Uttarakhand

सियासत में सनसनी बना उद्यान घोटाला

प्रदेश में भ्रष्टाचार की जड़ें काफी गहरे तक जम चुकी है। अब से पहले जितनी भी सरकारें आई उन्होंने इन जड़ों में मट्ठा डालने की बजाय इनको पोषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सूबे में उद्यान घोटाला बहुत पहले से ही अंजाम दिया जाता रहा है। हिमाचल प्रदेश के एक भ्रष्ट अधिकारी हरमिंदर सिंह बवेजा को जिस दिन से उद्यान मंत्री ने उत्तराखण्ड में प्रतिनियुक्ति पर तैनात किया उसी दिन से विभाग में भ्रष्टाचार की पटकथा शुरू हो चुकी थी। अगर भतरौंजखान निवासी दीपक करगेती इस भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग शुरू नहीं करते तो आज हाईकोर्ट द्वारा शायद सीबीआई जांच के आदेश न होते। जांच के आदेश होते ही प्रदेश की सियासत में सनसनी मच गई है। कारण बना है सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक डॉ. प्रमोद नैनवाल और उनके भाई का नाम घोटाले में आना। हाईकोर्ट के 45 पेज के आदेश में 27वें पेज पर विधायक और उनके भाई सतीश नैनवाल का नाम आने से सूबे की सियासत में उबाल आ गया है। विपक्षी दल इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ सड़कों पर है

उत्तराखण्ड में हो रहे भ्रष्टाचार एवं घपलों के मामले में नैनीताल उच्च न्यायालय ने एक बड़ा फैसला लिया है जिसमें उद्यान घोटाले की जांच सीबीआई से कराने के आदेश दिए गए हैं। इस साल यह तीसरा मामला है, जिसमें हाईकोर्ट ने एसआईटी जांच को लचर एवं सही न मानते हुए सीबीआई से जांच कराने के आदेश दिए हैं। इससे पहले कॉर्बेट नेशनल पार्क में हुए पेड़ कटान घोटाले और हरिद्वार की पंतद्वीप पार्किंग ठेके को आगे बढ़ाने के मामले में भी सीबीआई से जांच कराने के आदेश हो चुके हैं।

उत्तराखण्ड के चर्चित उद्यान घोटाले में विभाग के डायरेक्टर रहे हरमिंदर सिंह बवेजा को मुख्य आरोपी माना गया था। सरकार द्वारा न केवल बवेजा को सस्पेंड किया जा चुका है, बल्कि इस घोटाले की जांच एसआईटी (विशेष जांच दल) को दे दी थी। लेकिन हाईकोर्ट एसआइटी की जांच से संतुष्ट नहीं हुआ। जिसके चलते इस घोटाले की जांच देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई से कराने के आदेश देकर हाईकोर्ट ने उत्तराखण्ड की सियासत में सनसनी मचा दी है। सनसनी मचने का कारण इस मामले में रानीखेत के भाजपा विधायक प्रमोद नैनवाल और उसके भाई सतीश नैनवाल का नाम आना है। उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग में करोड़ों रुपयों के घोटाले की सीबीआई जांच में रानीखेत से भाजपा विधायक प्रमोद नैनवाल और उनके भाई सतीश नैनवाल का नाम आने से सरकार असहज हो गई है। दूसरी तरफ भाजपा विधायक का नाम आते ही सरकार के खिलाफ मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस हमलावर हो गई है।

गत 26 अक्टूबर को सेवानिवृत्त होने से पहले मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने सीबीआई जांच का महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है। खंडपीठ ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘यह एक खेदजनक स्थिति है। यहां राजनीतिक नेतृत्व सुधारात्मक एवं उपचारात्मक कदम उठाने के लिए उत्सुक दिखता है लेकिन नौकरशाही अपने पैर पीछे खींचती नजर आती है।’ हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 45 पेज के आदेश में कहा है कि इस गंभीर मामले को जांच के लिए सीबीआई को सौंपा जाना चाहिए। आपराधिक साजिश और राज्य के खजाने में धन के लेन-देन के प्रभाव का पता लगाने के लिए यह जांच जरूरी है। हाईकोर्ट ने उम्मीद जताई कि तीन माह के भीतर जांच पूरी कर सीबीआई मामले को तार्किक निष्कर्ष तक ले जाएगी। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को समस्त मूल रिकार्ड के साथ ही जांच के दौरान मांगे जाने वाले दस्तावेज मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं।

