Uttarakhand

शहीद वाटिका पर टाल-मटोली…

उत्तराखण्ड की एक बड़ी पहचान भारतीय सेना की शान कही जाने वाली कुमाऊं रेजिमेंट और गढ़वाल रेजिमेंट से है। देश का सर्वोच्च शौर्य पुरस्कार परमवीर चक्र पाने वाले कुमाऊं रेजिमेंट के मेजर सोमनाथ शर्मा पहले व्यक्ति थे। आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे राष्ट्र में लेकिन नौकरशाही की लापरवाही चलते शहीदों की स्मृति को समुचित सम्मान नहीं दिया जाना चिंताजनक है

प्रदेश के सीमांत जनपद पिथौरागढ़ के चंडाक रोड स्थित मां उल्का देवी मंदिर के बगल में स्थापित शहीद स्मारक जिसे शहीद वाटिका के रूप में विकसित होना था, वह वर्षों बाद भी पूरा नहीं बन पाया है। इस शहीद स्मारक स्थल पर अभी भी कई मुख्य काम आधे-अधूरे ही हैं। अभी तक शहीद स्मारक का गेट बनकर उस पर साइन बोर्ड नहीं लग पाया है। स्टेच्यू भी नहीं बन पाया। लाइटिंग भी नहीं हो पाई है। शहीद स्मारक स्थल तक जो सड़क प्रस्तावित थी, उस पर भी काम नहीं हो पाया है। इसके अलावा शहीद स्मारक स्थल की मेंटीनेंस भी नहीं हो पा रही है। जबकि कार्यदायी संस्था मेंटीनेंस का पैसा अपने पास रखती है। 25 लाख की लागत वाले इस स्मारक में 20 लाख का काम तो हुआ है लेकिन पूर्व सैनिक शहीद स्मारक समिति का कहना है कि 5 लाख की धनराशि का कहीं कोई पता नहीं है। स्मारक स्थल पर टाइल्स फ्लोरिंग का जो काम इस धनराशि से होना था, वह काम नगरपालिका ने किया है। इस स्थल पर लोगों के बैठने के लिए बेंच, शौचालय, पाथवे का काम भी पूर्ण नहीं हो पाया है। जबकि अभी पांच लाख की धनराशि शेष बची हुई है। बची हुई शेष धनराशि से कई काम हो सकते थे।

शहीद समिति के सदस्यों का यह भी आरोप है कि कारगिल व अन्य शहीद दिवस पर होने वाले कार्यक्रमों में सत्ता से जुड़े लोगों को ही बुलाया जाता है। जिन लोगों ने इस स्मारक को बनाने के लिए दिन-रात एक किया, उनकी लगातार अवहेलना की जाती रही है। हालांकि कई बार इस स्मारक स्थल (शहीद वाटिका) के सौंदर्यीकरण व रखरखाव संबंधी कार्यों की जिलाधिकारी स्तर पर समीक्षा होती रहती है। दिशा-निर्देश भी शामिल होते हैं लेकिन उसके बावजूद इसे शहीद वाटिका का रूप देने का काम धरातल पर नहीं उतर पाया है। अभी तक यहां जो 13 दीवारें बनी हैं, उनमें 592 शहीदों के नाम अंकित हैं। जिनमें 126 फ्रीडम फाइटर्स, 81 नेशनल इंडियन आर्मी, 354 आर्मी शहीद, 31 पैरा मिलट्री फोर्स जिसमें 19 आसाम राइफल्स, 11 बीएसएफ, 1 एसएसबी जवान के नाम शामिल हैं।

जनपद पिथौरागढ़ सेना बाहुल्य क्षेत्र रहा है। यहां के रणबांकुरों ने सीमा की रक्षा में अपने प्राण न्यौछावर किये हैं। सीमा की रक्षा के लिए सर्वाधिक शहादत देने वाला यह पहला जनपद है। जनपद के शहीदों के सम्मान और उनके आश्रितों की भावनाओं को समझते हुए इस शहीद वाटिका के निर्माण की पहल शुरू हुई थी। जनभावनाओं को देखते हुए प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इसे शहीद वाटिका के रूप में विकसित करने के लिए 1 करोड़ रुपए की घोषणा की थी। इसके बाद लोक निर्माण विभाग ने एक करोड़ की डीपीआर बनाकर शासन को सौंप दी थी लेकिन यह डीपीआर आज भी शासन स्तर पर ही लटकी हुई है। बाद की सरकारों ने इस घोषणा पर अमल करना उचित नहीं समझा। जबकि पूर्व सैनिक शहीद स्मारक समिति के अध्यक्ष ले. कर्नल, एसपी गुलेरिया मुख्यमंत्रियों को इस बावत कई बार पत्र लिख चुके हैं। वर्ष 2012 से इस शहीद स्मारक स्थल को लेकर प्रयास शुरू हुए। वर्ष 2014 में इस शहीद स्मारक को बनाने का काम शुरू हुआ था लेकिन यह अभी भी अपने वास्तविक स्वरूप के अनुसार नहीं बन पाया है। वर्तमान सरकार भी इस मामले में ढीला-ढाला रवैया अपनाए हुए है। जनपद के पूर्व सैनिकों का कहना है कि अगर इस स्थल को शहीद वाटिका के रूप में विकसित किया जाता है तो यह जनपद के शहीद सैनिकों को असली श्रद्धांजलि होगी।

बात अपनी-अपनी
जनपद में शहीदों के सम्मान और उनके आश्रितों की भावनाओं को समझते हुए यहां के पुराने स्मारक स्थल को शहीद वाटिका बनाने के लिए पहल शुरू की गई थी लेकिन अभी भी कई काम आधे-अधूरे हैं। इस स्मारक स्थल के लिए जो 25 लाख रूपए स्वीकृृत थे उसमें से 20 लाख का काम तो हुआ है लेकिन शेष 5 लाख की धनराशि का कोई लेखा-जोखा नहीं है। जबकि अभी न तो स्मारक स्थल का साइनबोर्ड बना है, न ही स्टेच्यू बन पाया है न ही लाइटिंग हो पाई है। यह काम शीघ्रताशीघ्र होने जरूरी हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इसे वाटिका का रूप देने के लिए जो 1 करोड़ रुपए की घोषणा की थी, उस पर भी वर्तमान सरकार द्वारा अमल नहीं किया जा रहा है।
ले. कर्नल, एस.पी. गुलेरिया, अध्यक्ष पूर्व सैनिक शहीद स्मारक समिति

शहीद स्मारक का काम कम्पलीट हो चुका है। उसमें काम कितना सही हुआ है या कोई कमी रह गई है इसकी मैं जानकारी लेती हूं। जहां तक आप सौन्दर्यीकरण की बात कर रहे हैं उसके लिए क्या प्रक्रिया हो चुकी है यह भी मुझे देखना है। इसी के बाद मैं कुछ कह पाउंगी।
रीना जोशी, जिलाधिकारी, पिथौरागढ़

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