कोरोना वायरस के चलते पूरी दुनिया अब तक लाखों मौतें देख चुकी है और कई देशों की हालात अभी भी नाजुक बानी हुई है । ऐसे में भारत में कम होते आंकड़े और बढ़ता रिकवरी रेट राहत की सांस जरूर दे रहा है। लेकिन इसके बावजूद रिकवर हो चुके लोगों के लिए अभी भी खतरा बरकरार है।
देश में कोरोना वायरस के संक्रमितों का आंकड़ा 79 लाख के पार हो गया है। बीते दिन कोरोना के 45 हजार 149 से ज्यादा नए मरीज मिले और 480 संक्रमितों की जान चली गई। अब तक कोरोना से 79 लाख 9 हजार 960 लोग संक्रमित हो चुके हैं। राहत की बात है कि इनमें 71 लाख 37 हजार 229 लोग ठीक भी हो चुके हैं, जबकि अब तक 1 लाख 19 हजार 14 मरीजों की मौत हो चुकी है। फिलहाल 6 लाख 53 हजार 717 मरीजों का इलाज चल रहा है। आंकड़ों पर नजर डालें तो देश के 14 राज्य और केंद्र शासित राज्यों में कोरोना से होने वाली मौत की दर 1प्रतिशत से भी कम है। सबसे ज्यादा 3.14फीसदी डेथ रेट पंजाब और 2.63फीसदी महाराष्ट्र का है। मिजोरम देश का पहला ऐसा राज्य है जहां कोरोना से अब तक कोई मौत नहीं हुई है। यहां अब तक 2 हजार 447 लोग संक्रमित हो चुके हैं, लेकिन सरकार ने काफी हद तक संक्रमण को काबू किया है
ऐसे में भारत में कम होते आंकड़े और बढ़ता रिकवरी रेट राहत की सांस जरूर दे रहा है। लेकिन इसके बावजूद रिकवर हो चुके लोगों के लिए अभी भी खतरा बरकरार है।इसका अंदाजा डॉक्टरों की राय से लगाया जा सकता है। डॉक्टरों की राय है कि जो लोग कोरोना वायरस बीमारी से ठीक हो चुके हैं और उच्च वायु प्रदूषण वाले शहर या क्षेत्र में रहते हैं, उन्हें फ्लू की वैक्सीन ले लेनी चाहिए। वायु प्रदूषण कोरोना वायरस मरीजों की संवेदनशीलता, अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु के जोखिम को बढ़ा सकता है, और चिकित्सकों ने चेतावनी दी है कि यह “लॉन्ग कोविड” के लक्षणों को भी बढ़ा सकता है। ये शब्द कोविड -19 से ठीक होने के बाद भी लगातार हफ्तों और महीनों तक दिखने वाले लक्षणों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
रोम के एक अस्पताल में 143 रोगियों में से 87फीसदी रोगियों में रिकवरी के लगभग दो महीने बाद भी कम से कम एक लक्षण पाया गया था। क्लीनिक को खांसी, थकान, दस्त, जोड़ों का दर्द, मांसपेशियों में दर्द और फेफड़ों, दिल के लक्षणों को लेकर रोगियों से शिकायत मिली थी। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के जर्नल JAMA के अनुसार, रोम के अध्ययन में क्रॉनिक “लॉन्ग कोविद” के आधे से अधिक पेटेंट के साथ थकान सबसे आम लक्षण है।
ख़बरों के अनुसार, वृद्ध लोगों, महिलाओं, अधिक वजन वाले और मोटे लोगों, अस्थमा के रोगियों और पहले सप्ताह में पांच से अधिक कोविड -19 लक्षण पाए जाने वाले लोगों को “लॉन्ग कोविद” का अधिक खतरा होता है। इस बात के भी नए प्रमाण हैं कि बहुत हल्के या बिना लक्षणों वाले लोग भी ठीक होने के बाद के लक्षणों को विकसित कर सकते हैं, जो कई महीनों तक रह सकते हैं। सर्दी जुकाम और बढ़ता प्रदूषण ठीक हो चुके लोगों की स्थिति बिगाड़ सकता है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा, “त्यौहार के मौसम में बढ़ते प्रदूषण, गिरते तापमान और बढ़ती भीड़ के कारण, हर कोई जोखिम में है और ‘लॉन्ग कोविड’ का सामना कर चुके लोगों को फ्लू की वैक्सीन ले लेनी चाहिए।