यटन को बढ़ावा देने में काफी सफल साबित हो रही है।

राजनीति के मोर्चे पर भी मुख्यमंत्री धामी पीछे नहीं रहे। लोकसभा चुनावों में पार्टी की जीत में उनकी अहम भूमिका रही है। जीत सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने विशेष रणनीति बनाई। पार्टी के विधायकों और मंत्रियों को अपने चुनाव क्षेत्र में ही डटे रहने को कहा गया। राज्य की पांचों सीटों पर वर्ष 2014 से पार्टी काबिज थी। इस कब्जे को बरकरार रखना उनके लिए बड़ी चुनौती थी। मुख्यमंत्री धामी ने इस चुनौती को भी स्वीकार किया और राज्य के कोने-कोने में पहुंचकर कार्यकर्ताओं के साथ धुंआधार प्रचार कर पांचों सीटों से पार्टी को ऐतिहासिक जीत दिलाई।

उत्तरकाशी जिले में सिलक्यारा टनल में फंसे सभी श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालने में एक संवेदनशील मुख्यमंत्री होने का परिचय पूरे देश को दिया। 12 नवम्बर 2023 को इस सुरंग का एक हिस्सा ढहने से 41 मजदूर अंदर ही फंस गए थे। 400 घंटे चले कठिन और जोखिमभरे रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद 17वें दिन इन मजदूरों को बाहर निकाला जा सका। बचाव अभियान में राज्य और केंद्र सरकार की एजेंसियों, सुरक्षा संगठनों, सैनिक और अर्ध सैनिक बलों के जवान, विशेषज्ञ जुटे थे। सीएम धामी एक-एक श्रमिक की सुरक्षित वापसी के लिए अभियान पर लगातार नजर रखे रहे। यही नहीं, शासकीय कार्य करने के लिए उन्होंने मौके पर ही अपना कैंप कार्यालय स्थापित कर दिया। श्रमिकों का अस्पताल में मेडिकल परीक्षण कराने के बाद उन्हें उनके घर तक सुरक्षित पहुंचाने की व्यवस्थाएं भी धामी सरकार की ओर से की गई।

रोजगार मुख्यमंत्री धामी की प्राथमिकता में रहा है। सरकारी विभागों में नियुक्तियां देने का उन्होंने रिकाॅर्ड बनाया है। तीन साल के कार्यकाल में 14800 युवाओं को सरकारी नियुक्ति दी गई है। मुख्यमंत्री धामी ने सभी विभागों में खाली पड़े शत प्रतिशत पदों को भरने का संकल्प लिया है।

दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 3500 हेक्टेयर सरकारी भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया है। वन विभाग की भूमि पर कब्जा कर वहां अवैध तरीके से धार्मिक निर्माण किए गए थे। मुख्यमंत्री के निर्देश पर विशेष अभियान चलाकर इस अतिक्रमण को ध्वस्त कर दिया गया है।

उत्तराखण्ड गठन के 25 साल पूरे होने पर रजत जयंती वर्ष मनाया गया। इसी मौके पर उत्तराखण्ड को 38वें नेशनल गेम्स की मेजबानी मिली। इस आयोजन की न सिर्फ बाहरी राज्यों से आने वाले खिलाड़ियों ने तारीफ की, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भी सीएम धामी व उनकी टीम की पीठ थपथपा कर गए थे। 38वें नेशनल गेम्स का सफल आयोजन कराकर धामी सरकार ने एक बार फिर से पीएम मोदी का भरोसा जीता था।

तीन साल – तीन सौगात

तीन साल का कार्यकाल पूरा होने के मौके पर देहरादून के परेड ग्राउंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने छात्रों-युवाओं, उपनल और संविदा कर्मियों के लिए तीन महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों और स्नातक डिग्री प्राप्त युवाओं को राज्य सरकार आर्थिक सहायता देगी। एक समर्पित मंच के माध्यम से उनके रोजगारपरक कौशल को विकसित करने के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए, सरकार एक उच्चस्तरीय समिति का गठन करेगी। उपनल एवं संविदा कर्मियों को नियमित नियुक्ति के लिए शीघ्र ही एक ठोस नीति तैयार की जाएगी। इसके अलावा 10 करोड़ रुपये तक के सरकारी कार्य प्रदेश के स्थानीय
ठेकेदारों को ही दिए जाएंगे।

