भाजपा में इन दिनों तीन राज्यों में मिली करारी हार के बाद भारी उथल-पुथल मची है। जहां पार्टी अध्यक्ष एक के बाद एक ताबड़तोड़ बैठके कर आगामी लोकसभा चुनाव की रणनीति को फाइनल रूप देने में जुटे हैं, वहीं पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बागी बोल भी बढ़ने लगे हैं। पिछले दिनों केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने दो मर्तबा इशारों-इशारों में हालिया संपन्न विधानसभा चुनावों में हार के लिए पार्टी नेतृत्व पर निशाना साध ऐसे सभी असंतुष्ट नेताओं को एकजुट करने का काम कर डाला। नागपुर में गडकरी ने हार की जिम्मेदारी लेने की सलाह पार्टी आलाकमान को दी तो दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने सहनशीलता को भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी उपलब्धि बताते हुए पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू की जमकर प्रशंसा कर डाली। फिल्म अभिनेता नसीररूद्दीन शाह के असहिष्णुता पर आए बयान के बाद गडकरी का यह कथन सीधे-सीधे भाजपा के उन कट्टरपंथी नेताओं पर प्रहार है जो कट्टर हिन्दुत्व के मार्ग पर चल रहे हैं। खबर है कि गडकरी के बागी स्वर से भाजपा आलाकमान के साथ- साथ संघ भी खासा विचलित हो चला है।
गडकरी के बागी बोल
