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श्रीलंका में बुर्के पर प्रतिबंध

फ्रांस, बेल्जियम, हालैंड, स्पेन और इटली ने सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का पहनने पर बैन लगा रखा है। अब उस लिस्ट में श्रीलंका भी शामिल हो चुका है। श्रीलंका की कैबिनेट ने विवादित बुर्का कानून को पास कर दिया है। अब यूरोपियन देशों की तरह श्रीलंका में भी सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का या नकाब पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया है। राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए श्रीलंका सरकार ने यह फैसला लिया है। कोरोना महामारी के चलते सार्वजनिक स्थानों पर मास्क अनिवार्य है, लेकिन अब बुर्का बैन है।

27 अप्रैल को श्रीलंका की कैबिनेट ने बिल पर मुहर लगा दी है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद श्रीलंका में सार्वजनिक स्थानों पर बुर्के पर बैन लग गया है। हालांकि अभी इस कानून को श्रीलंका की संसद से पास करवाना अनिवार्य है। पिछले महीने श्रीलंका के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री सरथ वेरासेकेरा ने मार्च में इस बिल पर साइन किया था, जिसमें श्रीलंकन कैबिनेट ने देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सार्वजनिक स्थलों पर बुर्का पहनने से बैन लगाने की बात कही गई थी। आपको बता दें कि बुर्का उस कपड़े को कहा जाता है, जिसके जरिए मुस्लिम महिलाएं चेहरे के साथ अपने शरीर को ऊपर से ढंकती हैं। ये कपड़ा साधारणतः काले रंग का होता है।

श्रीलंका की कैबिनेट के प्रवक्ता और सूचना मंत्री केहलिया रामबुकवेला ने कहा कि श्रीलंका में सार्वजनिक जगह पर चेहरे ढंकने पर फैसला दो साल पहले ही उस वक्त ले लिया गया था जब इस्टर के दौरान श्रीलंका की चर्च में इस्माकिल कट्टरपंथियों ने भयानक बम विस्फोट कर दिया था। उस हमले में ढाई सौ से ज्यादा लोग मारे गए थे जिसके बाद सरकार ने फैसला किया था कि सार्वजनिक जगहों पर चेहरा ढंकने वाले नकाब पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।

श्रीलंका के सूचना प्रसारण मंत्री ने कहा कि चेहरे छिपाने वाले किसी भी तरह के नकाब पहनने पर श्रीलंका में प्रतिबंध लगाया जा रहा है और ये देश की सुरक्षा के लिए खतरा है।

फ्रांस पहला यूरोपीय देश है, जिसने मुस्लिम महिलाओं पर बुर्का पहनने पर बैन लगाया। वर्ष 2011 में फ्रांस की सरकार ने सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का को पूरी तरह बैन कर दिया। इतना ही नहीं बुर्का पहनने पर जुर्माना भी लगाया गया। कानून के तहत जबरन बुर्का पहनाने वाले को भी दोषी माना गया है। ऐसे लोगों पर 30 हजार यूरो तक का जुर्माना हो सकता है। इससे पूर्व फ्रांस ने वर्ष 2004 में पहले स्कूलों में धार्मिक चिन्हों पर रोक लगाई गई। डेनमार्क में बुर्के पहनने पर कानूनी रोक है। देश में सार्वजनिक स्थलों पर बुर्का पहनने पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। कानून तोड़ने पर 157 डाॅलर यानी दस हजार से ज्यादा जुर्माने का प्रावधान है।

बेल्जियम में बुर्का पहनने पर रोक है। बेल्जियम सरकार ने वर्ष 2011 में बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगाया था। कानून तोड़ने वाली महिलाओं को सात दिन की जेल या 1300 यूरो तक का जुमाने को प्रावधान है। हाॅलैंड सरकार ने वर्ष 2015 में बर्के और नकाब पर प्रतिबंध लगाया, लेकिन यह प्रतिबंध स्कूलों, अस्पतालों एवं सार्वजनिक परिवहन तक सीमित है। इटली में बुर्का राष्घ्ट्रीय स्तर पर बैन नहीं है, लेकिन नोवारा में अपने यहां बुर्के पर प्रतिबंध लगाया है। इटली में बुर्के पहनने पर किसी तरह की सजा का प्रावधान नहीं है। जर्मनी में वर्ष 2017 में बुर्के और नकाब पर रोक है। यह नियम केवल सरकारी नौकरियों और सेना पर लागू है। इसके अतिरिक्त ड्राइविंग के दौरान भी बुर्का पहनने पर रोक है। जर्मनी की एएफडी पार्टी बुर्के पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की मांग कर रही है। स्घ्पेन के कई जिलों में बुर्के और नकाब पहनने पर प्रतिबंध है। स्पेन के कई राज्यों में बुर्का पर प्रतिबंध की पहल को सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी। अदालत ने इसे धार्मिक आजादी का उल्लंघन माना। हालांकि, यूरोपीय मानवाधिकार कोर्ट का फैसला इसके उलट है। इस अदालत ने कहा कि बुर्के पर बैन को मानवाधिकार का उल्लंघन नहीं है।

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