Uttarakhand

फलपट्टी में ‘ऐथनॉल’ की उपज

ढ़ाई साल पहले केंद्र सरकार ने देश भर में 199 ऐथनॉल औद्योगिक ईकाइयों को स्थापित करने की मंजूरी दी थी। पेट्रोल-डीजल में मिश्रण के लिए महत्वपूर्ण ऐथनॉल की एक ईकाई उत्तराखण्ड के नैनीताल जनपद के कालाढूंगी क्षेत्र में निर्माणाधीन है। निर्माण शुरू होने के साथ ही आधा दर्जन गांवों के लोग इसके विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इस प्लांट के शुरू होने से उनका फलपट्टी क्षेत्र तबाह हो जाएगा। जिस खेती-बाड़ी से वे अपना जीवन-यापन कर रहे हैं वह चौपट हो जाएगी। चौंकाने वाली बात यह है कि ऐथनॉल प्लांट का निर्माण पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित कई विभागों के अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त किए बिना ही चल रहा है। इस मुद्दे को हल्द्वानी विट्टाायक सुमित हृदयेश द्वारा विट्टाानसभा में उठाया जा चुका है। स्थानीय विट्टाायक बंशीधर भगत भी इसके खिलाफ ग्रामीणों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। वे केंद्रीय मंत्री से मिलकर इस कम्पनी के मानकों की जांच कराने की मांग कर चुके हैं। ऐसे में सवाल यह है कि आखिर बिना मानकों के प्लांट का निर्माण किसकी शह पर हो रहा है?

किसी भी छोटे या बड़े उद्योग को स्थापित करने के लिए शासन- प्रशासन के जो मानक अनुसार अनापत्तियां होती हैं उनके बिना किसी भी उद्योग को स्थापित करने की अनुमति नहीं मिलती है। नैनीताल जिले के विकासखंड कोटाबाग के सूरपुर गांव में निर्माणाधीन ऐथनॉल प्लांट की स्वीकृति के लिए स्थानीय एवं जिला स्तर के संबंधित विभागों से कोई एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) ही नहीं लिया गया है। इसका खुलासा 14 मार्च 2024 को जिला प्रशासन द्वारा ऐथनॉल प्लांट के सम्बंध में ग्रामीणों और विभागों की बैठक के दौरान हुआ है। बैठक में स्पष्ट तौर पर जिले के विभागीय अधिकारियों ने ऐथनॉल प्लांट के लिए किसी भी तरह का अनापत्ति प्रमाण पत्र देने से साफ इनकार कर दिया। यही बात यहां के करीब आधा दर्जन गांवों के लोग बोल रहे हैं। वे ट्टारना-प्रदर्शन और आंदोलन भी कर रहे है। लेकिन जिले के आला अधिकारी उनकी बात सुनने को तैयार नहीं है। ऐथनॉल प्लांट के खिलाफ आंदोलन कर रहे ग्रामीणों का कहना है कि नियमानुसार कोई भी उद्योग लगाने से पहले राजस्व विभाग, लोक निर्माण विभाग, सिंचाई, वन, उद्यान, उद्योग, नलकूप एवं खनन आदि विभागों के अनापत्ति प्रमाण की आवश्यकता होती है। उक्त विभागों के अनापत्ति प्रमाण पत्र लिए बिना ही प्लांट का निर्माण चर्चा का विषय बना हुआ है।

सवाल उठ रहे हैं कि जब इन विभागों से अनापत्ति नहीं ली गई है तो प्लांट का निर्माण किस आधार पर हो रहा है? आखिर प्लांट मालिक द्वारा ऐसे क्या दस्तावेज केंद्र सरकार को प्रस्तुत किए गए जिससे इतने बड़ी औद्योगिक ईकाई को गांव में स्थापित करने की स्वीकृति दे दी गई? सवाल यह भी है कि प्लांट मालिक द्वारा हाईकोर्ट में ऐसे क्या दस्तावेज प्रस्तुत किए जिसके आधार पर प्लांट का निर्माण कराने और सुरक्षा देने की अनुमति दी गई?
‘हमारा यह क्षेत्र फलपट्टी का क्षेत्र कहलाता है। यहां के बाग-बगीचों में पैदा हुए फलों की देश-दुनिया में मांग रहती है। यहां आम और लीची की बढ़िया पैदावार होती है। जिधर देखो उट्टार ही यहां आम और लीची के बाग हैं। खेती भी बहुत अच्छी होती है। इस खेती-बाड़ी पर ही हमारे गांव के लोग जीवन-यापन करते हैं। लेकिन अब यह खेती-बाड़ी ज्यादा दिन नहीं हो सकेगी। इस हरियाली को किसी की नजर लग गई है। अब यहां हरियाली के बीच ऐथनॉल की प्लांट लगाई जा रही है। यह प्लांट जिस दिन से लगनी शुरू हुई है उसी दिन से हमारे गांव और आस-पास के आधा दर्जन गांवों के किसान परेशान हैं। सभी किसानों को डर सता रहा है कि जिस दिन यह प्लांट शुरू हो गई उस दिन हमारी खेती बाड़ी पर संकट छा जाएगा। किसान अपने भविष्य को लेकर आशंकित है। अगर यही हाल रहा तो गांव के किसान यहां से पलायन करने को मजबूर हो जाएंगे।

