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जम्मू-कश्मीर में 6 महीने और बढ़ा राष्ट्रपति शासन, लोकसभा और राज्यसभा से पास

जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन का विस्तार करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। अब राज्य में 3 जुलाई से लेकर अगले छह माह तक राष्ट्रपति शासन और रहेगा। जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2019 भी पारित हो गया है। सोमवार 1 जुलाई को गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की वैधता 6 महीने और बढ़ाने का प्रस्ताव पेश किया था। जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक भी पेश किया। राज्यसभा की कार्यवाही में भाग लेते हुए अमित शाह ने कहा, विधेयक के साथ ही कुठआ जिले के 70 सांबा और जम्मू जिले के 232 गांवों के बच्चों और कुल 435 गांव के 3.50 लाख आबादी को इसका लाभ होगा।

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन के दौरान हमने स्कूल खुलवाए, रसोई गैस उपलब्ध कराई, शौचालयों का निर्माण किया गया। बिजली उपलब्ध कराई। जम्मू कश्मीर में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ नहीं कराए गए। सभी उम्मीदवारों को सुरक्षा -व्यवस्व्था संभव नहीं था। चुनाव आयोग जम्मू कश्मीर में चुनाव कराने के लिए राजी होता है तो सरकार एक दिन की भी देरी नहीं करेगी। इससे पहले शुक्रवार को लोकसभा ने अमित शाह के प्रस्ताव के बाद छह महीने के लिए संशोधन विधेयक और जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन के विस्तार को मंजूरी दी थी।

टीएमसी, बीजेडी जेडीयू और आरजेडी ने भी जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को आगे बढ़ाने का समर्थन किया। जेडीयू सांसद रामचंद्र प्रसाद ने कहा कि राष्ट्रपति शासन में बहुत काम होता है। टीएमसी सांसद डेरेक ओब्रायन ने कहा कि हम राज्य में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने के प्रस्ताव का समर्थन करते हैं। लेकिन सरकार एनआरसी के नाम पर भारतीय नागरिकों को क्यों निशाना बना रही है ?

समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता राम गोपाल यादव ने राज्यसभा में घोषणा करते हुए कहा कि उनकी पार्टी जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन के 6 महीने के विस्तार का समर्थन करेगी। राज्य में राष्ट्रपति शासन की अवधि कल समाप्त हो रही है।कांग्रेस की तरफ से विप्लव ठाकुर ने इस मुद्दे पर सहमति की शुरुआत करते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर में लोकसभा के साथ विधानसभा के चुनाव क्यों नहीं कराए गए? गृहमंत्री ने कहा, 2 जुलाई को इसकी मान्यता समाप्त हो रही है। 20 जून 2018 को पीडीपी सरकार के पास समर्थन नहीं रहा और इसके बाद फिर किसी भी पार्टी ने सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया गया। इसके बाद वहां राज्यपाल शासन 6 महीने के लिए बढ़ा दिया गया। 21 नवंबर 2016 को कई सूचनाएं आई कि बहुमत पाने की स्थिति किसी के पास नहीं और हार्स ट्रेडिंग की भी खबरें राज्यपाल के पास आईं। इसके कारण 21 नवंबर को वहां विधानसभा भंग कर दी गई।

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