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उप चुनाव में मिली हार बनी गोवा संकट का कारण

कांग्रेस की गोवा इकाई में मौजूद उथल-पुथल के बीज तब बोए गए जब कांग्रेस चार में से तीन सीटें विधानसभा उपचुनाव में हार गई। 23 मई को लोकसभा चुनाव परिणाम के साथ-साथ घोषित इन उपचुनाव नतीजों के बाद गोवा कांग्रेस में आक्रोश पनपने लगा था।

गत् बुधवार कांग्रेस के 15 में से 10 विधायक पाटबर््ी से अलग हो भाजपा में शामिल हो गया। उपचुनावों से पहले 40 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 14 विधायक थे। दअरसल प्रदेश कांग्रेस को पूरा भरोसा था कि उप चुनाव में कम से कम तीन जीतेे उसी के खाते में आ जायेगी। यदि ऐसे होता तो कांग्रेस गोवा विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन सरकार बनाने का दावा पेश कर देती। ऐसा लेकिन हुआ नहीं। भाजपा नेतृत्व इसके बाद अपने मिशन में जुट गया।

एक महीने पहले 11 जून को गोवा कांग्रेस अध्यक्ष गिरीश चोडांकर ने एक प्रेस कांन्फ्रेंस में दावा किया था कि सत्ताधारी भाजपा अपने प्रत्येक विधायक को पक्ष बदलने के लिए 40 कोड़ रूपये कीपेशकश कर रही थी।

सूत्रों के अनुसार भाजपा के दो वरिष्ठ भाजपा नेता कावेलकर और मोनसर्ट कांग्रेस विधायकों के साथ गुप्त बैठकें करने में जुटे थे। कांग्रेस का मामनना है कि इन्हीें देानेां ने अधिकतर विधायकों को भाजपा में शामिल होने के लिए राजी किया। गोवा के प्रभारी महासचिव ने कहा इनमें से कुछ विधायकों ने मुझे बताया है कि पिछले दो से तीन महीनों से उनसे संपर्क किया जा रहा था। उन्होंने स्वीकार किया कि उनहें इतने विधायकों के पार्टी एकमुश्त छोड़ने की उम्मीद नहीं थी।

कांग्रेस से अलग हुए गोवा के दस विधायक गुरुवार को दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए, जिसने सरकार चलाने के लािए सहयोगी और निर्दलीयों पर भगवा पार्टी की निर्भरता को समाप्त कर दिया है। पर्रिकर समर्थकों ने कांग्रेस नेताओं को शामिल करने पर असंतोष व्यक्त किया। कांग्रेस के दस विधायकों के भारतीय जनता पार्टी (बीजपी) में शामिल होने पर सत्ताधारी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के करीबी माने जाने वाले लोगों ने पार्टी के कांग्रेसीकरण पर नाराजगी व्यक्त की है।

‘‘जो कुछ भी हुआ है वह सही नहीं है। यह उस पार्टी के सिद्धांतों और संस्कृति के अनुसार नहीं है जिसे हमने स्थापित किया है। हम देखेंगे कि इसे सुधारने के लिए क्या किया जा सकता है। मैं इसे पार्टी अध्यक्ष के साथ उठाऊंगा,’’ राजेंद्र आलेकर, पूर्व गोवा विधानसभा अध्यक्ष, पूर्व पर्यावरण मंत्री, पूर्व सीएम पर्रिकर के बेट े उत्पल पर्रिकर, ने भी कहा कि पार्टी ने उनके पिता की परिकल्पना अनुसार काम नहीं किया। उत्पल ने कहा, विश्वास का रासता जो उनहोंने अपनी राजनीति में स्थापित किया था, गत सत्रह मार्च को समाप्त हो गया। भाजपा के नेतृत्व वाली गोवा सरकार में एक मंत्री ने दावा किया कि उन्हें घटनाक्रम पर अंधेरे में रखा गया था, बिजली मंत्री नीलेश कैबरल ने पहले से ही स्थिर सरकार को मजबूत करने की आवश्यकता पर सवाल उठाया।

उन्होंने कहा मुझे स्थिति की जानकारी नहीं है यदि आप मुझसे पूछते हैं, तो मुझे इसके कारणों का पता नहीं है कि उन्हें ऐसा क्यों करना पड़ा। एक कारण यह हो सकता है, क्योंकि अब उनके आने के साथ ही हमारे पास बहुमत है। हालांकि पहले से ही स्थिर थी।

भाजपा गोवा में स्थिर सरकार चलाने के लिए निर्दलीय विधायकों पर निर्भर थी। इन विधायकों की प्रतिदिन बढ़ती मांग से परेशान हो गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कांग्रेस विधायक दल को तोड़ने की बात पर भाजपा नेतृत्व से सहमति ले ली थी।

‘‘जो कुछ भी हुआ है वह सही नहीं है। यह उस पार्टी के सिद्धांतों और संस्कृति के अनुसार नहीं है जिसे हमने स्थापित किया है। हम देखेंगे कि इसे सुधारने के लिए क्या किया जा सकता है। मैं इसे पार्टी अध्यक्ष के साथ उठाऊंगा,’’
राजेंद्र आलेकर, पूर्व गोवा विधानसभा अध्यक्ष, पूर्व पर्यावरण मंत्री,

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