बैकफुट पर भी नजर आई धामी सरकार

सरकार जहां अपने तीन साल के कार्यकाल का जश्न मना रही है वहीं कुछ ऐसे मामले भी है, जो धामी सरकार के लिए बड़ी चुनौती के रूप में सामने आए। पहले मामले की बात करें तो भर्ती घोटाले को लेकर पूरे प्रदेश में युवाओं के अंदर जो आक्रोश पनपा था, उसने धामी सरकार की थोड़ी मुश्किलें जरूर बढ़ाई थी। यही कारण था कि आखिर में धामी सरकार को नकल विरोधी कानून लाना पड़ा था, वहीं क्राइम की बात करें तो सबसे पहले अंकिता हत्याकांड का नाम आता है। पौड़ी गढ़वाल जिले के यमकेश्वर ब्लाॅक में स्थित एक रिसोर्ट में काम करने वाली 22 साल की अंकिता भंडारी की हत्या की गई थी। ये रिजाॅर्ट तत्कालीन भाजपा नेता के बेटा का था। इस मामले में तत्कालीन भाजपा नेता का बेटा, रिजाॅर्ट का मैनेजर सहित तीनों लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जो फिलहाल भी जेल में ही बंद हैं। इस मामले में अभी कोर्ट की तरफ से कोई फैसला नहीं आया है। अंकिता हत्याकांड से न सिर्फ प्रदेश, बल्कि देश के कई राज्यों में भाजपा सरकार की किरकिरी हुई थी।

इसके अलावा दिल्ली में केदारनाथ के नाम से मंदिर का निर्माण कराया जाना भी विवादों में रहा। केदारनाथ मंदिर की आधारशिला रखने के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी शामिल हुए थे। चारधाम के तीर्थ-पुरोहित समेत कांग्रेस ने भी दिल्ली में केदारनाथ धाम के नाम से मंदिर बनने का विरोध किया। लोगों के विरोध को देखते हुए धामी सरकार को बड़ा फैसला लेना पड़ा और आदेश पारित कराया गया, जिसमें साफ किया गया कि यदि किसी ने भी उत्तराखण्ड के चार धाम के नाम से किसी मंदिर का निर्माण किया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

बजट सत्र के दौरान तत्कालीन मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के विवादित बयान ने भी भाजपा सरकार की जमकर फजीहत कराई। पहले जहां भाजपा के तमाम नेता प्रेमचंद अग्रवाल का बचाव करते नजर आए तो वहीं आखिर में पार्टी और मुख्यमंत्री धामी को बैकफुट पर आना पड़ा और प्रेमचंद अग्रवाल को अपना इस्तीफा देना पड़ा। प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद भी लोगों का गुस्सा शांत नहीं हुआ। कांग्रेस ने इस मामले पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के खिलाफ भी मोर्चा खोल रखा है।

उत्तराखण्ड चारधाम यात्रा शुरू होने के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु धामों के दर्शन करने पहुंचे थे। जिसके चलते धामों में की गई व्यवस्थाएं चरमरा गई थी। तीर्थ यात्रियों की अत्यधिक भीड़ होने के कारण शुरुआती दौर में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। जिस कारण पर्याप्त व्यवस्था न होने के चलते सरकार को फजीहत झेलनी पड़ी थी। इसके बाद मुख्यमंत्री धामी ने खुद यात्रा की कमान सम्भाली और वीवीआईपी दर्शन पर रोक लगाने के साथ ही श्रद्धालुओं की संख्या सीमित कर दी थी। बाद में मुख्यमंत्री धामी ने चार धाम यात्रा के मद्देनजर एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। जिसमें चार धाम विकास प्राधिकरण की स्थापना करने की घोषणा की गई। इस बार होने वाली चार धाम यात्रा में यह विकास प्राधिकरण अपना काम शुरू कर देगा। उम्मीद की जा रही है कि अब चार धाम यात्रा में व्यवस्थाएं लचर नहीं होंगी। पिछले साल वनाग्नि कांड भी चर्चाओं में रहा। इस दौरान वन विभाग के कई कर्मचारियों की मौत हो गई थी। इनमें एक नाबालिक भी था जिसकी मौत हुई थी। इसके चलते सरकार को काफी फजीहत झेलनी पड़ी। हालांकि सरकार ने इस घटना पर बड़ा एक्शन लेते हुए कई अधिकारियों पर कार्रवाई की थी।