यह कहना है बिधरामपुर ग्रामसभा की निवासी ज्योति चुफाल के ज्योति के साथ ही अन्य कई ग्रामीण कालाढूंगी क्षेत्र में चकलवा के गांव रामपुर में लग रही ऐथनॉल प्लांट के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। रामपुर के साथ ही सूरपुर, देवीपुरा, रतनपुर, नरीपुरा, हरीपुर, करमपुर, संगतपुर आदि गांवोें के लोग पिछले ढ़ाई साल से भी अधिक समय से ऐथनॉल प्लांट के विरोध में हैं। प्रभावित सभी गांवों के लोगों ने प्लांट को यहां स्थापित न करने की शासन-प्रशासन के साथ ही प्रदेश के मंत्री और मुख्यमंत्री से भी गुहार लगाई है। सभी ग्रामीणों ने एकजुट होकर ‘गांव बचाओ संघर्ष समिति’ का भी गठन किया। इसके बैनर तले सैकड़ों लोगों ने धरना-प्रदर्शन भी किए। पहले इस मुद्दे से स्थानीय विधायक दूरी बनाकर चल रहे थे। लेकिन जब ग्रामीणों ने विधायक और सांसद के गुमशुदा होने के पोस्टर लगाए तो मजबूरन प्रतिनिधियों को उनके साथ आंदोलन में शामिल होना पड़ा।

झलुवाझाला निवासी विनोद बुधलाकोटी कहते हैं कि प्रशासन की मिलीभगत से मानको को ताक पर रखकर ऐथनॉल प्लाट का निर्माण किया जा रहा है। ऐथनॉल कंपनी के मालिक ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड प्राधिकरण बोर्ड, सहित कई विभागों से एनओसी नहीं ली है। साथ ही जरूरी मानकों की अनदेखी कर निर्माण शुरू कर दिया है। प्लॉट से निकलने वाले धुंए से क्षेत्र में बच्चे-बुढ़े बीमार होंगे। हमारे बाग-बगीचे, फसल सभी चौपट हो जाएंगे। पिछले ढ़ाई साल से उन्होंने किसी भी अधिकारी और नेता के दर को नहीं छोड़ा जहां जाकर वे ऐथनॉल प्लांट बंद कराने की गुजारिश नहीं कर चुके हैं। बुधलाकोटी के अनुसार ऐथनॉल प्लांट स्थापित होने से उनके क्षेत्र में जल-मुद्रा एवं वायु प्रदूषण की मार से जनजीवन प्रभावित होगा। इसके विरोध में ग्रामीणों ने गत् लोकसभा चुनाव में मतदान के बहिष्कार की भी घोषणा की थी। ग्रामीण कई बार तहसील का घेराव भी कर चुके हैं। यहां तक कि ग्रामीणों ने सामूहिक आत्मदाह करने की भी चेतावनी दी है। लेकिन प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी।

कालाढूंगी बंदोबस्ती की पूर्व प्रधान मीनाक्षी आर्य कहती हैं कि प्लांट मालिक अपने सियासी सम्ंधों का इस्तेमाल कर औद्योगिक ईकाई का निर्माण शुरू कराकर अपने रूतबे को दिखाना चाहता है। यही नहीं बल्कि न्यायालय तक को भ्रमित किया गया। अगस्त 2022 में ऐथनॉल प्लांट मालिक हाईकोर्ट में जाकर अपने पक्ष में फैसला करा लेता है। न्यायालय के आदेश पर उसे पुलिस सुरक्षा मिल गई। यह सुरक्षा इस आधार पर मिली थी कि ग्रामीण उसे प्लांट में निर्माण नहीं करने दे रहे हैं। एक तरफ पुलिस सुरक्षा में मालिक निर्माण कार्य कराता रहा तो वहीं दूसरी तरफ स्थानीय लोग आंदोलन करते रहे। इसके बाद स्थानीय लोगों ने न्यायालय की शरण ली। तब न्यायालय ने 26 मई 2024 को आदेश दिए कि संबंधित विभागों से एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) लेने के बाद ही आगे का कार्य शुरू किया जाना चाहिए। यहां आकर पेंच फंस गया। बताया जा रहा है कि कंपनी मालिक केंद्रीय पर्यावरण विभाग से स्वीकृति लेकर प्लांट का निर्माण कार्य शुरू कर रहा था। लेकिन जब हाई कोर्ट ने कहा कि स्थानीय स्तर पर विभागों की स्वीकृति लेनी आवश्यक है। कालाढूंगी के हरीश मेहरा की मानें तो हल्द्वानी स्थित पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अभी तक भी ऐथनॉल प्लांट को अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिला है। इसका प्रमाण सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मिल चुका है। बावजूद इसके प्लांट मालिक हठट्टार्मिता पर उतर आया है।

