केंद्र सरकार कृषि में सुधार लाने के लिए तीन अध्यादेश लेकर आई है। लोकसभा से बिल पास हो चुके हैं। लेकिन देश के कुछ राज्यों में किसान इसको लेकर विरोध कर रहे हैं। पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडू और पश्चिम यूपी के किसान इन्हें रद्द करने के मांग कर रहे हैं। पंजाब और हरियाणा में इस बिल को लेकर पिछले कई दिनों से धरना-प्रदर्शन चल रहा है।

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के गृह जनपद मुक्तसर के बादल गांव में लोग उनके घर के बाहर प्रदर्शन करने पहुंचे हैं। पूरा बादल गांव छावनी में तब्दील हो गया है। प्रदर्शन में महिलाएं, बच्चे, जवान और बूढे सभी शामिल हैं। वहीँ पंजाब के अन्य जिलों में भी केंद्र सरकार के खिलाफ लोग नारे लगा रहे हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतले फूंके जा रहे हैं। कई जिलों में किसानोँ ने चक्का जाम कर दिया है। कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल बीजेपी सरकार को कोस रहे हैं। यही नहीं केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि जब इस बिल पर चर्चा के लिए कमेटी बनी तब हरसिमरत कौर बादल ने बिल पर साइन किए थे। कुछ दिन पहले ही मानसा के एक किसान ने पूर्व मुख्यमंत्री के घर के बाहर जहर खाकर अपनी जान दे दी थी।
पंजाब और हरियाणा दोनों ही राज्य कृषि पर आधारित हैं। कृषि क्षेत्र से ही इन राज्यों के जीडीपी का आधा हिस्सा आता है। इसलिए सभी राजनीतिक पार्टियां किसानों को अपना वोट बैंक बनाने के लिए आगे आ रही है। लेकिन इसकी खास बात यह है कि यह किसी भी राजनीतिक पार्टी को स्टेज पर अपने विचार रखने की मनाही है। किसानों का कहना है कि सरकार एमएसपी को ख़त्म कर रही है।
एमएसपी वह न्यूनतम समर्थन यानी गारंटेड मूल्य है जो किसानों को उनकी फसल पर मिलता है। भले ही बाजार में उस फसल की कीमतें कम हो। इसके पीछे तर्क यह है कि बाजार में फसलों की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का किसानों पर असर न पड़े। उन्हें न्यूनतम कीमत मिलती रहे।