फिल्म ‘छावा’ के एक दृश्य में अभिनेता विकी कौशल और अभिनेत्री रश्मिका मंदाना इन दिनों 14 फरवरी 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई एक फिल्म की चर्चा चौतरफा हो रही है। यह फिल्म है ‘छावा’। फिल्म एक ऐतिहासिक महाकाव्य है जो छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित है। विक्की कौशल ने इस फिल्म में मुख्य भूमिका निभाई है, जबकि रश्मिका मंदाना ने महारानी येसूबाई का किरदार निभाया है। फिल्म का निदेज़्शन लक्ष्मण उतेकर ने किया है। रिलीज के बाद, ‘छावा’ ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन किया है। फिल्म ने पहले दिन 31 करोड़ रुपए की कमाई की, दूसरे दिन 37 करोड़ रुपए और तीसरे दिन 48.50 करोड़ रुपए का संग्रह किया, जिससे कुल कमाई 116.50 करोड़ रुपए हो गई। फिल्म के संगीत की रचना ए.आर. रहमान ने की है, जो इसकी एक प्रमुख विशेषता है। ‘छावा’ एक ऐसी फिल्म है जो इतिहास, उत्कृष्ट अभिनय और शानदार संगीत का संगम प्रस्तुत करती है, जिसे दर्शकों द्वारा खूब सराहा जा रहा है
बॉलीवुड में इतिहास, शौर्य और बलिदान की कहानियों पर आधारित कई फिल्मों को भव्य तरीके से प्रस्तुत किया गया है। ‘तानाजी: द अनसंग वॉरियर’, ‘पानीपत’, ‘बाजीराव मस्तानी’ जैसी फिल्मों के जरिए इतिहास और वीरता की कहानियों को बड़े परदे पर फिल्माया है। ऐसी ही एक फिल्म ‘छावा’, जो छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित है बॉक्स ऑफिस पर हाल ही में रिलीज हुई है, संभाजी महाराज मराठा साम्राज्य के शौयज़्, बलिदान और संघषज़् की कहानी का प्रतीक है। ‘छावा’ नाम भी उनके उपनाम से जुड़ा हुआ है, जिसका अर्थ है ‘शेर का बच्चा’ यानी छत्रपति महाराज के पुत्र संभाजी महाराज जो इस फिल्म में मुख्य भूमिका विक्की कौशल निभा रहे हैं, जबकि रश्मिका मंदाना, अक्षय खन्ना, आशुतोष राणा, और विनीत कुमार सिंह ने महत्वपूर्ण किरदार अदा किए हैं। छावा ने तीन दिनों में घरेलू बॉक्स ऑफिस पर सौ करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया था और दुनिया भर में 200 करोड़ की कमाई कर चुकी है।
कहानी : फिल्म की कहानी छत्रपति शिवाजी महाराज के निधन के बाद शुरू होती है, जब मुगल सम्राट औरंगजेब (अक्षय खन्ना) सोचता है कि अब मराठा साम्राज्य को परास्त करना आसान होगा। लेकिन शिवाजी महाराज के पुत्र, संभाजी महाराज (विक्की कौशल), अपने पिता के स्वराज्य के सपने को साकार करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। संभाजी महाराज अपने सेनापति हंबीरराव मोहिते (आशुतोष राणा) और बहादुर सैनिकों के साथ मुगल साम्राज्य के महत्वपूर्ण गढ़ बुरहानपुर पर आक्रमण करते हैं, जिससे औरंगजेब को उनकी शक्ति और साहस का एहसास होता है। इसके बाद, संभाजी और उनकी सेना नौ वर्षों तक मुगलों के विभिन्न किलों पर हमले करते रहते हैं, जिससे औरंगजेब की रणनीतियां विफल हो जाती हैं। हालांकि अंतत: अपने ही लोगों के विश्वासघात के कारण, संभाजी महाराज को पकड़ लिया जाता है और औरंगजेब द्वारा कठोर यातनाएं दी जाती हैं। फिल्म उनके बलिदान, वीरता और मराठा साम्राज्य के लिए उनके योगदान को दर्शाती है। पूरी कहानी विक्की कौशल के किरदार छत्रपति संभाजी महाराज उर्फ़ छावा के इर्द-गिर्द घूमती है। इस फिल्म में विक्की कौशल को बहुत बड़ा ऐतिहासिक किरदार निभाने का मौका मिला है,
