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‘हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बननी तय’

राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत गुर्जर नेता के तौर पर अपनी पहचान स्थापित कर चुके हरियाणा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता धर्म सिंह छौक्कर से ‘दि संडे पोस्ट’ के संपादक अपूर्व जोशी की विशेष बातचीत के अंश। यह बातचीत 18 जून 2019 को फेसबुक पर लाइव प्रसारित हुई थी

हरियाणा में कांग्रेस लोकसभा चुनाव में खाता तक नहीं खोल पाई। अब विधानसभा चुनाव सिर पर हैं। क्या रणनीति है कांग्रेस की?
भाजपा ने पूरे हिंदुस्तान में धर्म की, जातिवाद की राजनीति को बढ़ावा दिया है। जहां तक हरियाणा की बात है, हरियाणा प्रदेश में इन्होंने धर्म और जाति को लड़ाकर गेम खेला। जाट, नॉन जाट की राजनीति कर हरियाणा में अपनी कामयाबी हासिल की। मैं सोनीपत लोकसभा सीट का इंचार्ज था। मैंने सारी चीजें अपनी आंखों से देखी। हरियाणा में मोदी की लहर थी इसमें कोई दो राय नहीं है। लेकिन साथ-साथ ईवीएम की गड़बड़ की भी पूरे प्रदेश और देश में चर्चा है। लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने विकास की बात छोड़कर जातिवाद का नारा देकर जनता को गुमराह किया। लेकिन जनता सबक सीख चुकी है। आने वाले विधानसभा चुनाव में उलटफेर होगा और 90 में से 75 सीटें कांग्रेस लेकर आएगी। लोग अब इनकी अफवाहों और झूठे वादों में नहीं फंसने वाले हैं।

हरियाणा कांग्रेस में सबसे बड़े नेता के रूप में पूर्व मुख्मयंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा का नाम लिया जाता है, लेकिन भूपेंदर सिंह हुड्डा भी सर्वमान्य नेता नहीं हैं। ऐसे में एक लीडरशिप का अभाव हरियाणा में कांग्रेस में दिख रहा है तो फिर आप कैसे 75 सीट जीतने का दावा कर रहे हैं?

देखिए, राहुल गांधी जी के नेतृत्व में हरियाणा में कांग्रेस दमदार प्रदर्शन करेगी। हर पार्टी में थोड़ा-बहुत कम्पीटिशन नेताओं के बीच होता है। सबका मन करता है मैं आगे बढ़ूं। जितने भी बड़े नेता हैं सब पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। मैं मानता हूं नेताओं में मतभेद हो सकते हैं, मनभेद नहीं। लोकसभा के रिजल्ट हमारे पक्ष में नहीं आए लेकिन विधानसभा में हम बहुमत लाएंगे।

वर्ष 2014 में अशोक तंवर को कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। उसके बाद आप विधानसभा चुनाव हारे और कांग्रेस हालिया लोकसभा चुनाव में दस की दस सीट हार गई। कहा जाता है कि इन छह वर्षों के दौरान अशोक तंवर जिला स्तर से ब्लॉक तक की कमेटियों का गठन नहीं कर सके। अशोक तंवर और हुड्डा अलग- अलग ध्रुव हैं। आप कह रहे हैं मतभेद हो सकते हैं मनभेद नहीं हैं तो अगले तीन महीने बाद हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं आप किसके नेतृत्व में चुनाव में उतरेंगे?
देखिए, यह मामला हाईकमान के अधीन है। पीसीसी अध्यक्ष किसको बनाना है, किसको आगे बढ़ाना, मुख्यमंत्री के कंडीडेट का चयन करना यह हाईकमान की जिम्मेदारी है। पार्टी जिसको भी आगे बढ़ाएगी हम उसका स्वागत करते हैं।

हरियाणा में आप कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। पिछले आठ-नौ महीनों में आपकी सक्रियता से आपको राष्ट्रीय स्तर पर भी नई पहचान मिली है। तो ऐसे में आप मानेंगे कि हरियाणा में सब कुछ सही नहीं चल रहा है और गुटबाजी चरम पर है?
देखिए, गुटबाजी तो हर पार्टी में होती है। मैं पहले भी कह चुका हूं। आपसी विचारों की लड़ाई होती है, कोई किस तरीके से चलता है, कोई किस तरीके से, ठीक है हुड्डा भी पार्टी के लिए काम कर रहे हैं और तंवर भी पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। आपसी रार जैसा कुछ नहीं है।

