आजकल राजनीति में मुखौटे सामने आते रहते है। सरकार का एक रुप जो सबको दिखता है जबकि दूसरा पर्दे के पीछे होता है। ऐसा ही कुछ असम में देखने को मिल रहा है। सरकार एक तरफ एनआरसी को राष्ट्रीय मुद्दा बना चुकी है तो दूसरी उन्ही एनआरसी से प्रभावित विदेशियों के लिए करोडो रुपये का आश्रय स्थल बना रही है।
जगजाहिर है कि असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस यानि एनआरसी की अंतिम सूची से 19 लाख से अधिक लोगों को बाहर रखा गया है। हालांकि, उन्हें अपनी नागरिकता साबित करने के लिए कई मौके मिलेंगे। लेकिन जो लोग सूची से बाहर होंगे यानि जो विदेशी नागरिक होंगे, उन लोगों को रखने के लिए असम के गोलपाड़ा में सबसे बड़ा डिटेंशन सेंटर बनाया जा रहा है।

गोलपाड़ा जिले के पश्चिम मटिया क्षेत्र में भारत के पहले डिटेंशन सेंटर का निर्माण कार्य जोरों पर है। करीब 46 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे इस डिटेंशन सेंटर का निर्माण कार्य दिसंबर 2018 में शुरू हुआ था, जिसे दिसंबर 2019 में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस कैंप में रहने वालों के लिए शौचालय, अस्पताल, रसोई, भोजन और मनोरंजन की व्यवस्था के साथ-साथ स्कूल की सुविधा भी होगी।

इस डिटेंशन सेंटर का निर्माण 2 लाख 88 हजार वर्ग फीट के क्षेत्र में किया जा रहा है। इसमें सुरक्षाकर्मियों और अधिकारियों के लिए अलग आवासीय सुविधाएं होंगी।
गौरतलब है कि बीते 31 अगस्त 2019 को जारी एनआरसी की अंतिम सूची में 19 लाख से अधिक लोगों का नाम बाहर था। बाहर रखे गए लोगों को 120 दिन के भीतर असम में स्थापित 300 फॉरनर्स ट्रिब्यूनल में आवेदन करने का मौका दिया गया है।