Uttarakhand

भाजपा में दावेदारों की भरमार तो कांग्रेस को यशपाल से आस

आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी में सभी राजनीतिक दल जमीनी संपर्क साध रहे हैं। कुमाऊं की नैनीताल-ऊधमसिंह नगर से सांसद और केंद्रीय मंत्री अजय भट्ट पार्टी भीतर से ही भारी विरोध का सामना कर रहे हैं। राजेश शुक्ला, गजराज बिष्ट, राजेंद्र भंडारी, सुरेश भट्ट, दान सिंह रावत की दावेदारी चलते उनका टिकट हाल-फिलहाल तक फंसा हुआ नजर आ रहा है। हालांकि अपनी साफ-सुथरी छवि के चलते भट्ट पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा की पहली पसंद बताए जा रहे हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस में यशपाल आर्या, महेंद्र पाल, दीपक बल्यूटिया और प्रकाश जोशी में टिकट के लिए जोर आजमाईश जारी है। यशपाल आर्या का व्यापक जनाधार उन्हें दावेदारों की सूची में सबसे आगे रखता है

उत्तराखण्ड का नैनीताल-ऊधमसिंह नगर संसदीय क्षेत्र अपने में विविधताओं को समेटे है। जहां पहाड़ अपनी विशालता व ऊंचाई पर फख्र करते हैं, वहीं तराई भाबर का मैदानी क्षेत्र घर के आंगन और समृद्ध गुलदस्ते का एहसास कराता है। अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय कभी बहेड़ी से रानीखेत तक के कुछ भाग को शिमल करता ये संसदीय क्षेत्र नैनीताल बहेड़ी लोकसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। कालांतर में परिसीमन के चलते इसका क्षेत्रफल कम होता गया। 2008 में परिसीमन के बाद इसे नैनीताल -ऊधमसिंह नगर लोकसभा क्षेत्र के नाम से पुकारा जाने लगा। इसने कई राजनेताओं को पहाड़ जैसी मजबूती दी तो कइयों से उनके राजनीतिक शिखर पर मुंह मोड़ लिया। नारायण दत्त तिवारी सरीखों को उनके राजनीतिक जीवन के उस मोड़ पर पटखनी दे दी जब वो प्रधानमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे। वहीं वर्तमान में केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्यमंत्री अजय भट्ट को राजनीतिक संजीवनी दे दी जब रानीखेत से 2017 के विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद उनके राजनीतिक भविष्य पर सवाल खड़े होने लगे थे। इस लोकसभा क्षेत्र के इतिहास की बात करें तो 1957 से 1977 तक यहां कांग्रेस का वर्चस्व रहा। 1951 और 1957 के लोकसभा चुनावों में गोविंद बल्लभ पंत के करीबी रिश्तेदार और उनके निजी सचिव रहे सी.डी. पाण्डे संसद सदस्य बने। 1962 से लेकर 1971 तक कृष्ण चंद्र पंत ने इस सीट पर कांग्रेस सदस्य के रूप में लोकसभा में प्रतिनिधित्व किया। 1977 में जनता लहर के चलते भारत भूषण यहां से चुने गये। 1980 में नारायण दत्त तिवारी तो 1984 में सत्येंद्र चन्द्र गुड़िया कांग्रेस के टिकट पर चुने गए। 1989 में महेंद्र पाल सिंह जनता दल के टिकट पर लोकसभा पहुंचे। 1991 की राम लहर में भाजपा के बलराज पासी ने नारायण दत्त तिवारी को हरा कर उनके प्रधानमंत्री बनने की राह रोक दी। 1996 में अपनी अलग पार्टी तिवारी कांग्रेस बना नारायण दत्त तिवारी फिर से लोकसभा पहुंचे। 1993 में गोविंद बल्लभ पंत की पुत्रवधु और के ़सी ़ पंत की पत्नी इला पंत नैनीताल सीट पर नारायण दत्त तिवारी को हरा कर लोकसभा पहुंची। 1999 में नारायण दत्त तिवारी ने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की। 2002 में महेंद्र पाल कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में यहां से लोकसभा पहुंचे। 2004 और 2009 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के केसी सिंह बाबा ने जीता। 2014 में भगत सिंह कोश्यारी और 2019 में भाजपा के अजय भट्ट को यहां के मतदाताओं ने जिताया।