पुष्कर सिंह धामी के युवा नेतृत्व वाली उत्तराखण्ड सरकार ने तीन वर्षों में निर्णय लेने वाली सरकार के रूप में पहचान बनाई है। उत्तराखण्ड में सरकारी नौकरी की बाट जोह रहे हजारों युवाओं को नौकरी मिली है। भू-कानून, यूसीसी जैसे फैसलों ने राष्ट्रीय फलक पर उत्तराखण्ड सरकार की अलग छवि बनाई है। राष्ट्रीय खेलों, जी-20 और इन्वेस्टर समिट जैसे सफल आयोजनों ने सरकार की बेहतर कार्यप्रणाली पर मुहर लगाई है।

गणेश रावत, जिला संयोजक, प्रबुद्ध प्रकोष्ठ नैनीताल

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कार्यकाल के दौरान जुलाई 2022 में विधानसभा भर्ती घोटाला का मामला सामने आया था। साथ ही अगस्त 2022 में विधानसभा में हुई भर्तियों की सूची वायरल हुई थी। इसके बाद मुख्यमंत्री धामी के निर्देश पर मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय विशेषज्ञ जांच समिति का गठन किया गया। इसकी रिपोर्ट की सिफारिश के आधार पर साल 2016 में की गई 150 तदर्थ नियुक्तियां, साल 2020 में हुईं 6 तदर्थ नियुक्तियां, साल 2021 में हुईं 72 तदर्थ नियुक्तियों के साथ ही उपनल के माध्यम से हुईं 22 नियुक्तियां रद्द की गई थी।

16 जून 2024 को हरिद्वार जिले के रुड़की में 16 साल की दलित नाबालिग लड़की के साथ रेप करने के बाद उसकी हत्या कर दी गई। हत्या में भाजपा नेता का नाम शामिल होने के बाद मामला सुर्खियों में रहा। लड़की के परिजन इस मामले को लेकर ग्राम प्रधान के पति आदित्यराज सैनी के पास पहुंचे थे। लेकिन आरोप है कि आदित्यराज सैनी ने उन्हें पुलिस के पास जाने से मना करते हुए भरोसा दिलाया कि वह अपने स्तर से मामला निपटा देगा। मृतक की मां ने आरोप लगाया कि अमित सैनी पिछले छह महीने से उनकी नाबालिग बेटी को प्रेमजाल में फंसाकर शादी के झांसे में शारीरिक शोषण करता आ रहा था साथ ही, परिवार को जान से मारने की धमकी देता रहा। उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपी के परिजन प्रधान पति भाजपा नेता आदित्यराज सैनी भी इसमें शामिल है। उनका आरोप था कि अमित सैनी और आदित्यराज सैनी ने सामूहिक दुष्कर्म कर हत्या की।

