इस समय पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जंग लड़ रही है और अब धीरे-धीरे कोरोना नियंत्रण में आता नजर आ रहा है। लेकिन अब भी कई देशों में लॉकडाउन जारी है। कोरोना महामारी के चलते दुनिया भर में लोगों को कई तरह की परेशानियां झेलनी पड़ी है। यूएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना महामारी ने विश्व के 12 करोड़ लोगों को गरीब बना दिया है। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटारेस ने खुद इस बात का जिक्र किया है।
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश की ओर से इंटरनेशनल डे फार इरेडिक्शन आफ पावरटी वर्ल्ड मैप पर कहा गया कि गरीब लोगों की इतनी तेजी से बढ़ती संख्या चिंता का विषय है क्योंकि बीते दशकों में भी इतनी तेजी नहीं देखी गई थी। उन्होंने इस विषय को गंभीर बताते हुए कहा कि दुनिया में इस समय तो गरीबी का स्तर है वो हमें नैतिक कटघरे में ला खड़ा करता है।
यूएन प्रमुख ने ये भी कहा कि पूरी दुनिया और समाज की अर्थव्यवस्था को कोरोना महामारी अस्त व्यस्त कर दिया है। इसी के चलते दुनिया भर में आज 12 करोड़ लोग निधर्रता की कगार पर हैं। सम्मान जनक जीवन और इनकी पुनर्बहाली पर अपनाए जाने वाले गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण विश्व में अमीर गरीब की खाई चौड़ी होती जा रही है। इसके समाधान को खोजने के लिए एकजुटता की आवश्यकता है जो फिलहाल कहीं भी नजर नहीं आ रही है।
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने दुनिया को आगाह किया कि यह लड़ाई सिर्फ गरीबी के खिलाफ ही नहीं बल्कि दुनिया में फैली असमानता के खिलाफ भी होनी चाहिए। इस मौके पर उन्होंने एक बार फिर कोरोना वैक्सीन के वितरण के असमान वितरण का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि इसी असमानता के कारण दुनिया में कोरोना के नए रूप देखने को मिले हैं। इससे दुनिया में लाखों लोग अपना जीवन खो बैठे और अरबों डॉलर का असर विश्व अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा। गुटेरेस ने कहा कि इसे रोकना बेहद जरूरी है।
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यूएन महासचिव ने बताया कि विश्व में पुरुषों से अधिक महिलाएं निर्धनता की चपेट में हैं। इसलिए आपसी तालमेल जरुरी है। दुनिया की आधी आबादी को साथ लेकर बढ़ना महत्वपूर्ण है।