जिस भूमि को नेशनल हाइवे वर्ष 2010 में अपनी घोषित कर चुका है, उसे बंधक रखकर एक व्यक्ति ने पंजाब नेशनल बैंक से 40 लाख रुपए का लोन हासिल कर लिया। बताया जाता है कि वह व्यक्ति अब देश से बाहर भी निकल चुका है
यदि किसी जरूरतमंद आम आदमी को सरकारी बैंक से लोन लेना हो तो बैंक के चक्कर काटते-काटते उसके जूते-चप्पल घिस जाते हैं। फिर भी उसे लोन नहीं मिल पाता। दूसरी ओर एक व्यक्ति सरकारी भूमि को निजी भूमि दिखाकर आसानी से लोन ले लेता है। यह सुनकर भले ही आपको आश्चर्य हो रहा हो, पर हरिद्वार में सिड़कुल के नाम से संचालित पंजाब नेशनल बैंक शाखा में एक ऐसे ही कारनामे को अंजाम दिया गया है। यहां बैंक में बल्कि नेशनल हाइवे की भूमि को बंधक बनाकर लोन लिया गया। अब हालात ये है कि लोन लेने वाले व्यक्ति का कुछ अता-पता नहीं है और बैंक केवल नोटिस भेजकर और अखबारों में नीलामी सूचना छपवाकर अपनी औपचारिकताएं पूरी कर रहा है।
बताया जाता है कि 15 फरवरी 2018 को पंजाब नेशनल बैंक की सिडकुल शाखा में ‘आरव फिटनेस हब’ के नाम पर जिम खोलने के लिए कपिल शर्मा पुत्र श्याम बिहारी शर्मा को सन्नी शर्मा, अनुभव कुमार और उपदेश चौधरी की गारंटी पर करीब 40 लाख रुपए का लोन दे दिया गया। जिसके लिए 4823 वर्ग फीट के एक भू-खंड को बंधक भी रखा गया, पर आश्चर्य की बात यह है कि बैंक ने खसरा नंबर 245/5 के जिस भूखंड को बंधक रखकर लोन दिया वह भूमि राष्ट्रीय राजमार्ग की है। हरिद्वार तहसील के परगना शेखपुरा उर्फ कनखल में 245/5 खसरा संख्या को भारत सरकार का सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय विभाग 31 मई 2010 को प्रकाशित घोषणा संख्या 838 के माध्यम से खुद की भूमि घोषित कर चुका है, लेकिन इसके बावजूद 15 फरवरी 2018 को पंजाब नेशनल बैंक की सिडकुल शाखा से इस भूमि को बंधक बनाकर लोन दे दिया गया।
बताया जाता है कि फर्जी तरीके से लोन लेने वाला कपिल शर्मा अब विदेश भाग गया है और बैंक अपने पैसे की रिकवरी के लिए अखबारों में इश्तेहार छपवाकर खुन्नस मिटा रहा है। 11 अक्टूबर को अखबार में जारी एक विज्ञापन में पंजाब नेशनल बैंक ने इस भूमि पर कब्जा लेने के लिए 12 अक्टूबर की तिथि भी निर्धारित की थी, पर लगता है कि बैंक विज्ञापन देने से ज्यादा शायद कुछ कर नहीं सकता। एक और बात कि जिस आरव फिटनेस हब नाम पर बैंक से लोन लिया गया था वह अभी भी बाकायदा किसी और नाम से संचालित हो रहा है। बैंक चाहे तो उस जिम को नीलाम करके अपना पैसे का कुछ प्रतिशत वसूल सकता है, पर शायद बैंक अधिकारी केवल अखबारों में विज्ञापन देकर ही वसूली करने की सोच रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक फर्जी तरीके से लोन लेने का यह पहला मामला नहीं है। हरिद्वार में इससे पहले भी ऐसे कई लोन लिए जा चुके हैं। इस पूरे काम को योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया जाता है। इसका खुलासा उस समय हुआ जब कनखल निवासी एक व्यक्ति ने ऐसे कई मामलों की खुद अपने स्तर से जांच पड़ताल की और उसके बाद इस गिरोह की शिकायत भी की। आयकर आयुक्त को दिए गए एक शिकायती पत्र में कनखल निवासी सचिन तेश्वर ने बताया कि हरिद्वार शहर में सात-आठ लोगों का एक ग्रुप सक्रिय है जो अलग-अलग बैंकों से भोले-भाले लोगों को