अफगानिस्तान में तालिबान सत्ता हो जाने के बाद से अंतराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों ने तालिबान को अफगानिस्तान सरकार के रूप में मान्यता नहीं दी है, लेकिन तालिबान ने अंतराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता पाने के लिए कई छोटे-छोटे कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। तालिबान द्वारा आपसी सहयोग को बढ़ावा देने के उदेश्य से दस देशो के राजनायिक प्रतिनिधियों के साथ 29 जनवरी को काबुल में बैठक की गई। अफगानिस्तान की समाचार एजेंसी खामा प्रेस अनुसार इस बैठक में हिस्सा लेने वाले देशों में भारत , कजाकिस्तान, तुर्किये, रूस, चीन, ईरान, पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, इंडोनेशिया और किर्गिस्तान शामिल रहे।
भारत समेत कई देशों ने अफगानिस्तान पर तालिबान द्वारा कब्जा कर लेने के बाद से ही अफगानिस्तान से सारे डिप्लोमैटिक संबंध तोड़ लिए थे और दूतावास भी बंद कर दिए गए थे। लेकिन अब तालिबान द्वारा की गई यह बैठक कई देशों के साथ अफगानिस्तान के संबंध जोड़ सकती है। तलिबान से सहयोग बढ़ाने के लिए हुई इस बैठक को अहम माना जा रहा है।तालिबान शाषन के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तक़ी ने सोमवार को हुई इस बैठक को संबोधित करते हुए तालिबानी हुकूमत पर लगी पाबंदिया हटाने की मांग की।

बैठक के दौरान तालिबानी विदेश मंत्री ने सभी देशो को यह विश्वास दिलाया कि अफगानिस्तान की फॉरेन पॉलिसी अर्थव्यवस्था पर आधारित है। उनके अनुसार अफगानिस्तान विवाद और टकराव की बजाय पड़ोसी देशों से सकारात्मक संबंधों की उम्मीद करता है। इसके अतिरिक्त उन्होंने कहा कि अफागनिस्तान में बरसों की घुसपैठ, अंदरूनी संघर्ष को लेकर कई तरह की चुनौतियां हैं लेकिन वो इनका हल चाहते हैं।
तालिबान विदेश मंत्रालय द्वारा एक बयान में कहा गया है कि, कार्यवाहक विदेश मंत्री मुत्ताकी पड़ोसी व क्षेत्रीय देशों के साथ संबंधों को अहम मानते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर भी दिया कि इन देशों को “अफगानिस्तान के साथ सकारात्मक बातचीत बढ़ाने और जारी रखने के लिए क्षेत्रीय बातचीत करनी चाहिए। गौरतलब है कि इस बैठक में भारत भी शामिल था हालांकि भारतीय अधिकारीयों का अभी तक इसे लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ। भारत ने तालिबान को एक राष्ट्र की सरकार के रुप में अभी तक कोई मान्यता नहीं दी है। भारत काबुल में एक समावेशी सरकार के गठन की वकालत कर रहा है।