Uttarakhand

मुद्दा गरम, मतदाता नरम

दो साल पहले पहाड़ की बेटी अंकिता भंडारी के साथ हुए हादसे से उत्तराखण्ड के लोग पूरी तरह नहीं उबरे हैं। हालांकि इस हत्याकांड के आरोपियों को जेल भेज दिया गया। सूबे के सीएम पुष्कर सिंह धामी द्वारा मामले की जांच एसआईटी द्वारा कराई जा रही है। लेकिन अभी भी लोग अंकिता भंडारी को न्याय दिलाने और इस कांड में वीआईपी का नाम सार्वजनिक करने की आवाज उठा रहे हैं। बीते दिनों हुए लोकसभा चुनाव में खासकर पौड़ी गढ़वाल सीट पर इसके नकारात्मक नतीजों के डर से जहां भाजपा सहमी हुई है वहीं कांग्रेस ने इस मुद्दे को मतदाताओं के बीच जोर- शोर से उठाया। कांग्रेस को उम्मीद है कि इस मुद्दे के बल पर इस सीट पर उसका पलड़ा भारी है। जिस तरह से अंकिता भंडारी का  मुद्दा गरम था, उसके बनिस्पत मतदाताओं की नरमी कुछ और ही संकेत दे रही है

 

प्रदेश की राजनीति में हलचल मचाने वाला अंकिता भंडारी हत्याकांड लोकसभा चुनाव में एक बड़े मुद्दे के तौर पर उभरा। कांग्रेस पार्टी के हर छोटे-बड़े नेताओं के साथ कांग्रेसी उम्मीदवारों ने भी इस मुद्दे को चुनावी धार देकर भाजपा और धामी सरकार पर गंभीर आरोप भी लगाए। हत्याकांड में शामिल कथित वीआईपी का नाम सार्वजनिक करने का भारी दबाब प्रदेश सरकार पर बनाने में कोई कमी नहीं की। इस दबाव का ही असर रहा कि पूरे चुनावी प्रचार के दौरान भाजपा और उसके स्टार प्रचारक इस सवाल से बचते रहे। यहां तक कि भाजपा की स्टार प्रचारक केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भी अंकिता भंडारी मामले में मीडिया के सवालों के जबाब देने से कन्नी काटती नजर आईं। कांग्रेस ने खासतौर पर गढ़वाल सीट पर इस मुद्दे को लेकर भाजपा के बड़े नेताओं की चुप्पी को भी अपने पक्ष में करने के लिए तमाम जतन किए और चुनावी रैलियों में इसको खूब उठाया। सोशल मीडिया मंचों पर भी ‘अंकिता भंडारी को न्याय दो और ‘वीआईपी का नाम सार्वजनिक करो’’ तेजी से ट्रेंड हुआ जो मतदान होने तक चलता रहा।

हैरत की बात यह है कि जिस गंगा भोगपुर क्षेत्र में अकिता भंडारी की हत्या हुई उसी क्षेत्र के पोलिंग बूथ पर मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग ही नहीं किया। 1273 मतांे में से सिर्फ एक मत ही पड़ा। गौर करने वाली बात यह हेै कि 676 पुरुष मतदाता और 567 महिला मतदाता वाला गंगा भोगपुर पोलिंग बूथ अंकिता भंडारी को न्याय दिलवाने के मामले में जहां आंदोलन में पूरी तरह से साथ दे रहा था वहीं यहां के मतदाताओं ने वोट देने से परहेज किया। हालांकि वोट न देने के पीछे गंगा भोगपुर के मतदातओं का तर्क यह था कि उनके क्षेत्र का विकास नहीं हो पाया है। इसलिए उन्होंने चुनाव का बहिष्कार किया।

राजनीतिक जानकारों की मानें तो जिस तरह से पूरे प्रदेश में मत प्रतिशत गिरा है उससे गंगा भोगपुर भी प्रभावित हुआ है। यह भी सत्य है कि अंकिता भंडारी हत्याकांड का मुद्दा चुनाव प्रचार में तो प्रमुख रहा, पंरतु मतदाताओं में इसका असर ज्याद देखने को नहीं मिला। अगर यह मुद्दा चुनाव में भाजपा और प्रदेश सरकार के खिलाफ मतदाताओं में अपना स्थान बनाने में सफल होता तो कम से कम गंगा भोगपुर जहां अंकिता भंडारी की हत्या हुई उसके निवासी अपने मत का प्रयोग सरकार और भाजपा के खिलाफ बड़ी तादाद में करते। लेकिन महज एक वोट पड़ने से यह मुद्दा केवल चुनावी मुद्दा ही बनकर रह गया।

