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भाजपा को नुकसान पहुंचा सकते हैं सहयोगी

भारतीय जनता पार्टी ने पंजाब में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। पंजाब प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा कि पार्टी शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी। इससे पहले दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन के कयास लगाए जा रहे थे। ऐसे में माना जा रहा है कि चुनाव के पहले एनडीए से गठबंधन तोड़ने वाले दल भाजपा को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इन सभी दलों का अपने-अपने राज्य में काफी वर्चस्व है और अपना बड़ा वोट बैंक भी है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या भाजपा इन दलों का वोट बैंक अपने पाले में ला पाएगी? पंजाब में अकाली दल एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में अकाली दल और भाजपा ने मिलकर चुनाव लड़ा, हालांकि दोनों ही दलों के खाते में दो-दो सीटें आई थी। इस चुनाव में अकाली दल को 27 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे, जबकि भाजपा को 10 फीसदी से भी कम वोट मिले थे। इसी तरह हरियाणा में जेजेपी की जाट वोटर्स पर मजबूत पकड़ है, जहां 25 फीसदी जाट वोट हैं। यहां भी भाजपा ने अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की है। कहा जा रहा है कि भाजपा ने जाटव वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए जेजेपी से गठबंधन खत्म किया है, क्योंकि पिछली बार यह वोट कांग्रेस के पाले में ज्यादा गया था। ऐसे में यहां बीजेपी को कम नुकसान होने की संभावना है। हालांकि दुष्यंत चौटाला ने राजस्थान की 20 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है, जो भाजपा के लिए खतरे की घंटी है। वहीं महाराष्ट्र की बात करें तो यहां शिवसेना को एक ताकतवर दल माना जाता है, जिसके पास मजबूत मराठा वोट बैंक है। हालांकि अब शिवसेना में दो-फाड़ हो चुके हैं। इसका एक गुट एनडीए और दूसरा इंडिया गठबंधन के साथ है। भाजपा ने शिवसेना से अलग हुए गुट को एनडीए में जगह दी है, लेकिन इससे उसे कोई लाभ होता दिखाई नहीं दे रहा है। शिवसेना के टूटने से उद्धव ठाकरे गुट को सहानुभूति वोट मिल सकता है।

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