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पोस्टर में फोटो नहीं लगी तो कांग्रेस छोड गए सिंधिया- अब BJP ने हटाया चेहरा तो क्या करेंगे महाराज?

मध्यप्रदेश में विधानसभा के उप चुनाव हो रहे हैं । यह उपचुनाव 28 विधानसभा पर हो रहे हैं। जिनमें से 16 विधानसभा सीट ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ ग्वालियर और चंबल में स्थित है।  इसके मद्देनजर होना तो यह चाहिए था कि मध्य प्रदेश की भाजपा सिंधिया की फोटो अपने पोस्टर में चस्पा करती । लेकिन हुआ इसके विपरीत है। इन उपचुनाव में भाजपा ने अपने पोस्टर से सिंधिया का चेहरा ही गायब कर दिया है।
याद रहे कि यह वही सिंधिया है जो कभी कांग्रेस के द्वारा पोस्टर से फोटो हटाने पर पार्टी ही छोड़ गए थे। याद कीजिए  फरवरी और मार्च का महीना। तब वहां के ग्वालियर और चंबल क्षेत्र में लगे पोस्टर चर्चा का विषय बन गए थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया के घराने का गढ़ कहें जाने वाला यह क्षेत्र इसलिए चर्चा में आया था कि यहां से जो पोस्टर कांग्रेस ने लगाए उसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया का फोटो गायब था ।
तब कहा गया कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस द्वारा पोस्टर में जगह नहीं मिलने के चलते ही उन्होंने अपने 22 विधायकों के साथ पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस छोड बीजेपी का दामन थाम लिया था।
फिलहाल वही पुनरावृति एक बार फिर हो रही है। जो काम पहले कांग्रेस ने किया वह अब भाजपा कर रही है । मध्य प्रदेश की भाजपा की पोस्टरो से भी ज्योतिराज सिंधिया के फोटो गायब है। सिंधिया के गढ़ में ही लगें पोस्टर्स में सिंधिया के चेहरे को जगह न मिलने पर चर्चा का विषय बन गया। इन पोस्टरों में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा की फोटो लगी है । लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया की फोटो नहीं लगाई गई है। जबकि एक पोस्टर ऐसा भी है जिसमें ग्वालियर पूर्व से बीजेपी प्रत्याशी मुन्नालाल गोयल की फोटो लगाकर उनके लिए वोट मांगेबताया जा रहा है कि  जा रहे हैं ।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ में लगे चुनावी पोस्टर्स से उनके चेहरे गायब होने को राजनीतिक गलियारों में तरह तरह की चर्चा होने लगी है।इस मामले में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के एक बयान को भी तोल – मोल कर देखा जा रहा है । नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर एक ऐसी टिप्पणी कर दी जिसमें कई सवाल खड़े हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि व्यक्ति निर्माण की प्रक्रिया काफी धीमी गति की होती है । सिंधिया का बीजेपी में स्वागत है। वह भी पार्टी की रीति – नीति और परंपराओं की सीख रहे हैं । उम्मीद है कि वह जल्द पार्टी के साथ समरस हो जाएंगे और पार्टी की ताकत बनेंगे।
 नपे तुले अंदाज में कही गई तोमर की इन बातों में यह बात साफ झलकती नजर आई कि सिंधिया अब तक पार्टी को पूरी तरह नहीं जान पाए हैं। तोमर की बातों में यह इशारा भी नजर आया कि जिस तरह कांग्रेस में सिंधिया की मर्जी चलती थी जरूरी नहीं कि वह भाजपा में भी हो । क्योंकि भाजपा में संगठन तय करता है और यहां परंपराओं के पालन की अपनी व्यवस्था है। इस तरह तोमर के नपे तुले शब्दों ने बहुत सारे इशारे कर दिए।
 फिलहाल, सिंधिया के गढ़ में उनकी फोटो पोस्टरों से गायब होने पर भाजपा की अपनी दलील है । भाजपा नेताओं का  मानना है कि उनकी पार्टी प्रोटोकॉल वाली पार्टी है और पोस्टर्स भी प्रोटोकाल के तहत लगाए गए हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता उमाशंकर गुप्ता की माने तो पोस्टर में सत्ता के मुखिया और संगठन प्रमुख को ही जगह मिलती है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने इस मामले पर चुटकी लेते हुए कहा कि भाजपा अब समझ गई है कि ग्वालियर – चंबल क्षेत्र से सिंधिया की साख गिर गई है। इस वजह से उन्होंने उपचुनाव में सिंधिया को पोस्टर से ही गायब कर दिया है।
गौरतलब है कि गत जून माह में भी ज्योतिराज सिंधिया के साथ पूर्व में भाजपा ऐसा कर चुकी है। जिसमें सांवेर विधानसभा क्षेत्र में उप चुनाव से संबंधित एक पोस्टर में सिंधिया की तस्वीर तो लगाई गई थी, लेकिन वह सबसे नीचे थी। यही नहीं बल्कि उस पोस्टर में सिंधिया को भाजपा ने बच्चा बना दिया था । यानी कि भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के विधायक बेटे आकाश विजयवर्गीय की फोटो के साथ सिंधिया की फोटो पोस्टर में चस्पा कर दी गई थी। तब चौंकाने वाली बात यह रही थी कि पोस्टर के ऊपरी हिस्से में कैलाश विजयवर्गीय के साथ ही मंत्री तुलसी सिलावट की फोटो लगाई गई थी। उस दौरान भी भाजपा का यह पोस्टर भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गए था।

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