जी-20 शिखर सम्मेलन के बाद मोदी सरकार ने संसद का विशेष सत्र बुलाया है। संसद के विशेष सत्र में क्या होगा? अभी तक इस संबंध में केवल अनुमान ही लगाये गये थे। हालाँकि, आज जो घटनाक्रम सामने आया है, उससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि केंद्र सरकार संसद के विशेष सत्र के दौरान देश का नाम बदलने का प्रस्ताव ला सकती है। साथ ही केंद्र सरकार संसद के विशेष सत्र में ‘INDIA’ का नाम बदलकर भारत करने का नया प्रस्ताव पेश कर सकती है। संसद का पांच दिवसीय विशेष सत्र 18 सितंबर से शुरू होगा और उम्मीद है कि मोदी सरकार कोई बड़ा फैसला लेगी।
लाइव मिंट के अनुसार, यूसीसी और ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के बाद एक और भविष्यवाणी की जा रही है, जो अनुच्छेद 368 के तहत संवैधानिक संशोधन के माध्यम से हमारे राष्ट्र का नाम ‘INDIA’ से ‘भारत’ में आधिकारिक बदलाव की ओर इशारा करती है। राष्ट्रपति भवन ने 9 सितंबर को जी20 शिखर सम्मेलन के लिए मेहमानों को रात्रिभोज के लिए आमंत्रित किया है। जिसमें ‘INDIA’ के राष्ट्रपति’ की जगह ‘भारत के राष्ट्रपति’ शब्द का इस्तेमाल किया गया है। कांग्रेस ने मंगलवार को भारत के राष्ट्रपति के नाम पर निमंत्रण भेजने के लिए सरकार की आलोचना की।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया ट्वीट पर लिखा कि, ‘तो ये खबर वाकई सच है। राष्ट्रपति भवन ने 9 सितंबर को जी20 रात्रिभोज के लिए ‘INDIA के राष्ट्रपति’ के बजाय ‘भारत के राष्ट्रपति’ नाम से निमंत्रण भेजा है। जयराम रमेश ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 1 के अनुसार, “भारत, जो इंडिया था, राज्यों का एक संघ था।” लेकिन अब इस “राज्यों के संघ” पर भी हमला हो रहा है।
जैसे ही जयराम रमेश ने यह बड़ा दावा किया, उसी समय असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने अपने ट्विटर पर REPUBLIC OF BHARAT लिखा और कहा कि हमारी सभ्यता अमृत कल की ओर मजबूती से आगे बढ़ रही है। अब राजनीतिक गलियारों में इस मुद्दे पर चर्चा शुरू हो गई है। इस बीच मामले को लेकर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया है।
REPUBLIC OF BHARAT – happy and proud that our civilisation is marching ahead boldly towards AMRIT KAAL
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) September 5, 2023
उन्होंने लिखा, ‘देश के सम्मान और गौरव से जुड़े हर मुद्दे पर कांग्रेस को इतनी आपत्ति क्यों होती है? भारत जोड़ो के नाम पर राजनीतिक यात्रा करने वालों को भारत माता की जय नारे से नफरत क्यों है? कांग्रेस को न देश का सम्मान है, न देश के संविधान का सम्मान है, न संवैधानिक संस्थाओं का सम्मान है। उन्हें सिर्फ एक खास परिवार का महिमामंडन करने से मतलब है। पूरा देश कांग्रेस के राष्ट्रविरोधी और संविधान विरोधी इरादों से भलीभांति परिचित है।” इससे पहले बीजेपी के राज्यसभा सांसद हरनाथ यादव ने मांग की थी कि देश का नाम बदलकर भारत किया जाना चाहिए। भारत हमारी संस्कृति का प्रतिबिंब है। उन्होंने यह भी कहा कि प्राचीन काल से ही देश का नाम भारत है।
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केंद्रीय मंत्री ने क्या कहा?
वहीं इस मामले पर केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर की प्रतिक्रिया सामने आई है। जयराम रमेश के दावे पर राजीव ने कहा कि उन्हें हर चीज से दिक्कत है और मैं कुछ नहीं कहना चाहता। मैं एक ‘भारतीय’ हूं, मेरे देश को ‘इंडिया’ कहा जाता था और हमेशा ‘इंडिया’ ही कहा जाएगा। यदि कांग्रेस को यह समस्या है तो उसे स्वयं इसका समाधान निकालना चाहिए।
अगर इंडिया नाम रखा गया तो विपक्ष क्या करेगा?
इस मामले पर जब दिल्ली के मुख्यमंत्री से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि भारत के नाम क्यों बदले जा रहे हैं? इस देश में 140 करोड़ नागरिक हैं। अगर विपक्षी दल अपने गठबंधन का नाम भारत रखेंगे तो क्या वे भारत का नाम भी बदल देंगे?
ऐसे में शुक्रवार को गुवाहाटी में एक कार्यक्रम के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपील की कि देश को INDIA नहीं बल्कि भारत कहा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सदियों से हमारे देश का नाम इंडिया नहीं भारत है। गुवाहाटी में सकल जैन समाज के एक कार्यक्रम में मोहन भागवत ने कहा था कि हमारे देश का नाम भारत है, इसलिए हम दुनिया में कहीं भी जाएं, जब कहें, सुनें और लिखें तो देश का नाम हमेशा भारत ही होना चाहिए। भले ही कोई इसे न समझे, फिर भी इसकी बिल्कुल भी चिंता न करें। यदि दूसरा समझना चाहेगा तो वह स्वयं समझ जायेगा। आज दुनिया को हमारी जरूरत है। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि हम दुनिया के बिना रह सकते हैं, लेकिन दुनिया हमारे बिना नहीं रह सकती।
क्या इंडिया नाम हटाया जा सकता है?
संविधान के अनुच्छेद 1 में कहा गया है कि इंडिया यानी भारत राज्यों से मिलकर बना देश है। अनुच्छेद संख्या 1 भारत और इण्डिया दोनों नामों पर सहमति देता है। अगर केंद्र सरकार देश का नाम सिर्फ भारत रखना चाहती है और इंडिया हटाना चाहती है तो उन्हें संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन करना होगा। उसके लिए प्रस्ताव लाकर मंजूरी देनी होगी। इसके लिए संसद में एक बिल लाना होगा और उसे दो-तिहाई बहुमत से मंजूरी देनी होगी, तभी हमारे देश का नाम इंडिया हट सकता है और भारत नाम रह सकता है।
लोकसभा में फिलहाल 538 सांसद हैं। इंडिया नाम हटाने के बिल को मंजूरी देने के लिए 356 सांसदों को भारत नाम की मंजूरी की जरूरत है। राज्यसभा में 238 सांसद हैं। उस वक्त इस बिल को पास कराने के लिए 157 सांसदों को भारत नाम के पक्ष में वोट करना होगा।