‘मां गंगा ने मुझे बुलाया है, मुझे ऐसा लगता है कि मां गंगा ने मुझे गोद ले लिया है।’ अपने भाषणों में बार-बार मां गंगा का जिक्र करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक ड्रीम प्रोजेक्ट उत्तराखण्ड में हरकी पैड़ी हरिद्वार कॉरिडोर के नाम से वर्ष 2021 से प्रस्तावित है। एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी के प्रोजेक्ट पर उत्तराखण्ड की धामी सरकार तीव्र गति से काम करने का दावा करती है तो वहीं दूसरी ओर अभी तक इस बहुप्रचारित प्रोजेक्ट पर जमीनी स्तर पर कोई खास कदम नहीं उठा सकी है। पिछले चार साल से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस प्रोजेक्ट को लेकर कई बार शासन-प्रशासन को दिशा-निर्देश जारी कर चुके हैं। बहरहाल, हालात यह हैं कि सरकार सर्वे से आगे नहीं बढ़ पाई है। धामी सरकार के लिए फिलहाल यह प्रोजेक्ट पूरा करना चुनौती पूर्ण बन चुका है। सबसे बड़ी चुनौती स्थानीय लोगों और उन व्यापारियों को संतुष्ट करना है जो कॉरिडोर बनने से अपने दुकान, संस्थान के टूटने के डर से भयभीत हैं
हरिद्वार चारधाम यात्रा का प्रवेश द्वार है। यहां रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं और यात्रियों का आना-जाना लगा रहता है। त्योहारों और खास तिथियों में तो भीड़ और बढ़ जाती है। इसी को देखते हुए हरिद्वार शहर का विकास किया जाना मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्राथमिकता में शामिल है। जिसे हरिद्वार कॉरिडोर की संज्ञा दी गई है। इस कॉरिडोर का उद्देश्य तीर्थाटन को बढ़ावा देना भी है। प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि कुम्भ और कांवड़ मेले के दौरान ट्रैफिक व्यवस्था दुरुस्त रहे, यह भी इस परियोजना का एक मकसद है। वहीं दूसरी तरफ शहर में व्यापारियों का संगठन इसे अनावश्यक बता रहा है। इसके मद्देनजर ही कई बार शहर के व्यापारी धरना-प्रदर्शन तक कर चुके हैं।

हरिद्वार में हरकी पैड़ी कॉरिडोर का प्रस्ताव वर्ष 2021 से प्रस्तावित है। इस कॉरिडोर को लेकर हरिद्वार के लोगों खासकर व्यापारियों में ऊहापोह की स्थिति है। यहां के लोग अभी तक भी इस योजना के प्रारूप से अनभिज्ञ हैं। अधिकतर लोग यह जानने के लिए बेचैन हैं कि कॉरिडोर के साथ क्या-क्या बदलाव होने हैं? किस तरह इस कॉरिडोर के स्वरूप को बनाया जाएगा? यही वजह है कि कॉरिडोर को लेकर हरकी पैड़ी क्षेत्र के व्यापारियों और आमजन में काफी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। जानकारी के अनुसार जिन रास्तों पर कॉरिडोर बनाने की बात हो रही है, उनमें कई होटल, धर्मशालाएं और दुकानें आ रही हैं। इसीलिए हरिद्वार में लोगों की जुबान पर उनके होटल, दुकान और मकान टूटने को लेकर चर्चा के साथ ही चिंता बनी हुई है।