गौरतलब है कि 2022 में पौड़ी जिले की यमकेश्वर तहसील के अंतर्गत गंगा भोगपुर गांव में स्थित वनंतरा फाॅरेस्ट रिजार्ट में रिसेप्शनिस्ट का कार्य करने वाली अंकिता भंडारी की हत्या का मामला सामने आया था। इस मामले में पुलिस द्वारा रिजाॅर्ट के संचालक पुलकित आर्य के साथ रिजाॅर्ट के मैनेजर सौरभ भास्कर और सहायक मैनेजर पुनीत गुप्ता को जेल भेज दिया। तब से तीनों आरोपी जेल में ही बंद है, इनकी जमानत तक नहीं हो पाई है। मामले की न्यायालय मे सुनवाई चल रही है।

इस मामले में आरोपी पुलकित आर्य और उसके पिता विनोद आर्य का नाम सामने आने से प्रदेश की राजनीति में बड़ी हलचल देखने को मिली। विनोद आर्य सत्तारूढ़़ भाजपा के नेता और पूर्व सरकार में दर्जाधारी राज्यमंत्री रह चुके हैं। कांग्रेस ने इस मामले में प्रदेश सरकार पर आरोपियों को बचाए जाने का गंभीर आरोप लगाते हुए सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। अनेक स्थानों पर अंकिता भंडारी को न्याय दिलवाले के लिए आंदोलन शुरू हो गए। इस मामले को लेकर प्रदेश सरकार बुरी तरह से असहज नजर आने लगी और जनदबाव के चलते मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एसटीएफ का गठन करने के आदेश जारी करने पड़े। हालांकि इस मामले में त्वरित कानूनी कार्यवाही होने के चलते सभी आरोपियों को जेल भेज दिया गया। यहां तक कि वनंतरा रिजाॅर्ट पर बुल्डोजर चलाकर उसे ध्वस्त करने की कार्यवाही भी की गई। एसटीएफ द्वारा 500 पेज की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की गई है, फिलहाल मामला कोर्ट में विचाराधीन है। इस मामले में जांच से कई सवाल भी खड़े हुए हैं। अंकिता भंडारी जिस वनंतरा रिजाॅर्ट में काम करती थी वह भी अवैध बताया जा रहा है। 2010 में इस स्थान पर स्वदेशी आर्गेनिक उद्योग के नाम पर कारखाना खोले जाने की अनुमति ली गई थी किंतु 8 वर्ष बाद कारखाने की भूमि पर भव्य रिजाॅर्ट बना दिया गया। इससे साफ हो जाता है कि रिजाॅर्ट ही पूरी तरह से अवैध था लेकिन इतने वर्षों से स्थानीय प्रशासन इस ओर से आंखें मूंदे सोता ही रहा।

यह मामला सरकार की गले की फांस बन गया और पूरे प्रदेश में सरकार के खिलाफ आंदोलन होने लगे। पौड़ी जिले में इसको लेकर बड़ा भारी आंदोलन शुरू किया गया जिसको युवाओं का भरपूर समर्थन मिला और इसी आंदोलन को चलाने वाले पत्रकार आशुतोष नेगी उक्रांद के टिकट पर गढ़वाल सीट से लोकसभा चुनाव में उतरे हैं।


कांग्रेस और उक्रांद ने इस मुद्दे पर भाजपा को भी कठघरे में खड़ा करने का भरपूर प्रयास किया। मामले में संलिप्त कथित ‘वीआईपी का नाम बताओ’ के नारे से गढ़वाल संसदीय सीट पर चुनाव प्रचार के दौरान खूब गूंजा। कांग्रेस महासचिव पिं्रयका गाधी ने भी अंकिता भंडारी के मामले को अपनी चुनावी रैली में स्थान देते हुए इसे महिला आत्म सम्मान से जोड़कर भाजपा पर हमले किए। चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा के उम्मीदवार अनिल बलूनी भी असहज नजर आ रहे थे। इसको देखते हुए भाजपा ने अपनी पूरी ताकत गढ़वाल सीट पर झोंक दी और गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा संगठन भी चुनाव प्रचार के लिए पहुंचा। स्वयं मख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी बलूनी के पक्ष में जनसभाएं करते नजर आए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऋषिकेश में हुई चुनावी रैली में भी अनिल बलूनी को मंच पर स्थान दिया गया जिससे गढ़वाल संसदीय सीट के मतदाताओं को संदेश दिया जा सके। यही नहीं बल्कि अनिल बलूनी के नामांकन में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भी पहुंची थीं।

यहां तक कि गृहमंत्री अमित शाह को अनिल बलूनी के पक्ष में कहना पड़ा कि ‘‘आप लोग बलूनी को जिताकर संसद में भेजिए गढ़वाल का विकास करने की मेरी गारंटी है।’’ गृह मंत्री के इस तरह गारंटी देने से साफ हो गया था कि चुनाव में भाजपा के खिलाफ स्थानीय मुद्दे काम कर रहे हैं जिनमें अकिंता भंडारी हत्याकांड भी एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है जिसकी तपिश भाजपा को चुनाव में झुलसा सकती है। जो अनिल बलूनी इस मुद्दे पर चुनाव प्रचार के दौरान एक भी शब्द नहीं कह पा रहे थे उनको भी चुनाव प्रचार के अंतिम दिन इस पर एक टीवी चैनल में बोलने को मजबूर होना पड़ा।