विधानसभा में भी उठ चुका है मुद्दा
हल्द्वानी के विधायक सुमित हृदयेश ने इस मुद्दे को विधानसभा में भी उठाया है। तब विधायक हृदयेश ने सभी तथ्यों को पटल पर रखते हुए इस प्लांट के निर्माण पर रोक लगाने की मांग भी की थी।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने दिए जांच के आदेश
गत् 26 जुलाई को कालाढूंगी के विधायक बंशीधर भगत के नेतृत्व में स्थानीय लोगों ने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव से भी मुलाकात की थी। केंद्रीय मंत्री ने तत्काल अधिकारियों को परियोजना के प्रपत्रों की जांच करने के आदेश दिए हैं।

बात अपनी-अपनी
इस मुद्दे को हमने विधानसभा में ही नहीं उठाया, बल्कि इस पर धरना-प्रदर्शन भी किया। प्लांट में बिना मानकों के निर्माण कार्य किया जाना सरकार की कार्यशैली पर सवाल है। जब तक प्लांट नहीं रद्द होगा तब तक हम ग्रामीणों के साथ इस आंदोलन में शरीक रहेंगे।
सुमित हृदयेश, विधायक, हल्द्वानी

जहां प्लांट लग रहा है वहां चार-पांच गुंडातत्व हैं जो हमसें रंगदारी लेना चाहते हैं। हम डरकर कोई काम नहीं कर सकते हैं। हमारे पास सभी लाइसेंस हैं जिनके अनुरूप निर्माण कार्य चल रहा है। अभी तो प्लांट चला भी नहीं है, अगर किसी भी विभाग को लगेगा कि हम प्रदूषण फैला रहे हैं तो वे हमारे प्लांट को बंद करा सकते हैं। हम हाईकोर्ट से जीत गए, एनजीटी से भी जीता गए हैं। सीएम के आदेश पर जिलाधिकारी ने कई बार हमारे कागज चेक किए हैं लेकिन उन्हें कोई गड़बड़ी नहीं मिली हैं।
नवनीत अग्रवाल, डायरेक्टर, मां शीतला वेंचर्स लिमिटेड

कोई भी पूंजीपति मानकों के विपरीत केवल सब्सिडी के लिए हमारे क्षेत्र में आता है तो इसका विरोध करना हमारा परम कर्तव्य है। हम किसी भी कीमत पर ऐथनॉल प्लांट को शुरू नहीं होने देंगे। चाहे कितनी ही बड़ी लड़ाई क्यों न लड़नी पड़े।
गुड्डू चौहान, रूपपुर ग्रामीण

प्लांट से वायु प्रदूषण बहुत अधिक मात्रा में रहेगा। प्लांट से 100 मीटर के दायरे में लगभग 30 परिवार इस समस्या से प्रभावित होंगे। क्षेत्र में लगातार वाटर लेवल कम हो रहा है। इसका विरोध करना जरूरी है।
दीपेश जलाल, ग्रामीण देवीपुरा

झूठे हैं कम्पनी के तथ्य: संघर्ष समिति
मिनिस्ट्री ऑफ इन्वायरमेंट फोरेस्ट एण्ड क्लाइमेंट चेंज द्वारा दी गई इन्वायरमेंट क्लीयरेंस में यह साफ अंकित है कि प्लांट निर्माण के लिए राज्य स्तर एवं जिला स्तर से विभिन्न विभागों से आवश्यक आनापत्ति प्रमाण पत्र लेने होंगे तथा ये भी अंकित किया गया है कि अगर कोई भी जानकारी असत्य है या छुपाई गई होगी तो दी गई इन्वायरमेंट क्लीयरेंस को निरस्त कर दिया जाएगा। प्लांट मालिक द्वारा इन्वायरमेंट क्लीयरेंस प्राप्त करने के लिए इस प्रकार झूठे साक्ष्य दिए गएः