इसी नौ जून को हुड्डा जी ने अपने आवास पर एक बैठक बुलाई। उस बैठक में आपके 17 विधायकों में से दस विधायक आए थे। रणदीप सुरजेवाला जो आपके राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी हैं और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के करीबी हैं, वो उपलब्ध नहीं थे। किरण चौधरी जो एमएलए हैं वो भी उपलब्ध नहीं थीं और रेणुका और कुलदीप विश्नोई भी नहीं थे। इससे पहले जब आपके केंद्रीय प्रभारी आजाद साहब ने बैठक बुलाई, उनके समक्ष ही हुड्डा और तंवर के समर्थक भिड़ गए। यहां तक कि तंवर को कहना पड़ा कि ‘मुझे गोली मार दो?’
देखिए, गुलाम नबी आजाद जी ने अपने प्रयासों से सभी कांग्रेसियों को एक रथ में बैठाया था। आपको याद होगा। लोकसभा चुनाव से पहले जिनका आप नाम ले रहे हैं सभी एक रथ में सवार थे, उसमें हम भी थे। जहां तक हुड्डा जी की बात है मैं उस बैठक में उपस्थित था। करीब 70 पूर्व विधायक शामिल हुए। हमारे राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी सुरजेवाला, किरण चौधरी, रेणुका और कुलदीप विश्नोई पार्टी कार्यक्रम में व्यस्त थे।

ऐसा क्यों है कि सबको दिख रहा है, हमको दिख रहा है, बाहर बैठे लोगों को दिख रहा है, मगर आप लोग इसे स्वीकार नहीं रहे हैं कि कांग्रेस में गुटबाजी है। अगर कांग्रेस, बीजेपी से सत्ता छीनना चाहती है तो उसे एकजुट होकर काम करना होगा। मगर आपका यह तक तय नहीं हो पाया है कि किसके नेतृत्व में लड़ाए जाएंगे?
मैं स्पष्ट बोलता हूं। आप सच कह रहे हो। जिला और ब्लॉक स्तर पर संगठन नहीं बना। यह हमारी कमी है। जहां तक नेताओं के मनभेद की बात है, जैसे तंवर जी अलग बैठक कर रहे हैं और हुड्डा जी अलग बैठककर रहे हैं। ठीक है, लेकिन अपने काम पर लगे हुए हुए हैं और पार्टी हित में काम कर रहे हैं। आने वाले समय में कांग्रेस की सरकार राज्य में बनेगी।

जब से हरियाणा राज्य बना तब से राज्य में ज्यादातर कांग्रेस की सरकार रही है। कांग्रेस लगातार वहां जाट आधारित राजनीति करती आई है। हरियाणा में 27 प्रतिशत जाट वोट बैंक माना जात है। यही कारण रहा बंशीलाल हो या भजनलाल या फिर हुड्डा हों हरियाणा मतलब जाट। भाजपा ने नया एक्सपेरीमेंट किया, नॉन जाट और ओबीसी पर फोकस किया। उनकी ये रणनीति सफल रही। कांग्रेस इस नई तरीके की सोशियल इंजीरियरिंग की काट कैसे करेगी?
भूपेंदर सिंह हुड्डा जी की बात मैं पहले कहना चाहूंगा। आप कह रहे हैं उन्होंने कहा है कि यदि प्रदेश अध्यक्ष नहीं बदला गया तो वे पार्टी छोड़ देंगे। ऐसा कतई नहीं है। यह तो दरअसल, जाट आरक्षण आंदोलन के बहाने बीजेपी ने अफवाह फैलाई। बीजेपी ने ही हुड्डा के गढ़ में सेंध लगाने के लिए यह दुष्प्रचार किया। जो जाट आरक्षण में हुआ हम भी वहां देख रहे थे। हरियाणा की पुलिस, मिलिट्री फोर्स तक लगाई गई है। सरकार ने जानबूझकर यह चक्रव्यू रचा और हुड्डा को बदनाम करने के लिए किया गया। इसमें कुछ जाट नेताओं का भी रोल रहा। हुड्डा रोहतक में जन्मे, रोहतक में पले और हरियाणा के सीएम रहे। क्या कोई अपने घर को जलाएगा, कोई ऐसा इंसान है जो अपने घर को जलाएगा। यह सिर्फ बीजेपी का खेल है। जहां तक जाट और नॉन जाट की बात है तो कांग्रेस कभी जाति या धर्म आधारित राजनीति नहीं करती है। बीजेपी का कल्चर है जाट और नॉन जाट वो कर रहे हैं।

फरवरी 2016 में जाट आरक्षण का मुद्दा उठा था। लोकसभा चुनाव में ऐसा क्यों हुआ कि जाट भी आपसे छिटक गया। वो बीजेपी में चला गया। जिसका खामियाजा हुड्डा जी को बड़ी हार के तौर पर झेलना पड़ा है?
आरक्षण में प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट आई। वो आउट क्यों नहीं की अब तक उन्होंने? आज मैं दावे से कह सकता हूं कि प्रकाश सिंह रिपोर्ट को आउट कर दें सब कुछ साफ हो जाएगा। लेकिन सरकार नहीं कर पा रही है। हरियाणा के डीजीपी का ट्रांसफर किया, होम सेक्रेटरी का ट्रांसफर कर दिया गया। होम डिपार्टमेंट मुख्यमंत्री जी के पास था, उन्होंने इस्तीफा क्यों नहीं दिया? सोचने की बात है? यह पार्टी जुमलों की पार्टी है, झूठा प्रचार करती है। लोगों में भ्रम पैदा करती है। भ्रम ज्यादा दिन नहीं चल सकता। जनता समझ चुकी है। जातिवाद पर लड़ाना, भाई को भाई से लड़ाना। धर्म को धर्म से लड़ाना। यह राजनीति नहीं कहलाती। यह स्वार्थ के लिए राजनीति करते हैं।

आप आने वाले तीन महीने बाद चुनाव में जा रहे हैं, इतनी जल्दी जनता कैसे समझ पाएगी? जबकि अभी जाटों ने भी बीजेपी को वोट दिया है और आप तो पूरे प्रदेश की बात कर रहे हैं। तीन महीने में ऐसा क्या होगा जो जनता समझ जाएगी?

