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पांच सौ से अधिक लोगों की जानें बचा चुकी है अतुल भाई की फ्री ऑटो रिक्शा एम्बुलेंस सेवा 

मानव जीवन का उद्देश्य है कि अपने मन वचन और काया से औरों की मदद करना। हमेशा यह देखा गया है कि जो लोग दूसरों की मदद करते हैं, उन्हें कम तनाव रहता है, मानसिक शांति और आनंद का अनुभव होता है। वे अपनी आत्मा से ज़्यादा जुड़े हुए महसूस करते हैं, और उनका जीवन संतोषपूर्ण होता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है वडोदरा के ऑटो रिक्शा चाक अतुल ने।

दरअसल 18 जनवरी 2011 में अचानक  अतुल की  पत्नी की तबीयत बिगड़ गई थी। उस समय उनका  ऑटो रिक्शा पंचर था। ऐसे में  एक किलोमीटर तक पैदल भागकर  उन्होंने किराए का रिक्शा लेकर पत्नी को अस्पताल पहुंचाया। आज उनकी  पत्नी का हार्ट सिर्फ 35 प्रतिशत ही काम कर रहा है और उन्हें  कई बीमारियां भी हैं। अगर, उस दिन समय पर इलाज हुआ होता तो आज यह हालत न होती। अतुल बताते हैं कि इस घटना से सीख लेकर उन्होंने  मुफ्त ऑटो रिक्शा एम्बुलेंस की शुरुआत की।

वडोदरा के अक्षर चौक इलाके में रहने वाले अतुल भाई ठक्कर पिछले 10 साल से ‘मुफ्त ऑटो रिक्शा एम्बुलेंस’ चला रहे हैं। वो रात 11 बजे से लेकर सुबह 5 बजे तक मरीजों को अस्पताल ले जाते हैं। अब तक 500 से ज्यादा मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाकर उनकी जान बचा चुके हैं।

वडोदरा के रहने वाले कंचनभाई पारेख बताते हैं कि एक दिन जब मेरी तबियत बहुत ज्यादा बिगड़ गई तो मेरी पत्नी ने अतुल भाई को फोन किया। वो तुरंत ही मेरे घर आए और मुझे ऑटो में बिठाकर अस्पताल ले गए। मेरा समय पर इलाज हुआ था। तब मेरा हार्निया का ऑपरेशन हुआ था।

अतुल भाई ठक्कर बताते हैं कि 10 वर्ष  पहले मेरी बीबी को समय पर इलाज नहीं मिला था, लेकिन ईश्वर ने उसे बचा लिया था। मेरे मन में विचार आया कि मेरे पास ऑटो और रुपए होने के बावजूद भी मुझे इतनी सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा था, तो जिसके पास रुपए और वाहन नहीं है, वो कितने परेशान होते होंगे। इसलिए मैंने मुफ्त ऑटो रिक्शा एम्बुलेंस शुरू करने की ठानी।

15 फरवरी 2011 को मैंने अपने जन्मदिन पर ये सर्विस शुरू की थी। लोग मुझे आधी रात को फोन करते हैं  और मैं  हमेशा सेवा के लिए तैयार रहता हूं। मैं स्कूल रिक्शा भी चलता हूं, लेकिन अभी ये काम कोरोना के चलते बंद है। फिर भी रात के समय पर एम्बुलेंस सर्विस जारी है। लॉकडाउन में और जनता कर्फ्यू के दिन भी मेरी एम्बुलेंस सर्विस जारी रही थी।

अतुल भाई की पत्नी प्रीति बेन ठक्कर कहती हैं कि आधी रात को भी उन्हें किसी का फोन आए तो वो तुरंत ही मरीज को अस्पताल पहुंचाने के लिए तैयार हो जाते हैं। मुझे मेरे पति के सेवा कार्य पर गर्व है।

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