‘दि संडे पोस्ट’ ने जब हरकी पैड़ी के आस-पास के नागरिकों और व्यापारियों से इस बाबत बात की तो ज्यादातर लोगों का कहना है कि वे हरिद्वार के सौंदर्यीकरण या शहर के विकास का समर्थन तो करते हैं, लेकिन कॉरिडोर के नाम पर हरिद्वार की पौराणिकता को नष्ट नहीं होने दिया जाएगा। उन्हें डर है कि सरकार काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर की तरह कहीं उन्हें भी उनकी रोजी-रोटी से दूर न कर दे।
इस मुद्दे पर धर्मनगरी हरिद्वार में जमकर राजनीति हो रही है। कांग्रेस इस मुद्दे पर सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। पाटी के नेता और कार्यकर्त्ता कई बार इसके खिलाफ धरना-प्रदर्शन कर चुके हैं। गत वर्ष हरिद्वार कॉरिडोर के खिलाफ कांग्रेस ने 9 से 14 अगस्त तक जिले भर में जन जागरूकता रैली निकालकर प्रदर्शन किया था। जिसे जन आक्रोश रैली भी कहा गया। इस रैली में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा समेत पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेता मौजूद रहे थे। इस दौरान कांग्रेस ने हरिद्वार कॉरिडोर की डीपीआर को सार्वजनिक किए जाने की मांग की, साथ ही संकल्प लिया कि कांग्रेस अयोध्या और बनारस की तरह हरिद्वार के व्यापारियों को उजड़ने नहीं देगी। रैली में प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने कहा था कि कॉरिडोर हरिद्वार के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है। कॉरिडोर के नाम पर अयोध्या और बनारस में सरकार ने कारोबारियों को लूटा है। वहां लोगों के घर तोड़े गए। उनका व्यापार खत्म हो गया। मुआवजे के लिए लोग आज भी प्रशासन के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन वो ऐसा हरिद्वार में नहीं होने देंगे।
कांग्रेस के बाद 4 सितम्बर 2024 को धर्म नगरी में बनने जा रहे कॉरिडोर के विरोध में व्यापारियों द्वारा एक जनसभा का आयोजन किया गया। व्यापारियों की इस जनसभा में शहर की सभी 53 व्यापारिक इकाइयों के हजारों व्यापारी शामिल हुए। इस जनसभा में भाजपा और कांग्रेस के कई बड़े व्यापारी नेता भी शामिल हुए थे। यह जनसभा हंगामे के बीच सम्पन्न हुई। जनसभा में जैसे ही सत्ता पक्ष के नेता और लक्सर के पूर्व विधायक संजय गुप्ता ने अपनी बात रखनी शुरू की, तभी व्यापारियों द्वारा उनका विरोध शुरू कर दिया गया। इस दौरान हरिद्वार के विधायक मदन कौशिक के फोन के माध्यम से अपना भाषण देने पर भी कुछ व्यापारियों ने विरोध किया। यही हाल कांग्रेस नेता और पूर्व राज्यमंत्री रहे संजय पालीवाल के भाषण के दौरान हुआ। मतलब साफ था कि व्यापारी वर्ग इस मुद्दे पर किसी की सुनने को तैयार नहीं था।
यह जनता के साथ गलत किया जा रहा है क्योंकि खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री चुनावी जनसभा के दौरान कह चुके हैं कि अगर जनता नहीं चाहेगी तो कॉरिडोर नहीं बनेगा। लेकिन चुनाव के बाद ही उनका बयान बदल गया है। यह कॉरिडोर हरकी पैड़ी की सुंदरता और पौराणिकता को खत्म कर देगा। इसलिए यह जनहित में नहीं बनना चाहिए।
अनुपमा रावत, विधायक हरिद्वार ग्रामीण
