किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने अर्धवार्षिकी पूरा होने पर कल 26 मई को काले झंडे फहरा कर और पुतले जला कर विरोध प्रदर्शन करने का एलान किया है। इस दिन किसान काला दिवस मनाते हुए दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करेंगे। इसके लिए पंजाब और हरियाणा से बडी संख्या में किसानों के दिल्ली कूच करने की खबरें आ रही है। कल के विरोध प्रदर्शन पर देशभर के लोगों की नजर हैं। याद रहे कि 26 मई को जहां किसान आंदोलन को छह महीने पूरे हो रहे हैं वहीं मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दो साल भी पूरे हो रहे हैं।
गौरतलब है कि गत वर्ष 26 नवम्बर से दिल्ली की तीन सीमाओं पर आंदोलन कर रहे पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों के साथ केंद्र सरकार ने 11 दौर की बातचीत की। जिसमें किसानों ने तीन कृषि बिल कानूनों को स्थगित करने की मांग की थी। लेकिन सरकार ने इसे अस्वीकार दिया था।
इसके बाद से ही संयुक्त किसान मोर्चा अपनी रणनीति बनाने में जुटा था। कोरोना महामारी के बढते प्रकोप के चलते आंदोलन में कुछ दिन के लिए स्थिरता आ गई थी। लेकिन फिर से किसानों ने इस मुद्दे पर हुंकार भरी है।
फिलहाल, कांग्रेस समेत 12 प्रमुख विपक्षी दलों ने 26 मई को संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी विरोध प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया है। साथ ही केंद्र सरकार को किसानों से वार्ता करने की मांग की है। इनमें सोनिया गांधी, एचडी देवगौड़ा, शरद पवार, ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे, स्टालिन, हेमंत सोरेन, फारुख अब्दुल्ला, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, डी राजा, सीताराम येचुरी आदि मुख्य रूप से शामिल है।
सभी ने एक साझा बयान जारी कर किसान मोर्चा के विरोध प्रदर्शन को समर्थन दिया है। यही नहीं बल्कि 12 मई को प्रधानमंत्री को लिखी चिठ्ठी में इन विपक्षी नेताओं ने आग्रह किया था कि महामारी की भेंट चढ़ रहे लाखों अन्नदाताओं की रक्षा के लिए सरकार कृषि कानूनों को निरस्त करे।
विपक्षी नेताओं ने मोदी सरकार को किसानों से बात करने की सलाह दी है। बयान में कहा गया है कि केंद्र सरकार को अपनी जिद छोड़ कर तुंरत संयुक्त किसान मोर्चा के साथ बातचीत शुरू करनी चाहिए।