हांगकांग में विवादित प्रत्यर्पण विधेयक को लेकर शुरू हुआ जन आंदोलन दबाए नहीं दब पा रहा है। हालत यह है कि जनता अब चीन से आजादी की मांग तक करने लगी है। चीन के रवैये से खिन्न हांगकांग की जनता पिछले छह महीनों से निरंतर धरने- प्रदर्शन कर विरोध जता रही है। हाल में 10 दिसंबर को तमाम सुरक्षा इंतजामों के बावजूद लोकतंत्र समर्थक ग्रुप सिविल ह्यूमन राइट्स फ्रंट के आह्नान पर आयोजित रैली में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। आयोजकों का कहना है कि इसमें करीब आठ लाख लोगों ने हिस्सा लिया, जबकि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों की संख्या एक लाख 83 हजार के करीब बताई है। यह स्थानीय निकाय चुनाव के बाद से यह अब तक की सबसे बड़ी रैली थी। इसमें सभी वर्गों ने भाग लिया। बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग भी इस रैली में शामिल हुए। चीन विरोधी पोस्टर और बैनर लेकर नारों के साथ लोगों ने चीन के खिलाफ विरोध जताया। इस रैली के अंतिम पड़ाव तक प्रदर्शनकारियों ने अपने मोबाइल के टॉर्च से रोशनी की और सरकार विरोधी नारे लगाए। छह माह पहले प्रत्यर्पण कानून में संशोधन के विरोध में हांगकांग प्रशासन के खिलाफ शुरू हुआ प्रदर्शन अब धीरे-धीरे चीन से आजादी की मांग में बदल चुका है।
आंदोलनकारियों को संबोधित करते हुए सिविल ह्यूमन राइट्स फ्रंट के संयोजक जिम्मी शाम ने कहा, ‘यह पूरी तरह से तानाशाही है। मानवाधिकारों को कुचलने के लिए ऐसे कदम सिर्फ एक तानाशाह उठाता है।’ साथ ही रैली के आयोजनकर्ता सिविल ह्यूमन राइट्स फ्रंट का कहना है कि सरकार के पास उनकी मांगों को मानने का आखिरी उपाय है कि वो प्रदर्शनकारियों के साथ पुलिसिया बर्ताव की स्वतंत्र जांच कराए, जो गिरफ्तार किए गए हैं उन्हें रिहा किया जाए और निष्पक्ष चुनाव कराए जाएं। विक्टोरिया पार्क में बैठी 40 साल की एक महिला आंदोलनकारी ने कहा, ‘आजादी के लिए हम अंतिम सांस तक लड़ेंगे।’ 33 साल की तमारा वांग ने कहा कि सरकार जनता की मांगों को अनसुना कर रही है। इससे सरकार के खिलाफ जनता का विरोध बढ़ेगा। सरकार को शांतिपूर्ण आंदोलनकारियों से वार्ता करनी चाहिए।
जून से अब तक छह हजार लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और सैकड़ों घायल हुए हैं जिनमें पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। हालांकि 10 दिसंबर को हुई रैली आम तौर पर शांतिपूर्ण रही, परंतु हिंसा की खबरें तब भी आई। रैली के दौरान हाईकोर्ट और कोर्ट ऑफ फाइनल अपील को नुकसान पहुंचाया गया। पुलिस का कहना है कि इन पर पेट्रोल बम से हमले किए गए। इस हमले की रैली के आयोजकों, पुलिस और सरकार ने निंदा की है और कहा है कि ये हांगकांग की छवि को धूमिल करने वाली कार्रवाई थी। इससे पहले पुलिस ने कहा कि छापे में एक ऑटोमिटिक पिस्टल, 105 जिंदा कारतूस, चाकू और पटाखे बरामद किए गए। कहा जा रहा है कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि इन प्रदर्शनों में पहली बार हैंडगन बरामद किया गया।
इसी बीच पुलिस ने हांगकांग में दो अमेरिकी कारोबारियों को चीन के विशेष प्रशासनिक क्षेत्र मकाउ जाने से रोक दिया। दोनों अमेरिकी नागरिक अपने कारोबार के सिलसिले में हांगकांग से सटे मकाउ जाना चाहते थे। हांगकांग में प्रदर्शनकारियों के समर्थन वाले एक विधेयक के अमेरिकी संसद से पास होने और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हस्ताक्षर के बाद चीन ने इस पर कड़ा एतराज जताया था। चीन ने इसे अपने आंतरिक मामले में दखल बताते हुए अमेरिका को परिणाम भुगतने की चेतावनी दी थी। साल 1997 तक हांगकांग ब्रिटेन का उपनिवेश था, लेकिन बाद में इसे चीन को हस्तानांतिरत कर दिया गया। एक देश और दो व्यवस्थाओं वाले समझौते के तहत इसे कुछ हद तक स्वायत्तता मिली और यहां के नागरिकों को कुछ अधिक अधिकार मिले हुए हैं, लेकिन हांगकांग अब भी अशांत है।
दो सप्ताह पहले स्थानीय निकाय चुनावों में लोकतंत्र समर्थक उम्मीदवारों की भारी जीत के बाद से शहर में कुछ शांति आई थी। लेकिन चीन की करीबी हंगकांग की नेता कैरी लैम के खिलाफ अभी भी असंतोष बना हुआ है और प्रदर्शनकारी सरकार से और रियायतों की मांग कर रहे हैं। जबकि ये विधेयक सितंबर में सरकार ने वापस ले लिया था, लेकिन प्रदर्शन फिर भी जारी है।