2024 के लोकसभा चुनावों में महज आठ माह बाकी हैं अब सभी दलों में सरगर्मियां तेज हो गई हैं। भाजपा और कांग्रेस के भीतर प्रत्याशी अपने-अपने दावों के साथ पार्टी फोरम पर जाने की तैयारी करने में जुटे हैं। दोनों ही दलों में दावेदारों की सूची लंबी है और घात-प्रतिघात काखेल दोनों दलों के भीतर शुरू हो चला है। नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व भाजपा नेता केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्यमंत्री अजय भट्ट कर रहे हैं। 2019 में तत्कालीन सांसद भगत सिंह कोश्यारी के चुनाव लड़ने से इंकार करने पर भारतीय जनता पार्टी ने अपने तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट को अपना लोकसभा उम्मीदवार बनाया था। मोदी लहर के चलते अजय भट्ट ने कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत को पराजित कर दिया था। ऊपरी तौर पर देखा जाए तो इस बार भी अजय भट्ट का टिकट कटने की ठोस वजह नजर नहीं आती। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि और मोदी-शाह का अभेद्य चुनावी कवच सांसदों की उपलब्धियों या सांसदों की छवि का मोहताज नहीं है। भारतीय जनता पार्टी के संगठन में रहे एक जिम्मेदार पदाधिकारी का कहना है कि ‘अब भाजपा का कार्यकर्ता उम्मीदवार के नाम पर वोट नहीं मांगता वो अब सिर्फ मोदी जी के नाम पर वोट मांगता है। उसके लिए सांसद या विधायक की उपलब्धियां या छवि कोई मायने नहीं रखती। उसके लिए आप कोई भी प्रत्याशी दीजिए उसे पार्टी के लिए काम करना है।’ मोदी-शाह के इसी अभेद्य चुनावी कवच ने भारतीय जनता पार्टी के अंदर कई महत्वाकांक्षी नेताओं को जगाया है। शायद अजय भट्ट के लिए यही चिंता का सबब हो सकता है। एक और सवाल जो भारतीय जनता पार्टी के अंदर सुगबुगाहट पैदा कर रहा है कि पिछले पंद्रह सालों से कोई ऐसा नेता क्यों नहीं उभरा जिसकी राजनीतिक कर्मभूमि नैनीताल, ऊधमसिंह नगर रही हों। सवाल ये कि क्या पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की नजर में नैनीताल, ऊधमसिंह नगर में ऐसे स्थानीय नेता का अभाव है जो इस संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार बन सके। भाजपा के एक नेता जो कभी इस संसदीय सीट से दावेदारी के इच्छुक थे, का कहना है कि ‘नैनीताल-ऊधमसिंह नगर संसदीय क्षेत्र में या तो पार्टी या तो सांसद का चुनाव लड़ने लायक नेतृत्व विकसित नहीं कर पाई या फिर पार्टी ने इस संसदीय सीट को राजनीतिक पुनर्वास का केंद्र मान लिया है।’

अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो जाने के बाद वहां के नेताओं का रुख इस संसदीय क्षेत्र की ओर हो गया। 2009 में बची सिंह रावत यहां से भाजपा प्रत्याशी बनाए गए लेकिन बिना लहर वाले उस चुनाव में राजनीतिक परिस्थितियां उनके अनुकूल नहीं थीं। पार्टी के अंदरुनी अंतर्विरोध और कथित रूप से भगत सिंह कोश्यारी गुट का भीतरघात बची सिंह रावत को भारी पड़ा था। 2014 और 2019 के चुनाव मोदी लहर के चुनाव थे। जिसमें भाजपा प्रत्याशी भगत सिंह कोश्यारी 2014 और 2019 में अजय भट्ट सांसद चुने गए थे। 2009 से 2024 तक का पंद्रह साल का समय उन नेताओं को भारी महसूस हो रहा है जिन्होंने इस संसदीय सीट पर भाजपा को स्थापित करने का कार्य किया है। भाजपा का एक वर्ग अजय भट्ट के टिकट को लेकर आश्वस्त नहीं है और स्थानीय बनाम बाहरी की बहस में लोकसभा सीट के एक प्रबल दावेदार का कहना है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को उस व्यक्ति को तरजीह देनी चाहिए जिसका इस संसदीय क्षेत्र से शुरुआत से नाता रहा हो, जिसकी राजनीतिक पृष्ठभूमि इस संसदीय क्षेत्र की हो। ऐसे व्यक्ति का भावनात्मक लगाव भी कार्यकर्ताओं और जनता से रहता है। इन्हीं चर्चाओं और उम्मीदों के चलते भाजपा के अंदर दावेदारों की फेहरिस्त कम नहीं है। इस बीच चर्चाओं में जो मुख्य नाम सामने आए हैं उनमें मंडी परिषद के पूर्व अध्यक्ष और उत्तराखण्ड भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री रहे गजरात सिंह बिष्ट, राज्य सहकारी बैंक के वर्तमान अध्यक्ष दान सिंह रावत और किच्छा से पूर्व विधायक राजेश शुक्ला के नाम प्रमुख हैं। गजराज सिंह बिष्ट 1987 में संघ के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी से जुड़े रहे हैं। संघ व भाजपा के कई संगठनों में रह चुके गजराज बिष्ट अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय भाजपा के किसान मोर्चे के उपाध्यक्ष, 2008 में उत्तराखण्ड में भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश इकाई के महामंत्री के साथ कई बार प्रदेश प्रवक्ता रह चुके हैं। मंडी परिषद के अध्यक्ष रहते उन्होंने पहली बार उत्तराखण्ड में मंडी परिषद के माध्यम से मोटे अनाज का न्यूनतम मूल्य तय करवाया था साथ ही 23 वर्षों से रूके पड़े रूद्रपुर व गदरपुर मंडियों के निर्माण में आ रही बाधाओं को दूर कर निर्माण शुरू करवाया था।

भाजपा से दूसरे महत्वपूर्ण दावेदार किच्छा से पूर्व विधायक राजेश शुक्ला हैं। 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत को किच्छा विधानसभा से पराजित किया था। उत्तराखण्ड राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष दान सिंह रावत के पूरे संसदीय क्षेत्र में लगे बड़े-बड़े होर्डिंग बताते हैं कि वो भी इस बार दावेदारी की कतार में हैं। दान सिंह रावत लंबे समय से भाजपा से जुड़े हैं। तराई बीज विकास निगम के अध्यक्ष सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। एक और नाम जो भाजपा के अंदर चर्चा में है वो है सुरेश भट्ट। हालांकि सुरेश भट्ट उतने सक्रिय नजर आते नहीं लेकिन हरियाणा में संगठन मंत्री रहकर उनकी खट्टर सरकार की वापसी में महत्वपूर्ण भूमिका रही उससे उनकी मोदी-शाह और संघ की नजर में अच्छी छवि है।

 

कांग्रेस के भीतर भी दावेदारों की कमी नहीं है। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य पूर्व सांसद रहे महेंद्र पाल सिंह और उत्तराखण्ड कांग्रेस में प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया इस बार दावेदारों में शुमार हैं। पार्टी के सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस आलाकमान इस बार यशपाल आर्य को लोकसभा चुनाव लड़वाना चाहता है। नैनीताल-ऊधमसिंह नगर और अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ दोनां लोकसभा क्षेत्रों का विकल्प उनके पास है। दीपक बल्यूटिया ने इस बार लोकसभा चुनाव में अपनी दावेदारी पेश की है। युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे बल्यूटिया 2022 के विधानसभा चुनावों में हल्द्वानी सीट से टिकट के प्रबल दावेदार थे। इस बार वो स्व. नारायण दत्त तिवारी की विरासत के दावेदार के रूप में सामने आए हैं। डॉ. महेंद्र पाल एक बार जनता दल और एक बार कांग्रेस से लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इस बार भी वो कांग्रेस से दावेदारी के लिए तैयार हैं

