Country

तुगलकी फरमान पर कोर्ट का डण्डा

‘न खाता न बही, जो मंत्रीजी कहें वही सही’ ये हाल है उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार का। यहां मुख्यमंत्री को संज्ञान में लिए बगैर मंत्री व राज्य मंत्री  नियम-कानून की परवाह किए बगैर ऐसे फरमान जारी कर रहे हैं जिसका खामियाजा सरकार को अपनी छवि से चुकाना पड़ रहा है। हालिया मामला बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल के तुगलकी फरमान से सम्बन्धित है। मंत्री महोदया ने नियम-कानूनों की परवाह किए बगैर ऐसे आदेश जारी कर दिए के सरकार को अब न्यायपालिका में जवाब देते नहीं बन रहा। यह मामला सरकारी प्राइमरी स्कूलों में सप्लाई होने वाले जूते-मोजे से सम्बन्धित है। मंत्री महोदया के आदेश पर नियमों को दर-किनार करते हुए जूते-मोजे सप्लाई करने वाली 10 कम्पनियों को एल-1 से एल-10 तक बराबर की सप्लाई का सरकारी आर्डर दे दिया गया जो नियमतः गलत था। नियम यह है कि टेण्डर प्रक्रिया में भाग लेने वाली कम्पनियों में से एल-1 को 25 से 60 प्रतिशत तक सप्लाई का आदेश दिए जाने की व्यवस्था है। बस इसी नियम का फायदा उठाया जूते-मोजे बनाने वाली एक नामचीन कम्पनी खादिम ने। पहले तो सम्बन्धित अधिकारियों से लेकर सम्बन्धित विभाग की मंत्री को नियमों की खिलाफत के बाबत अवगत कराया गया लेकिन जब बात नहीं बनी तो उक्त कम्पनी कोर्ट पहुंच गयी। नियमों के आधार पर कोर्ट ने भी सरकार के खिलाफ फैसला देते हुए कहा कि सरकार अगली सुनवाई तक इन आरोपों का जवाब दे।
बात यदि विभागीय नियम-कानूनों की हो तो सरकार इस मामले में कहीं बचती नजर नहीं आ रही। प्रश्न यह उठता है कि सरकार ने क्या सोंचकर दस कम्पनियों को बराबर सप्लाई का आर्डर दे दिया। गौरतलब है कि खादिम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति राजन राय एवं न्यायमूर्ति डी एस त्रिपाठी की खंडपीठ ने सरकार को तलब किया है और सम्बन्धित टेण्डर का ब्यौरा मांगा है।
याचिका दायर करने वाली कम्पनी ने उत्तर प्रदेश सरकार के (4 जून 2018) आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में कहा है कि सरकार अपनी ही बनायी गयी नीति का अनुसरण करने के बजाए मनमर्जी तरीके से काम कर रही है। नीति के अनुसार एल-1 के साथ ही सर्वोच्च मानक वाले आपूर्तिदाता को कम से कम 25 प्रतिशत की सप्लाई का आर्डर दिया जाना चाहिए। यह आर्डर अधिकतम 60 प्रतिशत तक किया जा सकता है। इसके बावजूद सरकार ने सर्वोच्च मानक वाले आपूर्तिदाता को कम से कम 25 प्रतिशत की सप्लाई देने के बजाए टेंडर में शामिल सभी कंपनियों को दस-दस प्रतिशत की सप्लाई दे दी जो नियमों के विरुद्ध है।
खादिम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई करते समय अदालत ने भी यह माना है कि टेंडर प्रक्रिया के लिए जारी आदेश नियम कायदों के अनुसार नहीं थे। इस पर अदालत ने मामले से संबंधित रिकाॅर्ड अदालत के समक्ष पेश किए जाने के आदेश दिए हैं। कोर्ट में अगली सुनवाई 28 जून निर्धारित की गयी है। कोर्ट के रुख को देखते हुए यह अंदाज लगाया जाना कठिन नहीं है कि सरकार को अपने आदेश वापस लेने पडे़ंगे।
क्या कहते हैं विभागीय अधिकारी
नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर विभागीय अधिकारियों का मानना है कि नियमों को दर किनार करते हुए इस तरह का आदेश इसलिए दिया गया ताकि किसी कम्पनी विशेष की न तो मनमानी चल सके और न ही बीच में किसी के खाने-कमाने का जरिया उत्पन्न हो। इस प्रक्रिया से कम्पनियों द्वारा सप्लाई किये जाने वाले सामान गुणवत्तापरक होंगे, क्योंकि दूसरी कम्पनियों का सामान भी सामने होगा और गुणवत्ता की मिलान आसानी से हो सकेगी। विभागीय अधिकारियों के दावों में कितना दम है यह तो जांच का विषय हो सकता है फिलहाल कोर्ट ने नियमों के विरुद्ध सप्लाई का आदेश जारी किए जाने को लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। 

Leave a Comment

Your email address will not be published.

You may also like

MERA DDDD DDD DD