27 जनवरी 2021 को उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग का निदेशक हिमाचल प्रदेश से प्रतिनियुक्ति पर आए डॉ हरमिंदर सिंह बवेजा को बनाया गया। बवेजा के निदेशक बनने के बाद से ही विभाग में भ्रष्टाचार रूपी पौधा उगना शुरू हो गया था। बवेजा पर आरोप है कि उन्होंने प्रदेश में एक नहीं, बल्कि चार बार अंतरराष्ट्रीय फेस्टिवल आयोजित कर ढाई करोड़ रुपए से अधिक का घोटाला किया। इसके अलावा 77 हजार कीवी पौधों को बाजार दर से कई गुना अधिक कीमत पर खरीदकर सरकार को नुकसान पहुंचाया, जिसमें से 20 प्रतिशत पौधे भी जिंदा नहीं बचे। अदरक व हल्दी का बीज भी दुगने से अधिक दाम पर खरीदा जबकि काश्तकारों को बाजार में वहीं सस्ता बीज मिला। इसके साथ ही बवेजा द्वारा भ्रष्टाचार को अंजाम देने के इरादे से एक फर्जी अनिका ट्रेडर्स एवं पौधशाला को माध्यम बनाकर राज्य के लगभग सभी जिलों में चोरी छिपे कश्मीर से औने-पौने दामों पर पौधे पहुंचा दिए। जिसमें न तो पौधों को क्वारेंटाइन किया गया था और न ही इनके पास मृत वृक्ष के सापेक्ष पौधों की उपलब्धता।

यही नहीं कश्मीर के पौधों में बीमारी होने की बात की पुष्टि भी हिमाचल और अन्य राज्यों द्वारा की जा चुकी थी। उसके बाद भी कश्मीर से चोरी छिपे पौधे मंगवाकर किसानों के साथ विश्वासघात किया गया। इसके साथ ही विभाग में कई घपले घोटालों को बवेजा द्वारा अंजाम दिया गया। इस मामले में रानीखेत से निर्दलीय चुनाव लड़ चुके सामाजिक कार्यकर्ता दीपक करगेती शुरू से ही बवेजा के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे। वे देहरादून में भी इस मुद्दे पर धरने पर बैठे थे और हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी डाली।
याचिकाकर्ता दीपक करगेती के अधिवक्ता विनय कुमार ने कोर्ट को बताया कि इस घोटाले में राज्य का राजनीतिक वर्ग भी शामिल है। विनय कुमार ने इसमें तत्कालीन कार्यवाहक मुख्य उद्यान अधिकारी, भीमताल राजेंद्र कुमार सिंह के जवाबी हलफनामे का हवाला दिया और जवाबी हलफनामे में दायर दस्तावेज पर अदालत का ध्यान आकर्षित किया। विनय कुमार ने कोर्ट को बताया कि उस दस्तावेज में 2022-23 के दौरान हॉर्टिकल्चर मोबाइल टीम, बेतालघाट द्वारा विभिन्न किसानों को सेब के क्लोनल रूट स्टॉक जारी करने को दर्शाने वाली एक टेबल है।