अब मत प्रतिशत कम होने से तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। जहां भाजपा इसे कांग्रेस की हार के रूप में प्रचारित कर रही है तो वहीं कांग्रेस इसे मोदी के खिलाफ मतदाताओं के रोष के तौर पर बता रही है। लेकिन कम मत प्रतिशत के आंकड़ांे को देखंे तो यह सत्ता के पक्ष में ही रहे हैं जिससे यह माना जा रहा है कि जनता में भाजपा के खिलाफ रोष उतना नहीं है जितना चुनावी रैलियों में देखा जाता रहा है। बहरहाल अंकिता भंडारी हत्याकांड का मुद्दा भी ठीक वैसे ही देखा जा रहा है।

 

‘देवभूमि को बनाया ऐशभूमि’

पहले तो मैं आपकी यह बात मानने को तैयार नहीं हूं कि पौड़ी गढ़वाल सीट पर अंकिता भंडारी हत्याकांड की गूंज कम रही। हो सकता है कि कुछ क्षेत्रों में यह मुद्दा कम रहा हो लेकिन इतना तय है कि इस मुद्दे ने भाजपा की वह पोल खोलकर रख दी है जिसमें वह ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा देती है। प्रदेश में ही बीते साल की एनसीआरबी की रिपोर्ट है जिसमें 907 महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया और 778 महिलाओं के अपहरण हुए। सबसे चैंकाने वाली बात यह है कि सभी हिमालयी राज्यों में उत्तराखण्ड अपराध के मामलों में पहले नंबर पर है और देश में छठे नम्बर पर है। इससे समझा जा सकता है कि उत्तराखण्ड की महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। यहां बाहरी नेता और वीआईपी आते हैं। वनंतरा रिजाॅर्ट जैसा कांड करके चले जाते हैं। देवभूमि को ऐशभूमि बना दिया गया है।

गरिमा मेहरा दसौनी, मुख्य प्रवक्ता उत्तराखण्ड कांग्रेस

‘गोदियाल ने जीता मतदाताओं का दिल’

पौड़ी-गढ़वाल में भाजपा पर डबल अटैक हुआ है। कांग्रेस और हमने अंकिता भंडारी हत्याकांड के मुद्दे पर भाजपा की जमकर घेराबंदी की है। हालांकि दोनों ही पार्टियों की तरह मेरे पास संसाधन तो नहीं थे लेकिन स्थानीय मतदाताओं में अंकिता भंडारी हत्याकांड पर जिस तरह रोष देखना को मिला उससे भाजपा चिंतित है। भाजपा प्रत्याशी अनिल बलूनी पर कांग्रेस के गणेश गोदियाल हावी हो रहे हैं। अनिल बलूनी के मुकाबले गणेश गोदियाल मतदाताओं में पैठ बनाने में ज्यादा कामयाब हो रहे हैं। इसका एक कारण यह भी है कि बलूनी जी को गढ़वाली भाषा बोलनी नहीं आती है, वहीं गोदियाल जी ठेठ गढ़वाली बोलकर लोगों का दिल जीत रहे हैं। मैंने जहां-जहां देखा वहां पर बलूनी के मुकाबले गोदियाल को मजबूत पाया है।

आशुतोष नेनी, उक्रांद प्रत्याशी पौड़ी गढ़वाल

‘बलूनी की जीत में कोई शंका नहीं’

अंकिता भंडारी मामले पर हमारी सरकार ने पूरी पारदर्शिता बरती है। आरोपियों को जेल भेज दिया है और रही बात किसी वीआईपी के नाम की उसकी और तमाम प्रकरण की जांच एसआईटी कर रही है। मैं इस लोकसभा का सह प्रभारी होने के नाते जनता के सीधे टच में रहा हूं। मैंने देखा है कि हमारी पार्टी के प्रत्याशी माननीय अनिल बलूनी जी को जनता का भरपूर सहयोग और समर्थन मिल रहा है। वे उत्तराखण्ड की समस्याओं और उनके समाधान के लिए तत्पर रहने वाले नेता हैं। वे राज्यसभा सांसद रहते जनता के अजीज बन गए। तारा मंडल से लेकर कई ट्रेनों को उत्तराखण्ड तक लाने और विकास की गंगा बहाने में उनका विशेष योगदान रहा है। आगे भी वे प्रदेश के विकास में अहम भूमिका निभाते रहेंगे जिसके बलबूते उनके चुनाव जीतने में कोई शंका बाकी नहीं है।

हेमंत द्विवेदी, प्रदेश भाजपा प्रवक्ता एवं सह प्रभारी

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