अभिनय : विक्की कौशल ने संभाजी महाराज के रूप में एक शक्तिशाली प्रदर्शन दिया है, जो उनके करियर की सर्वश्रेष्ठ भूमिकाओं में से एक माना जा रहा है। लेकिन अपनी और एक्टिंग से उन्होंने इस किरदार की गरिमा को धूमिल कर दिया। कुछ दृश्यों को छोड़ दें तो पूरी फिल्म में वो चीखते चिल्लाते ही नजर आए हैं। उन्होंने छत्रपति संभाजी महाराज जैसे वीर योद्धा के मर्म को ठीक से नहीं समझा। छत्रपति संभाजी महाराज के किरदार में वो सबसे खराब लगे हैं। अक्षय खन्ना ने औरंगजेब के किरदार में गहराई और प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज की है। फिल्म में भले ही उनके कम डायलॉग हैं, लेकिन जब बोलते हैं, तब बहुत ही सधे हुए बोलते हैं। वो अपने हर लुक में अपनी चुप्पी से ही खौफ पैदा कर देते हैं। अभिनेत्री रश्मिका मंदाना ने महारानी येसूबाई के किरदार को अच्छे से निभाया है। जबकि डायना पेंटी ने औरंगजेब की बेटी जीनत-उन-निस्सा बेगम का किरदार निभाया है। उनकी एक्टिंग देखकर लगता है कि उनसे जबरदस्ती एक्टिंग करवाई जा रहा है। हालांकि कुछ समीक्षकों ने उनकी संवाद अदायगी पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं दी हैं। आशुतोष राणा और विनीत कुमार सिंह ने अपने-अपने किरदारों में मजबूती से योगदान दिया है।
निर्देशन और संगीत : लक्ष्मण उतेकर ने ऐतिहासिक कथाओं को संवेदनशीलता और भव्यता के साथ प्रस्तुत करने की कोशिश की है। उनकी पिछली फिल्में ‘लुका छुपी’ और ‘मिमी’ आधुनिक कहानियां थीं, लेकिन ‘छावा’ के साथ उन्होंने एक भव्य ऐतिहासिक गाथा में हाथ आजमाया है। निर्देशन की सबसे बड़ी ताकत युद्ध के दृश्यों, भावनात्मक तनाव और संभाजी महाराज के चारित्रिक विकास में दिखती है। उतेकर ने न केवल बड़े पैमाने के युद्ध दृश्यों पर ध्यान दिया, बल्कि मराठा संस्कृति और उस दौर की राजनीतिक जटिलताओं को भी बारीकी से उकेरा है। हालांकि कुछ समीक्षकों अनुसार, फिल्म का मध्यांतर थोड़ा धीमा महसूस होता है, लेकिन चरमोत्कर्ष में इसे संतुलित किया गया है। ए.आर. रहमान का संगीत फिल्म की आत्मा है। उन्होंने पारंपरिक मराठी संगीत के साथ अपने सिग्नेचर आर्केस्ट्रा टच को शानदार तरीके से मिलाया है। बैकग्राउंड स्कोर युद्ध और नाटकीय दृश्यों को ऊंचाई देता है और गाने कथानक के साथ गहराई से जुड़े हुए हैं। खासतौर पर फिल्म का ‘संभाजी गाथा’ ट्रैक रोंगटे खड़े कर देने वाला अनुभव देता है। हालांकि कुछ लोगों को संगीत थोड़ा ओवरपावरिंग लग सकता है, खासकर इमोशनल दृश्यों में, लेकिन रहमान के प्रशंसकों के लिए यह एक संगीतमय ट्रीट है।
यदि आप ऐतिहासिक फिल्मों और वीर गाथाओं के प्रशंसक हैं तो ‘छावा’ फिल्म आपके लिए एक मनोरंजक अनुभव हो सकती है। फिल्म में उत्कृष्ट अभिनय, विशेष रूप से विक्की कौशल का और प्रभावशाली युद्ध दृश्य हैं। हालांकि, कहानी में कुछ कमियां हैं, लेकिन कुल मिलाकर यह एक देखने योग्य फिल्म है।