मोबाइल टीम द्वारा वितरित 3100 क्लोनल रूट स्टॉक में से 2402 केवल एक ही व्यक्ति यानी सतीश नैनवाल को वितरित किए गए जो रानीखेत के मौजूदा विधायक डॉ प्रमोद नैनवाल के भाई भी हैं। विनय कुमार ने ये भी बताया कि इसके लिए जांच जरूरी है कि क्या इतनी बड़ी संख्या में क्लोनल रूट स्टॉक वास्तव में सतीश नैनवाल को आवंटित किए गए थे, क्योंकि इतनी बड़ी संख्या में पौधे लगाने के लिए नैनवाल और उनके परिवार के पास पर्याप्त जमीन नहीं है। यह भी कोर्ट को बताया गया कि डॉ प्रमोद नैनवाल ने भी एक पत्र जारी किया है, जिसमें उन्होंने ये प्रमाणित किया है कि उनकी जमीन पर जो सेब और कीवी के क्लोनल रूट स्टॉक लगाए गए हैं वो सुरक्षित और संरक्षित हैं, साथ ही उच्च क्वालिटी वाले हैं।

इस याचिका में नैनीताल के मुख्य उद्यान अधिकारी आर के सिंह को भी उच्च न्यायालय ने पार्टी बनाया था। जिसके जवाब में आर के सिंह द्वारा न्यायालय को काउंटर एफिडेफिट कोर्ट में दिया गया। वहां पर कोर्ट को ये बताया गया कि उसने सतीश नैनवाल को मुख्यमंत्री एकीकृत बागवानी मिशन से 2402 पौधे एप्पल क्लोनल रूट स्टॉक के दिए। प्रदेश में इस योजना में एक पौधे की कीमत 465 रुपए है और मुख्यमंत्री एकीकृत बागवानी मिशन में 50 प्रतिशत अंशदान विधायक के भाई सतीश नैनवाल विभाग को तो 50 प्रतिशत अंशदान विभाग द्वारा दिया जाना था। लेकिन बताया जा रहा है कि विधायक के भाई द्वारा विभाग को अंशदान तो दिया ही नहीं गया। सवाल उठता है कि अगर ये मुख्यमंत्री एकीकृत बागवानी मिशन योजना से दिए गए पौधे थे तो विधायक के भाई से इतनी बड़ी रकम ना लिया जाना सरकारी कोष में चोरी नहीं तो और क्या है?

काउंटर एफिडेफिट के आधार पर जब नैनीताल के मुख्य उद्यान अधिकारी से इन पौधों की सूचना मांगी गई कि कैसे पौधे दिए? किस आधार पर दिए? किस योजना से दिए? तो सूचना में यह बताया गया कि ये सभी पौधे विधायक के भाई सतीश नैनवाल को निः शुल्क पौध वितरण योजना के अंतर्गत दिए गए हैं, जो अपने आप में बहुत बड़ा सवाल है। बताया जा रहा है कि विधायक प्रमोद नैनवाल और बेतालघाट में उनकी ब्लॉक प्रमुख बहन आनंदी बुधानी ने मुख्य उद्यान अधिकारी को अच्छे कार्य और 100 प्रतिशत पौधे जीवित होने का प्रमाण पत्र दे दिया। जिसे नैनीताल के मुख्य उद्यान अधिकारी ने अपने काउंटर में कोर्ट में जमा कराया।

इस बाबत कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसौनी मेहरा ने बताया कि 2402 पौधे क्लोनल रूट स्टॉक को लगाने का जो मानक है इस आधार पर कम से कम 70 नाली से भी अधिक जमीन होनी चाहिए। लेकिन जहां पर ये पौधे लगाए हुए दिखाए गए हैं वहां विधायक और उसके भाई की संयुक्त जमीन केवल 41 नाली है। अब सवाल यह भी उठना स्वाभाविक है कि क्या 41 नाली से अधिक जमीन पर पौधे लगे हैं तो बाकी जमीन जो घेरी गई वो कहां से आई? इसका जवाब खुद दसौनी देती हैं और कहती हैं कि बांकी घेरी हुई जमीन लोक निर्माण विभाग, वन विभाग और राजस्व विभाग की है जिस पर विधायक नैनवाल और उनके भाई सतीश नैनवाल का अनाधिकृत कब्जा है।

