उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कोरोना आंकड़ों में सरकार का बडा खेल सामने आया है। इस खेल से समझा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश सरकार कोरोना में मृत लोगों के आंकड़ों को कम दर्शा कर प्रदेश की चिंतनीय स्थिति पर पर्दा डालने की असफल कोशिश कर रही है । मृत लोगों का यह आंकड़ा अकेले लखनऊ शहर का है । लोगों का कहना है कि अगर हर शहर का आंकड़ा मिलान किया जाए तो बड़ा अंतर सामने आ सकता है। जिसमें योगी सरकार की आंकड़े छुपाने की पोल खुल सकती है। फिलहाल, कोरोना कंट्रोल में न सही लेकिन आंकड़े बाजी के खेल में यूपी सरकार आगे निकलती हुई दिख रही है।
अकेले लखनऊ शहर में ही कोरोना से होने वाली मौतों के सरकारी आंकड़ों और हॉस्पिटल से जारी किए गए मृत्यु प्रमाण पत्रों में बड़ा खेल सामने आया है। जिसके अनुसार एक मार्च 2021 से 17 मई तक तक लखनऊ में 1042 लोगों की कोरोना से मौत हुई है। यह तो रहा सरकारी आंकड़ा। जबकि असली कोरोना आकडा इससे कही ज्यादा हैं।
करीब ढाई महीने में ( एक मार्च से 17 मई तक ) लखनऊ में 13 हजार से ज्यादा मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए गए। 1 मई से 15 मई तक, यानी 15 दिनों में ही 4,802 मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए जा चुके हैं। यह पिछले साल कोरोना आने के बाद से अब तक किसी एक महीने में जारी किए मृत्यु प्रमाण पत्र सबसे ज्यादा हैं।
पिछले डेढ़ महीने में लखनऊ के हॉस्पिटल और नगर निगम से जारी मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर काफी अंतर सामने आया है। पिछले डेढ़ महीने यानी 1 अप्रैल से 15 मई तक 7,890 मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं। इसी साल 15 फरवरी से 31 मार्च तक 5970 मृत्यु प्रमाण पत्र जारी हुए थे। जबकि ढाई महीने में जारी 13,313 मृत्यु प्रमाण पत्र में 4,752 महिलाओं के हैं।
इस मामले में चौंकाने वाली बात यह है कि अधिकारियों को तक सही आंकड़ों का पता नहीं है । या ऐसा भी हो सकता है कि वह जानबूझकर आंकड़े सामने नहीं रख रहे हैं। इस बाबत लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर संजय भटनागर का कहना है कि मृत्यु प्रमाण पत्र के आंकड़ों के बारे में जानकारी नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि मैं पता करके बता सकता हूं। जबकि लखनऊ नगर आयुक्त अजय द्विवेदी भी इस मामले में बात को घुमा गए। वह कहतें हैं कि कि मृत्यु प्रमाण पत्र के बारे में जानकारी लेने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।