नाम न छापने की शर्त पर भाजपा के कई नेताओं ने ‘दि संडे पोस्ट’ से बातचीत के दौरान वर्तमान सांसद अजय भट्ट की कार्यशैली के प्रति भारी नाराजगी जताई। इन नेताओं का एक सुर में कहना है कि इस बार पार्टी को नैनीताल-ऊधमसिंह नगर से किसी जमीनी नेता को उम्मीदवार बनाना चाहिए अन्यथा नतीजा पार्टी के खिलाफ जा सकता है। भाजपा सूत्रों की मानें तो राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी इस सीट से एक स्थानीय चेहरे को मौका दिए जाने के पक्ष में हैं। कहा जा रहा है कि धामी का झुकाव पूर्व विधायक राजेश शुक्ला की तरफ है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का प्रयास मंडी परिषद के पूर्व अध्यक्ष गजराज सिंह बिष्ट को उम्मीदवार बनाने का है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि क्या केंद्रीय नेतृत्व वर्तमान सांसद को दोबारा मौका देता है या फिर किसी नए चेहरे को आगे बढ़ाता है। सांसद अजय भट्ट भी पार्टी भीतर असंतोष थामने की नियत से अब क्षेत्र में खासे सक्रिय हो चले हैं और अपने कार्यकाल की उपलब्धियों को मतदाता तक पहुंचाने के लिए कमर कस चुके हैं।

कांग्रेस के भीतर भी दावेदारों की कमी नहीं है। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य पूर्व सांसद रहे महेंद्र पाल सिंह और उत्तराखण्ड कांग्रेस में प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया इस बार दावेदारों में शुमार हैं। कांग्रेस पार्टी के सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस आलाकमान इस बार यशपाल आर्य को लोकसभा चुनाव लड़वाना चाहता है। नैनीताल -ऊधमसिंह नगर और अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ दोनां लोकसभा क्षेत्रों का विकल्प उनके पास है। 2019 में भी भाजपा में रहते यशपाल आर्य ने लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त की थी। अविभाजित उत्तर प्रदेश में दो बार खटीमा से विधायक और उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद मुक्तेश्वर और बाजपुर से लगातार चुनाव जीत रहे यशपाल आर्य का पूरे संसदीय क्षेत्र में व्यापक जनाधार है। तराई और पहाड़ में व्यापक जनाधार वाले यशपाल आर्य की संगठन पर भी गहरी पकड़ है। उत्तराखण्ड की राजनीति में वो एक मात्र दलित नेता हैं जिनकी स्वीकार्यता दलित नेता के रूप में पूरे प्रदेश में है। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व खासकर सोनिया गांधी और राहुल गांधी से उनके मधुर संबंध है। लोकसभा चुनाव में अगर कांग्रेस उत्तराखण्ड में दलित कार्ड खेलती है तो उसको लाभ मिल सकता है। भले ही यशपाल आर्य दलित वर्ग से आते हैं लेकिन शायद उनकी जाति विशेष के दायरे में बांध के रखना उनकी छवि से मेल नहीं खाता। यशपाल आर्य का मानना है कि उन्होंने हमेशा जाति, धर्म से ऊपर उठकर राजनीति समाजसेवा के रूप में की है। दीपक बल्यूटिया ने इस बार लोकसभा चुनाव में अपनी दावेदारी पेश की है। युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे दीपक बल्यूटिया 2022 के विधानसभा चुनावों में हल्द्वानी सीट से टिकट के प्रबल दावेदार थे। इस बार वो स्व ़ नारायण दत्त तिवारी की विरासत के दावेदार के रूप में सामने आए हैं। दीपक बल्यूटिया 1993 से कांग्रेस में हैं और कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। वर्तमान में वे उत्तराखण्ड कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता हैं। डॉ ़ महेंद्र पाल एक बार जनता दल और एक बार कांग्रेस से लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इस बार भी वो कांग्रेस से दावेदारी के लिए तैयार हैं। कुल मिलाकर 2024 लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस के अंदर दावेदारों की सक्रियता बढ़ गई है। पार्टियां किसको अपना प्रत्याशी बनाएंगी ये तो आने वाला वक्त बताएगा। लेकिन आगे आने वाला समय कई लोगों की धड़कनों को बढ़ाने वाला होगा।