बात अपनी-अपनी
इस घोटाले में भाजपा विधायक पूरी तरह फंस चुके हैं। वह अपने आपको पाक साबित करने के लिए जो बयान दे रहे हैं वही बयान उनको खुद कानून के कटघरे में खड़ा करते हैं। विधायक द्वारा यह कहा गया कि यह पौधे उनके निशुल्क दिए गए हैं जबकि वह जिस मुख्यमंत्री एकीकृत बागवानी योजना से पौधे प्राप्त होने की बात कर रहे हैं उसमें 50 प्रतिशत अंशदान किसान को देना पड़ता है इसके हिसाब से उन्हें 6 लाख रुपया उद्यान विभाग को देना था जो उन्होंने न देकर अपनी ही सरकार में राजस्व का नुकसान किया है। खुद भाजपा विधायक कहते हैं कि उनकी और उनके भाई की जमीन के अलावा कई संस्थाओं की जमीन पर पौधे लगाए गए हैं तो संस्थाओं को राजस्व विभाग की जमीन पर कब्जा करने का अधिकार किसने दिया है।
करण माहरा, अध्यक्ष, उत्तराखण्ड कांग्रेस

हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच की बात कही है, यह बात सही है। हाईकोर्ट ने जो अपने आदेश में विधायक प्रमोद नैनवाल और उनके भाई का जिक्र किया है उसका परिणाम जांच के बाद ही आएगा जिसमें पता चलेगा कि विधायक नैनवाल का इस मामले में कितना रोल है। अभी जो बात सामने आ रही है उसमें अधिकारी ही दोषी दिखाई दे रहे हैं।
महेंद्र भट्ट, अध्यक्ष, उत्तराखण्ड भाजपा

हमारी लड़ाई तो उद्यान विभाग के भ्रष्ट अधिकारी बवेजा से थी लेकिन विधायक ने प्रेस में मेरा नाम घसीट कर मेरा चरित्र हनन किया तो मुझे मजबूरन उनके सामने आना पड़ा। विधायक ने खुद बताया है कि उनके भाई की जमीन पर सरकार ने 2402 पेड़ दिए। पेड़ भी फ्री में दिए और सरकार के माली भी उन्हें निशुल्क लगाकर गए। जबकि एक पेड़ को सरकारी माली अगर आता है तो वह 100 रुपए मजदूरी लेता है। सवाल यह भी है कि अगर वह मुफ्त में पेड़ लगा गए तो यह कैसे संभव है इससे स्पष्ट है कि उद्यान विभाग के अधिकारियों से उनकी मिलीभगत है। हमने जब बवेजा के चौबटिया गार्डन में न बैठने पर आवाज उठाई तो उस मामले में विधायक एक शब्द नहीं बोले। विधायक बवेजा जैसे भ्रष्ट अधिकारी को संरक्षण दे रहे थे। देहरादून में उनके साथ जन्मदिन मनाना इसका साक्षात प्रमाण है। विधायक के भ्रष्ट अधिकारी के साथ संबंध है यह बात सभी जानते हैं। अभी जब जांच होगी तो काफी सच सामने आएगा।
गोपाल उप्रेती, पूर्व प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य, भाजपा

मुझ पर समूचे उत्तराखण्ड के किसानों और बागवानों ने भरोसा दिखाया और मुझे बल प्रदान किया। मैं किसानों की दुवाओं के साथ माननीय उच्च न्यायालय की शरण में न्याय मांगने गया जहां से मा न्यायालय ने उद्यान में हुए व्यापक घोटाले की जांच सीबीआई को सौंप दी। उत्तराखण्ड का बागवान आजीवन माननीय न्यायालय का आभारी रहेगा और भ्रष्टाचारी कभी भी मा न्यायालय की नजर से बच भी नहीं पाएगा।
दीपक करगेती, सामाजिक कार्यकर्ता (रानीखेत)

नोट: रानीखेत विधायक डॉ. प्रमोद नैनवाल से फोन पर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया लेकिन फोन रिसीव नहीं हुआ।

 

 

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