व्यापारियों के इस तरह सख्त रवैया अपनाने के बाद यहां से भाजपा के पांच बार के विधायक रहे मदन कौशिक भयभीत हो गए। उन्हें अपनी सीट पर खतरा नजर आने लगा। इस चलते गत 22 दिसम्बर की रात हरिद्वार से स्थानीय विधायक मदन कौशिक ने भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से देहरादून आवास पर मुलाकात की। मुलाकात के बाद जब मदन कौशिक मीडिया से मुखातिब हुए तो उन्होंने बताया कि बिना ध्वस्तीकरण के हरिद्वार कॉरिडोर बनाने की मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मांग की है। इससे हरिद्वार की ऐतिहासिक धरोहर भूमि भी बची रहेगी और व्यापारियों के सामने भी रोजगार का संकट नहीं होगा। इसी के साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि ‘हरिद्वार के 10 किलोमीटर के दायरे में इसका निर्माण होगा। अगर कुछ लोग इसको लेकर भ्रांति फैला रहे हैं तो उनकी बातों में ना आएं। प्रशासन जब भी इसका काम शुरू करेगा तो इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि हरिद्वार का मूल स्वरूप ना बदले और यहां के स्थानीय लोगों की भी भावना को ठेस न पहुंचे।’
हालांकि इसके बाद भी शहर का व्यापारी वर्ग सरकार के इस मेगा ड्रीम प्रोजेक्ट को लेकर अभी भी आशंकित। बीते एक साल से स्थानीय व्यापारियों का गुस्सा साफ देखा जा रहा है। व्यापारी लगातार सरकार और प्रशासन के सामने इस बात का विरोध कर रहे थे कि अगर कॉरिडोर बना तो उनके संस्थान, घर और बाजारों को तोड़ दिया जाएगा। इन सबके बीच इस पूरे मामले पर राजनीति भी हो रही है। पक्ष और विपक्ष एक इस कॉरिडोर की खामियां और विशेषताएं गिनवा रहे हैं। हरिद्वार में कॉरिडोर को लेकर लोगों में बनी असमंजस की स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हरिद्वार भ्रमण को प्राथमिकता दे रहे हैं। शायद यही वजह है कि वे महीने में सबसे अधिक कार्यक्रम हरिद्वार के रख रहे हैं, ताकि स्थानीय जनता को इस बात का एहसास कराया जाए कि कोई भी कॉरिडोर जनता को परेशान और उनके संस्थान को अधिग्रहण करके नहीं बनेगा।
हरिद्वार हरकी पैड़ी कॉरिडोर के तहत हरिद्वार के देवपुरा चौक से भारत माता मंदिर तक पूरे शहर की सूरत बदल जाएगी। दावा किया जा रहा है कि हरिद्वार में काशी विश्वनाथ की तर्ज पर ही कॉरिडोर बनेगा। सरकार चाहती है कि हरिद्वार में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को एक अलग अनुभव की अनुभूति करवाई जाए। एक ही पथ पर हरिद्वार के प्रमुख मंदिर जिसमें दक्ष मंदिर, मनसा देवी, चंडी देवी, हरकी पैड़ी जैसे मंदिरों के दर्शन श्रद्धालु एक कॉरिडोर से जाकर आसानी से कर लें।
