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विधायकों के लिए जी का जंजाल बने वोटरों को लुभाने के लिए खुदवाए गए हैंडपंप

चुनावों से पहले नेता वोटरों को लुभाने के लिए क्या- क्या नहीं करते, अपने आप तक को गिरवी रखने के लिए तैयार हो जाते हैं।  बड़े-बड़े बैनरों पर अनेक वादें देखने को मिलते है। वादे पूरे हो न हो पर नेता भाषणों में कोई कमी नहीं छोड़ते। मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर उपचुनाव होने वाला है। भाजपा के शिवराज और कांग्रेस के कमलनाथ चुनावी रण को जीतने के लिए पूरा जोर लगा है।  उनके प्रत्याशी विधायक भी वोटरों को लुभाने के लिए तरह-तरह के हथकंड़े अपना रहे है। आमतौर पर जनता के लिए बिजली, पानी और मकान मुख्य मुद्दें होते है।  मध्यप्रदेश में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए विधायकों ने जनता को खुश करने के लिए हैंडपंप और ट्रांर्सफार्मर मंजूर करवा लिए और गांव-गांव में उन्हें लगवाने लगे। लेकिन वही हैंडपंप उनके लिए समस्या बन गए।

पहले हैंडपंप गांव में लगवाए गए, उसके बाद मतदाताओं की उम्मीद इतनी बढ़ गई कि गांव के बाद गली गली और बाद घर-घर हैंडपंप खुदवाने की उनकी मांग करने लगे। अब प्रत्याशी जब भी किसी गांव में वोटों की अपील करने जाते है तो वहां घर के आगे हैंडपंप खुनवाने का मुद्दा उठने लगा। संतराम सिरौनिया जो भांडेर से भाजपा प्रत्याशी है, हाल ही में एक गांव में वोट मांगने गए थे। जहां वोटरों ने उनसे कहा कि आपने दाउ साहब के घर के आगे तो हैंडपंप खुदवा दिया। हमसे क्या बुराई थी। वहीं अंबाह से भाजपा प्रत्याशी कमलेश जाटव कहते हैं कि “मैंने इसी वजह से कम ही हैंडपंप मंजूर कराए थे, क्योंकि ये विवाद का कारण बनते हैं”।

गोहद से भाजपा प्रत्याशी रणवीर जाटव कहते हैं कि ”बिरखड़ी गांव में लोगों ने चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी। इसी बीच पहले से मंजूर ट्रांसफार्मर वहां लगवा दिया गया। इसी को देखकर पड़ोस के एक गांव के लोगों ने भी बहिष्कार का बैनर लगा दिया। ऐसे में लोगों को समझाना बड़ा मुश्किल हो रहा है कि आचार संहिता में कुछ भी संभव नहीं है”।

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