– नजदीकी आबादी क्षेत्र ग्राम सूरपुर 840 मीटर और रामपुर 2.60 किमी. दर्शाया गया है जबकि देवीपुरा ग्राम मात्र 100 मीटर की दूरी पर स्थित है। इसी के साथ प्लांट से सटे दो मकान भी हैं।

– 1.300 किमी. की पूर्वी दिशा में गुलरघाटी नदी को अंकित किया गया है, जबकि आर.टी.आई. द्वारा प्राप्त आख्या के आधार पर उक्त नदी क्षेत्र में है ही नहीं।

– प्लांट मालिक द्वारा प्लांट के 10 कि.मी. के दायरे में कोई भी वन्य जीव गलियारा नहीं दर्शाया गया है, जबकि फतेहपुर गदगदिया रेंज में वन्य जीव (एलीफेंट कोरिडोर) गलियारा स्थित है।

– प्लांट मालिक द्वारा प्लांट लगने के स्थान के 10 कि.मी. के दायरे को सूक्ष्म वनस्पति क्षेत्र (बंजर भूमि) अंकित किया गया है, वास्तविकता में प्लांट से लगे आम और लीची के बाग बगीचे हैं।

-ग्रामीणों के विभिन्न विभागों में आर.टी.आई. द्वारा आख्या मांगने पर पता चला है कि पी.डब्ल्यू.डी. स्टेट पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड आदि विभागों द्वारा निर्माण के लिए अनापत्ति पत्र नहीं दिया गया है।

– प्लांट के लिए एपरोच रोड नहीं है। प्लांट जिस रोड पर स्थित है वह गांव के लिए है। यह रोड़ 6.9 मीटर है। जबकि मानकांे के अनुसार प्लांट के लिए रोड 15 मीटर चौड़ी होनी चाहिए।

– प्लांट मालिक द्वारा 4 से 6 नलकूप का निर्माण किया जा रहा है, प्लांट को प्रतिदिन 3 लाख 70 हजार लीटर पानी की आवश्यकता होगी, भविष्य में इससे जल स्तर घटेगा और आस-पास के क्षेत्र में सिंचाईं नलकूप प्रभावित होंगे।

– वर्तमान में ग्राम सभा रामपुर जिस ग्राम सभा में उक्त प्लांट का निर्माण किया जा रहा है, वहां का सिंचाईं नलकूप पिछले 4 साल से सूख चुका है, जिसकी गहराई 350 फिट थी, ग्रामीणों को भय सता रहा है कि जब 350 फिट तक पानी सूख चुका है तो ऐसे में उक्त प्लांट मालिक द्वारा 4 से 6 नलकूपों से लाखों लीटर पानी निकाला जाएगा, तो स्वाभाविक है कि पानी का जलस्तर बहुत तेजी से नीचे गिरेगा।

बात अपनी-अपनी
यह सरकार गरीबों व किसानों की नहीं है, केवल पूंजीपतियों और उद्योगपतियों की है। ग्रामीण आंदोलन कर रहे हैं लेकिन स्थानीय भाजपा नेताओं को कोई परवाह ही नहीं है। मानकों के विपरीत हो रहे ऐथनॉल प्लांट के निर्माण सरकार की नीयत बताने के लिए काफी हैं।
यशपाल आर्या, नेता प्रतिपक्ष

इस मुद्दे पर हम पहले मुख्यमंत्री जी से मिले। लेकिन जब हमें पता चला कि यह मामला प्रदेश सरकार से ऊपर का है तो हम केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से मिले। उन्होंने जांच के आदेश दिए। जांच कमेटी आई और जाांच की भी, लोगों के हित में इस प्लांट का संचालन नहीं किया जाना चाहिए। यहां चारों ओर बगीचे हैं, घर हैं। एक नलकूप यहां पहले से ही सूख चुका है। प्लांट में कई नलकूप लगेंगे तो जल स्तर बहुत कम हो जाएगा। लोगों के लिए पानी की कमी पड़ जाएगी। इसलिए मेरी मांग है कि स्थानीय लोगों की मांगों को पूरा किया जाना चाहिए।
बंशीधर भगत, विधायक, कालाढूंगी

जनता का रौद्र रूप देखकर सात बार के वरिष्ठ विधायक बंशीधर भगत विवश होकर देहरादून में मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे उन्होंने इस गंभीर विषय को उनके सामने रखा। लेकिन इससे बड़ा हास्यापद घटना क्या होगी कि उनके घर पहुंचने के पहले ही प्लांट निर्माण का आदेश हो गया।
जर्नादन जोशी, ब्लॉक अध्यक्ष, कांग्रेस

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