इस बाबत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एक कार्यक्रम में स्पष्ट भी कर चुके हैं कि हरिद्वार कॉरिडोर का काम जल्द ही शुरू होने वाला है। इस कॉरिडोर के तहत हरकी पैड़ी का स्वरूप पूरी तरह से बदल जाएगा। श्रद्धालुओं को आधुनिक माहौल के साथ-साथ ऐतिहासिक माहौल भी मिले, ऐसी व्यवस्था इस कॉरिडोर के तहत की जा रही है। इस कॉरिडोर में हरिद्वार के कनखल, देवपुरा, मनसा देवी और चंडी देवी के अलावा हरकी पैड़ी, भारत माता मंदिर भीमगौड़ा जैसे धामिर्क स्थल आ रहे हैं। यानी हरकी पैड़ी के 5 किलोमीटर दाएं और 5 किलोमीटर बाएं हिस्से में इस कॉरिडोर का काम पूरा होगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने बयानों में बार-बार यह कहना नहीं भूलते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरिद्वार कॉरिडोर को लेकर कई बार उनसे जिक्र कर चुके हैं। राज्य सरकार भी यह चाहती है कि हरिद्वार के साथ उत्तराखण्ड के तमाम धार्मिक स्थलों का कायाकल्प आने वाले 50 सालों को ध्यान में रखकर किया जाए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जब भी सूबे में कहीं भी धार्मिक कार्यक्रम में जाते हैं तो हरिद्वार कॉरिडोर का जिक्र जरूर करते हैं। अपने बयान में वह अक्सर कहते सुने जाते हैं कि काशी विश्वनाथ में भव्य और दिव्य काशी बनाने के प्रयास के तहत काशी कॉरिडोर बनाया गया है। एक समय में जब भक्त काशी दर्शन करने के लिए जाते थे तो एक छोटा सा रास्ता हुआ करता था और श्रद्धालुओं को दर्शन करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। लेकिन केंद्र सरकार की इच्छा शक्ति से काशी का गलियारा बनाया गया। इसी तरह से उत्तराखण्ड सरकार भी हरिद्वार के कॉरिडोर को लेकर भी काम कर रही है।
शायद यही वजह है कि हरिद्वार कॉरिडोर का काम भी काशी कॉरिडोर बनाने वाली कम्पनी को दिया गया है। ई-कॉम कम्पनी और अन्य दूसरी कंपनियां मिलकर हरिद्वार कॉरिडोर के काम को पूरा करेंगी। लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध को देखते हुए कम्पनी के कर्मचारी दिन के बजाय रात को हरकी पौड़ी के आस-पास सर्वे कर रहे हैं। हालांकि कम्पनी की तरफ से अभी तक इस पूरे मामले पर किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन इतना जरूर है कि साल 2026 तक हरिद्वार के कॉरिडोर का काम पूरा करने की कवायद शुरू हो रही है, ताकि आने वाले कुम्भ में हरिद्वार में आने वाले श्रद्धालुओं को एक नए हरिद्वार के दशज़्न करवाया जा सके। लेकिन जिस तरह से इस प्रोजेक्ट पर कछुआ गति से काम चल रहा है उससे लगता नहीं है कि यह कार्य वर्ष 2026 तक पूर्ण हो जाएगा।
कॉरिडोर के तहत हरिद्वार शहर के कार्य को अलग-अलग हिस्सों में बांटा गया है। देवपुरा चौक से लेकर हरकी पैड़ी, भारत माता मंदिर, सतीकुंड कनखल और संन्यास रोड को इसमें शामिल किया गया है। बताया जा रहा है कि शहर में आने वाला बस अड्डा भी इस कॉरिडोर के तहत शिफ्ट होगा। सरकार और प्रशासन जिस तरह इस कॉरिडोर की कल्पना कर रहे हैं, उसके बाद पूरे शहर की तस्वीर बदल जाएगी। गंगा घाट मंदिरों की सूरत, हरिद्वार की हरकी पैड़ी तक आने वाले तीन मार्गों का सौंदयीज़्करण किया जाएगा। यह कवायद इसलिए की जा रही है ताकि उत्तराखण्ड और खासकर हरिद्वार आने वाले यात्रियों को आसानी से सभी धार्मिक