पिछले 4 दिन से कांग्रेस में हार को लेकर चली आ रही ‘टेंशन’ अभी थमी नहीं है । राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी अभी भी कोप भवन से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं । हालांकि देश में कई प्रदेशों के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बुरी तरह पराजय का सामना करना पड़ा है । लेकिन पार्टी को राजस्थान में सबसे ज्यादा उम्मीद थी वहा से भारी निराशा मिली है । 25 लोकसभा सीटो में से एक पर भी पार्टी प्रत्याशी का न जीतना सूबे के मुखिया की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाता है । राजस्थान में करारी हार का ठीकरा राहुल गांधी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सर फोड चुके है । राहुल ने तीन दिन पहले कार्यसमिति की समीक्षा बैठक में कहा था कि अशोक गहलोत प्रदेश में पार्टी प्रत्याशियों को जिताने की बजाय महज अपने पुत्र को चुनाव लडाने तक सिमित होकर रह गये थे । देखने में आया कि गहलोत ने 80 फीसदी प्रचार अपने बेटे वैभव गहलोत के लोकसभा क्षेत्र में किया जबकि बाकि 20 प्रतिशत ध्यान उन्होने प्रदेश के पूरे पार्टी प्रत्याशियों पर दिया । इसको लेकर पार्टी अब आत्ममंथन कर रही है । उम्मीद है कि प्रदेश में जल्द ही नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है । इसके मद्देनजर उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को प्रदेश की कमान सौपी जा सकती है ।
याद रहे कि राजस्थान से 5 माह पूर्व पार्टी को विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत हासिल हुआ था, और प्रदेश में अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बनाए गए थे । हालाकि राजस्थान के मुख्यमंत्री के पद पर प्रबल दावेदारी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट की थी ।लेकिन गहलोत को गांधी परिवार का खास होने के चलते मुख्यमंत्री पद पर विराजमान किया गया ।लोगों में इस बात को लेकर भारी रोष था । जब कांग्रेस ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया उसी दौरान पायलट के समर्थन में लोगों ने धरना प्रदर्शन किए । यहां तक कि कांग्रेस के दिल्ली स्थित 10 जनपथ मुख्यालय का घेराव तक किया । तब राजस्थान के कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का कहना था कि सचिन पायलट ने पिछले 5 साल में पार्टी को जीत के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया । सारी मेहनत सचिन पायलट की थी और इसका उसको पुरस्कार मिलना चाहिए था ।
लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने ऐसा नहीं किया । लोगों में इस बात को लेकर भारी आक्रोश था । बावजूद इसके कांग्रेस ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया था । परिणामस्वरुप 5 महीने में ही राजस्थान के मतदाताओ में कॉग्रेस को लोकसभा चुनावों में भारी शिक्स्त दे दी । लोकसभा की 25 सीटों में से एक भी सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी का न जीतना इस बात की पुष्टि करता है कि वहां के मतदाता पार्टी से नाराज है । कहा जा रहा है कि विधानसभा में भारी बहुमत होने के बाद जो मतदाताओं की उम्मीद थी उस पर कांग्रेस और उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी खरे नहीं उतरे। कांग्रेस राजस्थान में इस कदर हारी है कि राहुल गांधी 3 दिन बाद भी इस सदमे से बाहर नहीं आ पा रहे हैं ।
गौरतलब है कि कांग्रेस की करारी हार के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी अपने इस्तीफे पर अड़े हैं । इसी दौरान राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट पिछले 3 दिनों से लगातार राहुल गांधी से मिलने का प्रयास कर रहे हैं । लेकिन नाराज राहुल ने उनसे मिलने से मना कर दिया हैं । कल हार थक कर पायलट और गहलोत आखिर में प्रियंका गांधी से मिले और राजस्थान के ताजा हालातों पर चर्चा की ।
इसी दौरान लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की राजस्थान से करारी हार के बाद जैसे कोहराम मच गया है । राहुल गांधी के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर पुत्र मोह की टिप्पणी ने इसे ज्यादा हवा दे दी है । इसके बाद प्रदेश के कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने इस्तीफा दे दिया है । अपना इस्तीफा देकर कटारिया उत्तराखंड में मंदिर दर्शन को चले गए हैं । इस बीच राजस्थान कांग्रेस के सचिव सुशील आसोपा ने यह कहकर मामले को विवादास्पद कर दिया है कि राजस्थान की जनता अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री बनने और सचिन पायलट को पार्टी द्वारा हाशिए पर डालने से नाराज थी । जिसके नतीजे में उसने कांग्रेस की बजाए भाजपा को वोट देकर अपनी नाराजगी व्यक्त कर दी ।
आसोपा ने अपनी फेसबुक के वॉल पर लिखा है कि ‘राजस्थान में हार की वजह सचिन पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनाना है’ । वह कहते हैं कि राजस्थान में कहीं भी चले जाओ, वही से आवाज आती है जिसमें हर कोई प्रदेश का नेतृत्व सचिन पायलट के हाथों में देने को कहता है । आसोपा कहते हैं कि कांग्रेस अगर सचिन पायलट को 5 साल की मेहनत के प्रतिफल में मुख्यमंत्री बनाती तो आज राजस्थान में लोकसभा के परिणाम कुछ और ही होते । लोग कहते हैं कि सचिन पायलट की 5 साल तक अथक मेहनत के कारण ही वह माहौल बना जिसमें कांग्रेस के विधायक जीते और पार्टी बहुमत मे आई ।
5 माह पूर्व राजस्थान में मिले समर्थन के पीछे युवाओं को यह लगता था कि इस बार प्रदेश नेतृत्व का मौका सचिन पायलट को मिलेगा । लेकिन कांग्रेस में सचिन पायलट को मुख्यमंत्री न बना कर अशोक गहलोत को बना दिया गया । शायद इसी भूल का प्रायश्चित अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कर रहे हैं ।
उधर पार्टी के नेताओं का कहना है कि कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी पहले से ही सचिन पायलट को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे । लेकिन सोनिया गांधी ने इस पर हामी नहीं भरी थी । कारण अशोक गहलोत गांधी परिवार के काफी पुराने नजदीकियों में सुमार रहे हैं । लेकिन इस बार वह अपने मन मुताबिक फैसला ले सकते है । जिसमें पायलट उनकी पहली पसंद हो सकती है ।