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स्वीडन की नाटो सदस्यता में बाधक तुर्की

उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) एक सैन्य गठबंधन है। जिसकी स्थापना साल 1949 में की गई थी। पिछले साल स्वीडन और फ़िनलैंड ने रूस-यूक्रेन के बढ़ते युद्ध को देखते हुए संयुक्त रूप से नाटो की सदस्यता हासिल करने के लिए संयुक्त रूप से आवेदन किया था। जिसमें से फ़िनलैंड को कुछ महीनों पहले नाटो की सदस्यता हासिल हो गई है। लेकिन स्वीडन के लिए तुर्की अभी भी बाधक बन रहा था।

तुर्की को स्वीडन से आपत्ति है और किसी भी देश को नाटो में सदस्यता हासिल करने के लिए नाटो में शामिल सभी सदस्य देशों की मंजूरी की जरुरत होती है। हाल ही में नाटो चीफ ने तुर्की को एक मैसेज देने के साथ एक आग्रह भी किया है कि स्वीडन ने नाटो में शामिल होने के लिए सभी ज़रूरी कदम उठा लिए हैं और अब स्वीडन नाटो में सदस्य बनने लिए तैयार है। ऐसे में नाटो महासचिव ने तुर्की को स्वीडन के नाटो में शामिल होने की आपत्ति को वापस लेने की मांग की है, जिससे स्वीडन जल्द से जल्द नाटो की सदस्यता हासिल कर सके

तुर्की क्यों हैं स्वीडन के खिलाफ

तुर्की के राष्ट्रपति की स्वीडन से नाराजगी का कारण कुर्द समुदाय के लोग हैं। दरअसल तुर्की और मेसोपोटामिया के मैदानी इलाकों, उत्तर-पूर्वी सीरिया, उत्तरी इराक, उत्तर-पश्चिमी ईरान और दक्षिण-पश्चिमी आर्मेनिया के पहाड़ी क्षेत्रों में कई वर्षों से एक जातीय समूह रहता आ रहा है। जिसे ‘कुर्द’ नाम से जाना जाता है। कुर्द समुदाय तुर्की से अपने अलग देश कुर्दिस्तान बनाने की मांग करते हैं। कुर्दों की यह मांग कई बार तुर्की में हिंसा का कारण बन चुका है। इसी के परिणामस्वरूप वर्ष 1978 में कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) का जन्म हुआ। बाद में इस पार्टी ने सशस्त्र संघर्ष शुरू कर दिया। तुर्की इसे आतंकी गुट बताता है और संगठन पर देश में प्रतिबंध लगाया हुआ है।
तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन का कहना है कि पीकेके में शामिल तुर्की के करीब डेढ़ सौ लोग स्वीडन में रह रहे हैं। इसलिए वह स्वीडन पर आरोप लगता है की इस देश ने अपने देशों को आतंकवादी का घोसला बना दिया है और उन्हें अपने यहाँ शरण दे रखी है। तुर्की ने इन दोनों देशों के सामने शर्त राखी थी कि वे अपने देश से इन आतंकियों को निका ल दें , लेकिन इसके बाद भी ये देश आतंक का अड्डा बने हुए हैं। जिस कारण नाराज तुर्की ने विरोध जाहिर करता है ।

 

क्या है नाटो

 

उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) उत्तरी अमेरिका और यूरोपीय देशों का एक अंतरराष्ट्रीय सैन्य संगठन है। यह राजनीतिक और सैन्य साधनों के माध्यम से अपने सदस्य देशों को स्वतंत्रता और सुरक्षा की गारंटी प्रदान करता है। इसके तहत कहा गया है कि यदि कोई बाहरी देश इसके सदस्य देशों पर हमला करता है तो फिर सभी सदस्य देश मिलकर उसकी रक्षा करेंगे। इस संगठन का गठन वर्ष 1949 में द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद हुआ था। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद इसकी स्थापना सोवियत संघ के बढ़ते दायरे को समिति करने के उद्देश्य से की गई थी। नाटो की स्थापना अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे और पुर्तगाल ने मिलकर की थी । जिसके बाद अब तक इसमें कई अन्य देशों ने भी सदस्यता हासिल कर ली है। वर्तमान में नाटो के 31 सदस्य देश हैं अगर स्वीडन इसमें शामिल होता है तो यह नाटो का 32वा सदस्य देश बनेगा।

 

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