स्थलों पर घुमाया जाए और शहर में किसी तरह की अव्यवस्था न हो। कॉरिडोर बनाने की बात वर्ष 2021 से चल रही है। तब से अब तक मुख्यमंत्री स्तर पर हो या जिलाधिकारी स्तर पर कई बैठकें भी हो चुकी हैं। बताया जा रहा है कि कॉरिडोर से सम्बंधित कुछ काम हरिद्वार के भल्ला कॉलेज स्टेडियम के आस-पास भी शुरू हो चुका है। मतलब साफ है कि अगर कॉरिडोर बनता है, तो हरिद्वार शहर पूरी तरह से बदला-बदला नजर आएगा। अभी इसका बजट 3000 करोड़ रुपए रखा गया है। जिसे साल 2026 तक धरातल पर उतारने की बात की जा रही है। लेकिन लगता है कि जैसे-जैसे समय बढ़ता जाएगा वैसे-वैसे ही इसका बजट भी बढ़ेगा।
अगर हरिद्वार की भौगोलिक स्थिति को देखें तो इस शहर के एक तरफ मनसा देवी और दूसरी तरफ चंडी देवी का मंदिर है। जबकि बीच में मां गंगा की धारा बहती है, जिसके आस-पास पूरा शहर बसा हुआ है। इस
प्रोजेक्ट के पैरोकारों का मानना है कि अब अगर यहां पर हरकी पैड़ी कॉरिडोर के नाम पर कॉरिडोर बनाकर विकास की रेखा खींची जाएगी तो स्वाभाविक है कि हरिद्वार शहर की प्रसिद्धि और व्यापक स्तर पर होगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जोड़ी उत्तराखण्ड में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए काफी प्रयास कर रही है। दूसरी तरफ प्रोजेक्ट विरोधी तर्क दे रहे हैं कि इस कॉरिडोर प्रोजेक्ट को यदि लागू किया गया तो स्थानीय नागरिकों, विशेषकर व्यापारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। ऐसे सभी लोगों को आशंका है कि इस कथित विकास की आड़ में उनके घरों और दुकानों को तोड़ा जाएगाा, ठीक वैसे ही जैसे अयोध्या में राम मंदिर निर्माण तथा बनारस में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर निर्माण के दौरान हुआ।
कौशिक की राजनीति पर संकट के बादल
हरिद्वार शहर में अब तक पांच बार के विजेता रहे विधायक मदन कौशिक के राजनीतिक जीवन में भी यह मुद्दा खलबली मचा सकता है। इस मुद्दे ने वर्ष 2027 में कौशिक के विधानसभा पहुंचने की राह भी कठिन कर दी है। फिलहाल मदन कौशिक के लिए हरिद्वार कॉरिडोर का मुद्दा गले की फांस बनता नजर आ रहा है। हरिद्वार शहर मूलत: भाजपा की सीट है। उत्तराखण्ड बनने के बाद से ही हरिद्वार विधानसभा सीट पर लगातार भाजपा का कब्जा है। मदन कौशिक यहां से पांचवी बार विधायक बने हैं। वे राज्य सरकार में मंत्री और प्रवक्ता जैसे मुख्य पदों पर रह चुके हैं। मदन कौशिक भी जानते हैं कि अगर कॉरिडोर के मुद्दे पर व्यापारियों और स्थानीय निवासियों द्वारा इसी तरह विरोध किया जाता रहा तो उनके लिए खतरा उत्पन्न हो सकता है। वे चिंतित हैं कि कहीं 2027 में उनका विजय रथ भी रूक न जाए। यही कारण है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिलकर भी मदन कौशिक इसी मुद्दे पर गम्भीरता से विचार कर चुके हैं।