मोदी लहर के चलते अजय भट्ट ने कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत को पराजित कर दिया था। ऊपरी तौर पर देखा जाए तो इस बार भी अजय भट्ट का टिकट कटने की ठोस वजह नजर नहीं आती। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि और मोदी-शाह का अभेद्य चुनावी कवच सांसदों की उपलब्धियों या सांसदों की छवि का मोहताज नहीं है। भारतीय जनता पार्टी के संगठन में रहे एक जिम्मेदार पदाधिकारी का कहना है कि ‘अब भाजपा का कार्यकर्ता उम्मीदवार के नाम पर वोट नहीं मांगता वो अब सिर्फ मोदी जी के नाम पर वोट मांगता है। उसके लिए सांसद, विधायक की उपलब्धियां या छवि कोई मायने नहीं रखती। उसके लिए आप कोई भी प्रत्याशी दीजिए उसे पार्टी के लिए काम करना है।’ मोदी-शाह के इसी अभेद्य चुनावी कवच ने भारतीय जनता पार्टी के अंदर कई महत्वाकांक्षी नेताओं को जगाया है। शायद अजय भट्ट के लिए यही चिंता का सबब हो सकता है

 

बात अपनी-अपनी
मैंने लोकसभा टिकट के लिए अपनी कोई दावेदारी नहीं की है, न नैनीताल से और न ही अल्मोड़ा से। हालांकि हमारे दोनों ही लोकसभा के शुभचिंतक हमसे चुनाव लड़ने के लिए कह रहे हैं। लेकिन मेरा मकसद सभी लोकसभा सीटों पर पार्टी का प्रचार करना है और वहां पार्टी को जीत दिलानी है जिसके लिए मैं अभी से प्रयासरत हूं।
यशपाल आर्या, नेता प्रतिपक्ष

कांग्रेस से मेरी मजबूत दावेदारी है। मैं दो बार एमपी रहा हूं। सीनियर एडवोकेट हूं। उत्तराखण्ड बार काउंसिल के अध्यक्ष होने के नाते सभी बार एसोसिएशन मेरे समर्थन में हैं। तिलकराज बेहड़ जी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो यशपाल आर्या जी नैनीताल की बजाय अल्मोड़ा में इंट्रेस्टेड हैं। उन्होंने एक मीटिंग में नैनीताल से लोकसभा का चुनाव लड़ने को साफ मना किया था। रही बात दीपक बल्यूटिया की तो उन्होंने कई महीने पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए अपने आपको संभावित कंडीडेट बताया था। लेकिन अब वह कहीं सक्रिय नहीं हैं। मैं पूरी तरह सक्रिय हूं।
महेंद्र पाल सिंह, पूर्व सांसद

स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी जी ने जो विकास का विजन तैयार किया था, जो विकास कार्य उनके अधूरे थे उन्हें पूरा करने के लिए कांग्रेस को मुझे एक बार चुनाव लड़ने का मौका देना चाहिए। मैंने 2022 के विधानसभा चुनाव में भी टिकट मांगा था लेकिन तब स्वर्गीय इंदिरा हृदयेश जी की सहानुभूति के चलते उनके पुत्र को टिकट मिला था। मुझे कांग्रेस में काम करते हुए 32 साल हो गए हैं। स्वर्गीय एनडी तिवारी जी का मैं एक मात्र वारिस हूं वे मेरे पिता के फुफेरे भाई हैं। उनका जन्म हमारे घर ब्लूटी गांव में ही हुआ था। जहां उनका नामकरण भी हुआ। 17-18 साल की उम्र में ही मैंने स्वर्गीय तिवारी के नेतृत्व में सामाजिक भागीदारी शुरू कर दी थी। तिवारी जी की फैन फॉलोविंग बहुत है, हर घर में उनकी छाप आज भी है। अगर मुझे पार्टी टिकट देगी तो पूरे उत्तराखण्ड में यह संदेश जाएगा कि स्वर्गीय तिवारी जी के परिवार से किसी को कांग्रेस ने टिकट दिया है। इसका फायदा पार्टी को अन्य सीटों पर भी मिलेगा।
दीपक बल्यूटिया, प्रदेश प्रवक्ता कांग्रेस