सूबे के मदरसों में शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर सुधार किया जा रहा है। मानक के अनुकूल मदरसों को सरकारी योजना का फायदा भी मिलेगा। यह सरकार उनकी शिक्षा में होनहार बच्चों को स्काॅलरशिप व सहायता करने की तैयारी कर रही है। सरकार ने हर योजना का लाभ मुस्लिम समाज को लाभार्थियों को ईमानदारी से पहुंचाया है। सरकार पर एक भी भ्रष्टाचार का कोई आरोप 3 वर्ष में नहीं लगा है। सरकार ने जो संकल्प पत्र जनता के सामने रखे थे उन्हें पूरा करने का काम किया है। आयुष्मान का लाभ मुस्लिम गरीब समाज को सबसे ज्यादा दिया गया है। सरकार द्वारा मुस्लिम बच्चियों की स्काॅलरशिप को भी बढ़ाया है। पूर्व सरकार ने मुस्लिम समाज को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया है जबकि भाजपा प्रदेश में कल्याणकारी योजनाओं का लाभ हर व्यक्ति को ईमानदारी से दे रही है।

मजहर नईम नवाब, पूर्व उपाध्यक्ष, राज्य अल्पसंख्यक आयोग

एक सितम्बर 2024 को हरिद्वार के सबसे पाॅश बाजार रानीपुर मोड़ पर बालाजी ज्वेलर्स में पांच डकैतों ने हथियारों के बल पर डकैती डाली थी। डकैत स्कूटी और मोटरसाइकिल पर सवार होकर आए थे और मात्र 12 मिनट में ही लूट को अंजाम देकर फरार हो गए थे। अगस्त 2024 में हरिद्वार के ज्वालापुर कोतवाली क्षेत्र के रानीपुर मोड़ स्थित बालाजी ज्वैलर्स की दुकान पर हुई इस वारदात में 4-5 नकाबपोश बदमाशों ने हथियारों के बल पर दुकान में घुसकर करीब 5 करोड़ रुपए के सोने-चांदी के जेवरात लूट लिए। पूरी घटना सीसीटीवी में कैद हो गई।

तब बताया गया कि बदमाशों ने मिर्च स्प्रे का इस्तेमाल कर दुकान में मौजूद लोगों को असहाय कर दिया और काउंटर तोड़कर जेवरात समेट लिए। घटना के दौरान फायरिंग भी की गई। घटना के बाद सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और मामले की जांच शुरू कर दी। हालांकि घटना के 16 दिन बाद पंजाब के एक बदमाश को पुलिस ने मुठभेड़ में देर कर दिया था जबकि तीन अन्य को गिरफ्तार कर मामले का खुलासा कर दिया था।

उद्यान विभाग सीबीआई जांच के लिए भी चर्चित रहा। अप्रैल 2022 के दौरान उद्यान निदेशालय में घोटाले की बात सामने आई थी। रानीखेत निवासी सामाजिक कार्यकर्ता दीपक करगेती ने यह बात उठाई थी कि निदेशालय में न तो निदेशक और न ही कोई अन्य कर्मचारी बैठता है। लगातार चल रहे विरोध के बीच जनवरी 2023 में उद्यान विभाग के निदेशक एचएस बवेजा निदेशालय पहुंचे तो गुस्साए लोगों और सामाजिक कार्यकर्ता दीपक करगेती ने निदेशालय की तालाबंदी कर डाली। तब से ही बवेजा के चिट्ठे खुलने शुरू हो गए। प्रदेशभर में उद्यान विभाग में हुए पूर्व के घोटालों को लेकर प्रदर्शन होने लगे। इसके उपरांत उत्तरकाशी में भी ‘उद्यान बचाओ उद्यान लगाओ’ समिति ने आंदोलन शुरू किया। इसके बाद पता चला कि विभाग में फलदार पौध की खरीद-फरोख्त में बड़ी वित्तीय गड़बड़ी हुई है। करगेती ने इसमें विभाग से सूचनाएं मांगी तो चैंकाने वाले तथ्य सामने आए। पता चला कि सेब और अन्य फलदार पौध की खरीद में न सिर्फ गुणवत्ता से समझौता किया गया, बल्कि भुगतान आदि में भी मनमर्जी की गई। इस मामले में दीपक करगेती ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। 26 अक्टूबर 2023 को उच्च न्यायालय ने उद्यान विभाग में हुए घोटाले की सीबीआइ जांच के आदेश जारी किए। हालांकि बाद में सरकार ने उद्यान विभाग के निदेशक एचएस बवेजा को बर्खास्त कर दिया।

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