मैं हर बूथ पर गया हूं। मैं लोगों के पास गया हूं, पहले भी एक बार ऐसा हुआ था, मैं आपको बता हूं 75 सीट हमारी कैसे आएंगी। हर वोटर कहता है, केंद्र में मोदी को वोट देंगे और राज्य में कांग्रेस को वोट देंगे। ये जनता है ये तो तीन दिन में तख्ता पलट देती है।

हरियाणा में इस समय विपक्ष पूरी तरह से बंटा हुआ है। खुद कांग्रेस गुटों में बंटी हुई है। आम आदमी पार्टी के साथ कांग्रेस गठबंधन करने को तैयार नहीं है। तो क्या आने वाले तीन माह बाद चुनाव में आप अकेले 90 की 90 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे?
हां, 100 प्रतिशत कोई गठबंधन नहीं होगा। और गठबंधन की जरूरत भी नहीं है। यह आने वाला समय बता भी देगा। आने वाला चुनाव कांग्रेस के पक्ष में होगा। यह जुमलों की सरकार है। 168 वादों में से इस सरकार ने एक भी वादा पूरा नहीं किया है। भ्रष्टाचार ज्यादा हुआ।

आप किन मुद्दों को लेकर चुनाव में उतरेंगे? भ्रष्टाचार का मुद्दा आपने उठाया और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ही भूपेंदर सिंह हुड्डा की सरकार सत्ता से बाहर हुई तो भ्रष्टाचार को आप मुद्दा कैसे बना सकते हैं?
भ्रष्टाचार के मुद्दों पर हुड्डा सरकार बाहर नहीं हुई है। मैं स्पष्ट शब्दों में कहूंगा, हुड्डा सरकार में कोई घोटाला नहीं हुआ था। इन्होंने झूठे मुकदमे दर्ज कराए हैं। ये सब कांग्रेस पार्टी को बदनाम करने के लिए किया गया है। इसमें कोई सच्चाई नहीं है।

26 जनवरी 2015 को सीबीआई ने हुड्डा सरकार और 1987 बैच के एक आईएएस अफसर और पंद्रह बिल्डरों पर मुकदमा दर्ज किया। सीबीआई कहती है कि टीसी गुप्ता, 1987 बैच के आईएएस अफसर ने बिल्डर के साथ मिलकर एक गलत पॉलिसी के अंतर्गत हुड्डा सरकार से जमीन अधिग्रहण की परिमिशन ली। जिससे बिल्डरों को करोड़ों का फायदा हुआ। इस पर सीबीआई का मुकदमा दर्ज हुआ। दूसरी ओर आप कह रहे हैं कि यह राजनीति से प्रेरित है?
मुकदमा दर्ज करना कोई सजा नहीं है। मैं कोई जमीन ले लेता हूं और सीएलयू लाइसेंस ले लेता हूं। आज एक जमीन को दो करोड़ रुपए पर ले लेते हैं। फिर लैंड यूज बदलवा कर उसका उसको दस करोड़ रुपए में सेल कर देते हैं, क्या गलत किया?

एक प्रश्न रह जाता है धर्म सिंह जी। आप इस प्रश्न से बच रहे हैं। कांग्रेस किसके नेतृत्व में मैदान में उतरेगी?
देखिए, खट्टर सरकार ने 164 वादों की घोषणा की थी। देश के मुद्दे अलग होते हैं और राज्य के स्थानीय मुद्दे होते हैं। हम स्थानीय मुद्दों पर सरकार को घेरेंगे और वो घिरेगी। हरियाणा में हुड्डा सरकार दस साल रही। हमारी सरकार ने हरियाणा में बहुत विकास किया, लेकिन इस सरकार ने नाम बदलने के सिवा कुछ नहीं किया। इस पुल का नाम ये रख दिया, एम्स का नाम बदला। ये नाम बदलने की सरकार है। एम्स का मैं उदाहरण दे देता हूं। मनमोहन सिंह जी, भूपेंदर सिंह हुड्डा जी और सोनिया जी ने उसका शिलान्यास किया और आज जब वो बन के शुरू हो गया तो इन्होंने इसका नाम बदल दिया। ऐसे बहुत से उदाहरण हैं। इन्होंने न कोई यूनिवर्सिटी बनाई, न थर्मल पावर प्लांट। इसलिए हरियाणा में चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़े जाएंगे और हम भारी बहुमत से वहां सरकार बनाएंगे।

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