भारत और नेपाल के बीच फिर से टकराव की स्थिति है। पिछली बार नेपाल के संविधान की वजह से दोनों देशों में तनाव था और इस बार कालापानी की वजह से टेंशन है। चीन की तरफ झुकाव रखने वाले नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भारत को अल्टीमेटम दिया है। उन्होंने कहा है कि भारत को कालापानी से तुरंत अपनी सेना हटानी होगी। पीएम ओली की मानें तो किसी को भी एक इंच जमीन नहीं लेने देंगे। इस मसले पर भारत के खिलाफ फिर से नेपाल में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं।नेपाल में इन दिनों भारत के नए मानचित्र को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है। इस बीच नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने कहा कि नेपाल भारत और तिब्बत के बीच ट्राइजंक्शन में स्थित कालापानी क्षेत्र नेपाल का हिस्सा है और भारत को वहां से अपनी सेना तुरंत हटा लेनी चाहिए।
भारत ने हाल ही में जम्मू -कश्मीर और लद्दाख के नए केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद देश का नया नक्शा जारी किया था,जिसके बाद नेपाल ने कालापानी क्षेत्र को उत्तराखण्ड में दिखाए जाने पर एतराज जताया था। नेपाल की आपत्ति के जबाब में भारत ने कहा था कि नक्शा पूरी तरह संप्रभुता को दर्शाता है और नेपाल के साथ सीमा में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया गया है।
नेपाल के प्रधानमंत्री का कहना है कि भारत कालापानी क्षेत्र से अपने सशस्त्रबलों को हटाए। नेपाल की ‘राष्ट्रभक्त’ सरकार अपनी एक इंच जमीन पर भी किसी को अतिक्रमण करने नहीं देगी। भारत के इस नए मानचित्रों में पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर, नवसृजित केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर का हिस्सा, जबकि गिलगित बाल्तिस्तान केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख का हिस्सा है। छह नवंबर को नेपाल सरकार ने कहा था कि मीडिया की खबरों से कालापानी भारतीय मानचित्र में शामिल किये जाने की ओर उसका ध्यान गया।
नेपाली प्रधानमंत्री के निजी सचिव की ओर जारी विज्ञप्ति में कहा गया है, ”हमारी राष्ट्रभक्त सरकार किसी को भी नेपाल की सरजमीं का एक इंच भी अतिक्रमण नहीं करने देगा। पड़ोसी देश भारत को कालापानी क्षेत्र से अपने जवानों को वापस बुला लेना चाहिए।” उन्होंने इसपर बल दिया कि उनकी सरकार कूटनीति के माध्यम से कालापानी मुद्दे का हल चाहती है।
प्रधानमंत्री का बयान ऐसे समय में आया है जब मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस ने अपने सहयोगी संगठन नेपाल स्टूडेंट्स यूनियन को इस मांग के साथ सड़क पर उतार दिया कि विवादित सीमा क्षेत्र से भारतीय सैनिकों की वापसी हो। नेपाल के बड़े राजनीतिक दलों ने भारत सरकार के नये मानचित्रों पर आपत्ति की है जिनमें कालापानी को भारत की सीमा के अंदर दिखाया गया है।नेपाल के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि नेपाल सरकार इस बात पर स्पष्ट है कि कालापानी नेपाल का है। कुछ दिन पहले ओली द्वारा बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक में प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं ने सलाह दी थी कि इस मुद्दे का कूटनीति के माध्यम से समाधान करने के लिए भारत के साथ उच्च स्तरीय राजनीतिक बातचीत शुरू की जानी चाहिए।
नेपाल की सत्तारूढ़ पार्टी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की यूथ विंग नेपाल युवा संगम की एक बैठक को संबोधित करते हुए ओली ने कहा, हम अपने भू-भाग के एक इंच पर भी किसी देश को कब्जा नहीं करने देंगे। भारत को इसे खाली करना होगा। ओली ने आगे कहा कि हमारे भू-भाग से भारतीय सेना के हटने के बाद ही हम किसी वार्ता में शामिल होंगे।हमारी सरकार अपने देश की सीमाओं की सुरक्षा करने में पूरी तरह से सक्षम है, देश के सुरक्षा बल अपनी जमीन पर अपना अधिकार वापस पाने के लिए एकजुट हैं। हालाकि नेपाली पीएम ने यह बात भी स्वीकार की है कि भारत के नए नक्शे के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन प्रोपेगैंडा का हिस्सा है. ओली ने कहा ‘कालापानी इलाके को लेकर ऐसा प्रोपेगैंडा फैलाया जा रहा है जैसे वह आज ही की घटना हो जबकि यह दशकों पहले की बात है।