ऋण दिलवाने के नाम पर फंसाकर और अधिकारियों से सांठ-गांठ कर कई लाख के लोन ले लेते हैं। तेश्वर के मुताबिक इस गिरोह का सरगना कोई उपदेश चौधरी नामक व्यक्ति है। अब तक वह दस से बारह करोड़ तक के लोन इधर से उधर कर चुका है। उसके पास एक से ज्यादा पैन कार्ड हैं। वह अलग नामों से आईटीआर फाइल भी करता है। सचिन तेश्वर ने बताया कि इन कामों के लिए उसकी सेटिंग बड़े योजनाबद्ध तरीके से होती है। साथ ही साथ इसके लीगल एडवोकेट अलग से नियुक्त होते हैं। सचिन तेश्वर ने बताया कि उपदेश कुमार के नाम से रानीपुर की बैंक ऑफ बड़ौदा शाखा में एक पैनकार्ड संख्या के जरिए चार लाख पच्चीस हजार रुपए का लोन लिया गया। इस अकाउंट को कुछ समय के बाद बंद कर दिया गया। 25 मई को एकाउंट बंद हुआ, लेकिन दो दिन बाद 27 मई 2011 को इसी पैन कार्ड के द्वारा 5 लाख का लोन लिया गया। 19 नवंबर 2012 को यह पैन कार्ड बंद कर दिया गया। इसके बाद उपदेश कुमार ने अपने दूसरे पैन कार्ड का जो उपदेश चौधरी के नाम से बना है, उसका प्रयोग फिर से एक लोन लेने के लिए किया। सचिन कुमार ने बताया कि उपदेश चौधरी उर्फ उपदेश कुमार पहले छोटे-छोटे लोन लेकर चुकाता है फिर बड़ा लोन लेकर बैंक के साथ फ्रॉड करता है।
सचिन तेश्वर के मुताबिक जांच अभी तक 6 ऐसे लोन उपदेश चौधरी उर्फ उपदेश कुमार अलग-अलग फर्मों के नाम से ले चुका है। इसके अलावा तीन अलग-अलग फर्मों के नाम पर भी उसने करीब डेढ़ करोड़ के लोन कुछ लोगों को खुद गारंटर बनकर दिलवाए।
क्या कहते हैं बैंक अधिकारी
इस विषय में जब पंजाब नेशनल बैंक के सर्किल चीफ मैनेजर नवीन पांडे से बात हुई तो वह आश्चर्यचकित रह गए। उन्होंने बताया कि बैंक जब कोई संपत्ति बंधक रखता है, तो अपने एक्सपर्ट वकील से पूरी तरह तस्दीक करता है। अब आपके द्वारा यह मामला संज्ञान में लाया गया है, तो मैंने उस बैंक के मैनेजर को निर्देश दिए हैं कि मामले की गंभीरता को देखते हुए किसी दूसरे अधिकृत एडवोकेट से तत्काल इस संबंध में रिपोर्ट लें।
जब नवीन पांडे से पूछा गया कि इस मामले में कोई दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ क्या कार्रवाई होगी, इस पर वे बोले कि यह जांच का विषय है। जांच के बाद ही कुछ कह पाऊंगा। कई बार लोग अपनी संपत्ति को बचाने के लिए भी संपत्ति को विवादित बता देते हैं। हमारे यहां ऐसे ही किसी भूमि पर लोन नहीं दिया जाता है। पहले वकील की जांच रिपोर्ट आएगी उसके बाद वेल्यूअर उसकी बाजारी कीमत निर्धारित करेगा कोई भी मैनेजर उन दोनों की रिपोर्ट के बाद ही कोई लोन करता है। अपनी मर्जी से कोई लोन नहीं कर सकता। यदि कुछ गलत होता है तो फिर बैंक मैनेजर को क्लीन चिट नहीं दी जा सकती। उसे भी मौके पर जाकर निरीक्षण करना होता है। अगर कार्रवाई हुई तो तीनों पर होगी। हम इस मामले की जांच करा रहे हैं। 150 दिन तक ही पूरी रिपोर्ट आएगी। अब यह मामला विवादित लग रहा है तो किसी अच्छे वकील से ही इसकी जांच करवाई जाएगी। यदि सच में ऐसा है तो यह हमारे पंजाब नेशनल बैंक के लिए बहुत बड़ा नुकसान होगा। जिसके दोषी हम खुद हैं। दूसरी ओर सिडकुल ब्रांच की वर्तमान प्रबंधक सिल्की संगु ने बताया कि ऐसे मामलों की विशेष जांच होती है। मुझे यह समझ नहीं आ रहा है कि उस समय क्या सोचकर लोन दिया गया है।