मुख्यमंत्री धामी से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बात करते हुए मदन कौशिक यहां तक कह चुके हैं कि कॉरिडोर का मुद्दा स्थानीय लोगों को पसंद नहीं आ रहा है। लिहाजा उन्होंने सरकार और सरकार के मुखिया से यह आग्रह किया है कि कॉरिडोर का नाम शहर को न देकर, इस योजना को हेरिटेज सिटी बनाने पर काम आगे होना चाहिए। यानी मदन कौशिक ने सरकार को यह साफ कहा है कि अगर इसी तरह से कॉरिडोर को लेकर सरकार आगे बढ़ी तो आने वाले विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। भले ही मदन कौशिक कुछ भी कहें, लेकिन ये सही है कि अब तक सरकार की तरफ से हेरिटेज सिटी बनाने जैसा कोई बयान सामने नहीं आया है। चर्चा है कि कॉरिडोर का मुद्दा भाजपा और खासकर स्थानीय विधायक मदन कौशिक के लिए गले की फांस बन सकता है।
हरिद्वार-काशी कॉरिडोर में असमानताएं
गंगा सभा के पूर्व अध्यक्ष रामकुमार मिश्रा ने सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट हरिद्वार कॉरिडोर पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने इस कॉरिडोर से भविष्य में आने वाली समस्याओं और उनके निवारण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर बताया है कि हरिद्वार का वजूद हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड में अविरल प्रवाहित गंगा से ही है। हरिद्वार में हजारों तीर्थ पुरोहितों का पीढ़ी-दर-पीढ़ी हजारों वर्षों से निवास है। हरकी पैड़ी, कुशा घाट के निकट इनकी गद्दियां हैं, जहां देश-विदेश के लोग गंगा स्नान करते हैं। दान -पुण्य करते हैं। अपने पूवज़्जों का पितृ-कर्म करवाते हैं। कॉरिडोर पुरोहितों को उजाड़कर बनेगा। क्या ऐसे में कॉरिडोर बनाना उचित होगा? हरिद्वार में रेतीले कच्चे पहाड़ के नीचे ब्रिटिश सरकार के समय की बनी हुई 126 वर्ष पुरानी रेलवे सुरंग है, जिसमें से हरिद्वार से ऋषिकेश एवं देहरादून ट्रेन चलती है। क्या इसको भी हटाया जाएगा? या इसे विस्तारित किया जाना संभव होगा? क्या सैकड़ों वर्ष पुराने मंदिरों, आश्रमों और धर्मशालाओं को हटाना उचित होगा? क्या हरकी पैड़ी पर असीमित श्रद्धालुओं के स्नान के लिए पर्याप्त स्थान उपलब्ध हैं? क्या हरकी पैड़ी के प्राचीन स्वरूप को छुए बिना स्नान घाटों को विस्तारित किया जा सकता है?
मिश्रा ने प्रधानमंत्री मोदी से काशी कॉरिडोर का जिक्र करते हुए कहा कि वाराणसी में छोटी-छोटी गलियां होने एवं गंगा के घाटों से मंदिर तक आवागमन की सुविधा न होने के कारण कॉरिडोर आवश्यक था। मगर हरिद्वार में हरकी पैड़ी पर आने के लिए पहले से ही अपर रोड, मोती बाजार (बड़ा बाजार) सुभाष घाट जैसे मार्गों के अलावा रोड़ी बेलवाला से हरकी पैड़ी तक लोहे से बने चार पुल, सीसीआर से हरकी पौड़ी आने वाला शिव सेतु, सीसीआर से आने वाला शताब्दी सेतु, भीमगोडा से हरकी पैड़ी मुख्य मार्ग, अर्ध कुम्भ 2004 में जयराम आश्रम से कांगड़ा घाट होते हुए हरकी पैड़ी तक निर्मित घाट, पंतद्वीप से मालवीय द्वीप घंटाघर हरकी पैड़ी पर बने सेतु आदि हैं तो ऐसे में कॉरिडोर बनाने की जरूरत क्यों पड़ी?
