हरियाणा में कांग्रेस की करारी हार के बाद पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा ने बागी तेवर अपनाने शुरू कर दिए हैं। हुड्डा की नाराजगी छह बरस से हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाए अशोक तंवर से तो है ही, पार्टी के प्रभारी गुलाम नबी आजाद संग भी उनकी पटरी नहीं बैठने के समाचार हैं। हुड्डा को सबसे ज्यादा चिंता चार माह बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर है। भाजपा ने इस चुनाव के लिए मैराथन बैठकें शुरू कर डाली हैं। सीएम खट्टर पूरे प्रदेश का दौरा शुरू कर चुके हैं। इंडियन नेशनल लोकदल भी सक्रिय नजर आने लगी है। पार्टी के नेता ओमप्रकाश चौटाला भी पैरोल पर जेल से बाहर निकल पार्टी को चुस्त-दुरुस्त करने में जुट गए हैं। दूसरी तरफ कांग्रेसी खेमे में भारी सन्नाटा पसरा है। ऐसे में खबर है कि यदि कांग्रेस आलाकमान जल्द ही प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व को चलता नहीं करता और हुड्डा के हाथों पार्टी की कमान नहीं सौंपता है तो वह अपने आठ-दस विधायकों संग पार्टी छोड़ अलग क्षेत्रीय दल भी बना सकते हैं। चर्चा कुलदीप विश्नोई के कांग्रेस छोड़ने की भी जबर्दस्त चल रही है। ऐसे में यदि अपनी कुंभकर्णी नींद से पार्टी आलाकमान नहीं जागता तो हरियाणा में कांग्रेस को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है।

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