प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी महत्वाकांक्षी योजना बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अपने पहले कार्यकाल के दौरान 2015 में हरियाणा के पानीपत से शुरू की थी। हरियाणा में इस योजना की शुरूआत इसलिए की थी क्योंकि हरियाणा का लिंग अनुपात काफी ज्यादा नीचे गिरा हुआ था। इस योजना का मकसद जिले एवं राज्य में लिंगानुपात को बेहतर बनाने के लिए जागरूकता फैलाना था। देश के 100 जिलों में इस योजना की शुरुआत हुई थी, जिसमें हरियाणा के 12 जिले शामिल थे। हरियाणा में लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या देश में सबसे कम थी, शायद यही कारण है कि प्रधानमंत्री ने अपनी योजना की शुरुआत के लिए हरियाणा को चुना था।
‘बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ’ योजना के कारण ही आज हरियाणा में लिंग अनुपात में बढ़ोतरी हुई है। 2020 में हरियाणा में 1000 लड़को के पीछे 922 बेटियां पैदा हुई है। हालांकि 2019 में इनकी संख्या 923 रही थी। सीएम मनोहर लाल ने कहा कि 2021 के दौरान लिंगानुपात 935 प्लस का लक्ष्य रखा है, जो कन्या भ्रूणहत्या के खिलाफ लड़ाई जारी रखते हुए पूरा किया जाएगा। जिन जिलों में दशकों तक लिंगानुपात 900 से कम था, उनमें से अधिकांश में लिंगानुपात अब 920 से अधिक हो गया है। राज्य के 22 जिलों में से 20 जिलों में लिंगानुपात 900 या इससे अधिक है। सिरसा में यह 949 है। 2020 के दौरान कुल 537996 बच्चों के जन्म का पंजीकरण हुआ है। इनमें 279869 लड़के व 258127 लड़कियां हैं। 2019 में 518725 बच्चों ने जन्म लिया था, जिनमें 269775 बेटे और 248950 बेटियां थीं।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया कि 2019 के दौरान भ्रूण लिंग जांच की 77 एफआईआर दर्ज की गई। साल 2020 में 100 एफआईआर दर्ज की गई। दिल्ली, पंजाब, यूपी और राजस्थान में अंतरराज्यीय छापे के बाद 40 ऐसे मामले पकड़े गए। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में अधिकतम 11 एफआईआर दर्ज की गईं। आज हरियाणा की लड़कियां लड़कों को भी पीछे छोड़ रही हैं, फिर चाहे वह किसी भी क्षेत्र में हो। स्पोर्टस में भी हरियाणा की छोरियां लड़को को पछाड़कर विदेशी सरजमीन पर अपने देश का नाम रोशन कर रही हैं। माना जाता है दंगल फिल्म के बाद भी हरियाणा में लोगों का नजरिया लड़कियों के प्रति बढ़ा है। पहले जहां लड़के के पैदा होने पर लोग दुखी होते थे, आज लड़की के पैदा होने पर लोग खुशियां बांटते हैं।