बात अपनी-अपनी
हरिद्वार में भारत सरकार द्वारा जो कॉरिडोर की योजना लाई जा रही है उसको लेकर व्यापारियों में बहुत असमंजस की स्थिति है। सरकार ने यह तक क्लियर नहीं किया है कि प्रभावितों को किस तरीके से मुआवजा मिलेगा। हरिद्वार के लोग 70 प्रतिशत से ज्यादा किराएदारी पर निर्भर है। यहां के व्यापारी लीज पर दुकान लेकर व्यापार करते हैं। व्यापारी इसलिए भी डरे हुए हैं कि उनके दुकान और संस्थान तोड़े जाएंगे।
राजीव चौधरी, जिला अध्यक्ष, हरिद्वार कांग्रेस
अगर हरिद्वार कॉरिडोर योजना में तोड़-फोड़ हुई तो वो किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे, लेकिन तोड़-फोड़ की जगह सौंदर्यीकरण होगा तो उसका स्वागत किया जाएगा। मेला क्षेत्र की भूमि को लेकर भी भ्रम की स्थिति है। जबकि वो भूमि उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की है। इसलिए खाली भूमि में कॉरिडोर योजना बनाने को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है। व्यापारी किसी भी तरह से अपना शोषण बर्दाश्त नहीं करेगा।
संजीव नैय्यर, जिला महामंत्री व्यापार मंडल, हरिद्वार
सरकार ने हरिद्वार को प्रयोगशाला बना दिया है। जो भी योजना लाई जाती है उसे पहले यहीं पर लाने का प्रयास किया जाता है। पहले पॉड टैक्सी योजना अब हरिद्वार कॉरिडोर योजना की बात हो रही है। यह सर्वे हरिद्वार में किया जा रहा है, लेकिन ऋषिकेश में नहीं किया जा रहा है जबकि पहले ऋषिकेश से सर्वे किया जाना चाहिए था। सरकार को व्यापारियों की पीड़ा समझकर इस योजना पर काम करना होगा।
राजीव पराशर, अध्यक्ष व्यापार मंडल हरिद्वार
व्यापारियों को कंफ्यूजन है कि दुकानों को तोड़ने की योजना बनाई जा रही है। जबकि सरकार की तरफ से अभी तक कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं। अभी सिर्फ सर्वे हो रहा है। सर्वे में आकलन किया जाएगा कि कहां-कहां पर किन-किन चीजों की आवश्यकता है। कहां पर फुटपाथ बनना है? कहां पर लाइटें लगानी हैं। घाटों का सौंदर्यीकरण किस तरह से होना है या अन्य विकास के कार्यों किस तरह से किए जाने हैं। इसको लेकर सरकार की तरफ से ऐसा कोई निर्देश नहीं आया है। अभी तक कोई ऐसा प्लान नहीं बनाया गया है जिसमें किस जगह पर दुकान या मकान को तोड़ना है। अभी सिर्फ विकास कार्यों के लिए सर्वे हो रहा है। यह पॉड टैक्सी वाला काम नहीं है। इसमें जो मुख्य सड़क है, उन्हें बनाया जाएगा। घाटों का विकास होगा। जो मुख्य मंदिर हैं, उनमें यात्री सुविधाओं का विकास होना है। सर्वे विभिन्न चरणों में चल रहा है। अभी द्वितीय चरण का सर्वे चल रहा है। जो जल्दी ही पूरा हो जाएगा। उसके बाद ग्राउंड पेनिट्रेशन सर्वे किया जाएगा। जिसमें सड़क के नीचे क्या-क्या सुविधाएं हैं, कहां-कहां पर सीवर और वाटर सप्लाई है, इसका सर्वे किया जाएगा।
सुनील गुप्ता, टीम लीडर, हरिद्वार कॉरिडोर सलाहकार समिति
हरिद्वार-ऋषिकेश भारत के महत्वपूर्ण तीर्थस्थल हैं। गंगा कॉरिडोर के निर्माण से इन दोनों शहरों की धार्मिक महत्ता और अधिक बढ़ेगी। श्रद्धालुओं को एक व्यवस्थित और सुगम मार्ग मिलेगा। तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को शुद्ध पेयजल, शौचालय और विश्राम स्थल जैसी अच्छी सुविधाएं मिलेंगी। स्थानीय लोगों को रोजगार और आर्थिक विकास के नए अवसर मिलेंगे। इससे स्थानीय कलाकारों और व्यावसायिक संस्थानों को भी लाभ होगा। लेकिन कॉरिडोर के विकास में यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि गंगा की पवित्रता और पर्यावरण संरक्षित रहे।
सुनील कुमार शर्मा, प्रधान बजरंग धाम, हरिद्वार