मैं कांग्रेस का एक समर्पित सिपाही हूं। पार्टी ने आज तक मुझे जो भी जिम्मेदारी दी, मैंने उसे पूरी निष्ठा से निभाया। हालांकि मेरी प्राथमिकता हमेशा से ही संगठात्मक कार्यों की रही है, लेकिन पार्टी जो भी आदेश देगी मुझे मान्य होगा। कांग्रेस पार्टी में हाईकमान का आदेश सर्वोपरि होता है। निश्चित ही नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोकसभा क्षेत्र की सेवा का अवसर मिलना किसी का भी परम सौभाग्य होगा।
प्रकाश जोशी, पूर्व राष्ट्रीय सचिव कांग्रेस

बात अपनी-अपनी
मैंने अपने राजनीतिककाल में कभी कोई दावेदारी नहीं की है। यहां तक कि मैंने कभी भी अपना बायोडाटा तक नहीं भेजा है। यह पार्टी का काम है कि वह किसको टिकट के लिए उपयुक्त माने। हमारी पार्टी जो भी करती है सोच-समझकर करती है। पार्टी के वरिष्ठ नेता सभी पर नजर रखते हैं। वह सभी के कार्यों का आकलन करते हैं, उसी के आधार पर ही नेताओं को जिम्मेदारी दी जाती है।
अजय भट्ट, सांसद, नैनीताल

नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोकसभा सीट का अपना ऐतिहासिक महत्व रहा है। नारायण दत्त तिवारी, के ़सी ़ पंत सरीखे नेताओं का ये कार्य क्षेत्र रहा है। पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों से बनी लोकसभा सीट में विकास की अपार संभावनाएं हैं और अगर यहां नियोजित तरीके से विकास किया जाए तो विकास के मॉडल के रूप में यह क्षेत्र आदर्श बन सकता है। इस सीट पर मेरी दावेदारी है। मैंने यहां से चुनाव लड़ने के लिए पार्टी
नेताओं से भी कहा है। अगर पार्टी वर्तमान सांसद का टिकट काटती है तो उम्मीदवारी में मैं अन्य सभी से पहले नंबर पर हूं। मेरा सभी वर्गों से तालमेल बनाकर चलना और सभी के हित के लिए सदैव तत्पर रहना ही मेरा प्लस प्वाइंट है। जनता के साथ ही पार्टी के सीनियर नेताओं का आशीर्वाद भी मेरे साथ है।
राजेश शुक्ला, पूर्व विधायक, किच्छा

जहां तक लोकसभा चुनाव में मेरी दावेदारी का प्रश्न है मैंने अपनी इस इच्छा को संगठन मंत्री के माध्यम से शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाया है। मैं पिछले 35 वर्षों से पार्टी से जुड़ा हूं संगठन और सरकार में मैंने काम किया है। इस संसदीय क्षेत्र से मेरा भावनात्मक लगाव है। हर ब्लॉक और ग्राम सभा तक मेरा निजी संपर्क लोगों से रहा है। इस क्षेत्र की समस्याओं से भलि-भांति परिचित हूं। इस लोकसभा क्षेत्र के लिए मेरा एक विजन है जिसे मैं एक जनप्रतिनिधि बनकर धतराल पर उतारना चाहता हूं। प्रत्याशी तय करना पार्टी का काम है।
गजराज सिंह बिष्ट, प्रदेश महामंत्री, उत्तराखण्ड भाजपा

अगर पार्टी इस संसदीय क्षेत्र से प्रत्याशी बदलने पर विचार करती है तो निश्चित तौर पर मेरी भी दावेदारी होगी।
राजेंद्र सिंह भंडारी, प्रदेश महामंत्री, उत्तराखण्ड भाजपा

प्रत्याशी तय करना पार्टी का काम है लेकिन एक कार्यकर्ता होने के नाते इस बार मैं भी लोकसभा चुनाव में पार्टी से टिकट का दावेदार हूं।
दान सिंह रावत, अध्यक्ष राज्य सहकारी बैंक, उत्तराखण्ड

You may also like

MERA DDDD DDD DD