पिछले साल अरब देश कतर में 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को मौत की सजा सुनाई गई थी। इन सभी पर जासूसी का आरोप लगाया गया और इसके बाद इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। विदेश मंत्रालय ने इस मामले पर हैरानी जताते हुए कहा कि वह कानूनी विकल्प तलाशेगा। अब इस मामले में भारत को बड़ी सफलता मिली है। भारत ने इस मामले में कतर की अदालत में अर्जी दाखिल की है। जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई करने को कहा है।
कतर की अदालत ने कहा कि वह मामले का अध्ययन कर रही है और जल्द ही अगली सुनवाई की तारीख की घोषणा करेगी। दोषी करार दिए गए सभी पूर्व नौसैनिकों के लिए यह एक राहत भरी खबर मानी जा रही है। इस मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए कूटनीतिक चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है।
जिन 8 अधिकारियों को सजा सुनाई गई, वे कतर की एक निजी कंपनी अल-दहरा के लिए काम करते थे। कंपनी कतर के सशस्त्र बलों को प्रशिक्षण और संबंधित सेवाएं भी प्रदान करती है। इन अधिकारियों पर इजराइल के लिए जासूसी करने का आरोप था।
इस कंपनी में काम करने वाले सभी भारतीय नौसेना के जवान रिटायर हो चुके हैं। उन्हें लंबे समय तक जेल में रखा गया, जिसके बाद 29 अक्टूबर को कतर की एक अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई।
गृह मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक, जिन आठ पूर्व अधिकारियों को सजा सुनाई गई है उनमें कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर संजीव गुप्ता और शामिल हैं। इनमें से अधिकतर अधिकारी 60 वर्ष से अधिक उम्र के हैं।
जब इन अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया, तो कहा गया कि कतर ने उनके परिवारों को यह स्पष्ट जानकारी नहीं दी कि उनके खिलाफ आरोप किस आधार पर लगाए गए थे।