- वृंदा यादव
भारी आर्थिक संकट के बीच एक ओर जहां पाकिस्तानी रुपया अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऐतिहासिक गिरावट के साथ 277 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया है, वहीं दूसरी तरफ आईएमएफ ने राहत पैकेज बहाल करने के लिए कई कड़ी शर्तें लागू की हैं। इन शर्तों को लेकर जिस तरह का आक्रोश देश की जनता और व्यापारियों में देखने को मिल रहा है उसे देख कहा जा रहा है कि यह सौदा देश के लिए किसी कड़वी दवा से कम नहीं है
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में आर्थिक हालात काफी खराब होते जा रहे हैं। आटा, चावल, दाल व अन्य खाद्य पदार्थ से लेकर पेट्रोल-डीजल तक सब कुछ महंगा हो गया है। पेट्रोल- डीजल का संकट बढ़ गया है। विदेशी बाजार से खरीदारी करने के लिए पाकिस्तान के पास विदेशी मुद्रा भंडार भी बहुत कम बचा है। हाल ही में पाकिस्तान ने विदेशी कर्ज की किस्त चुकाई है। इस कारण से देश का मुद्रा भंडार घटकर 3 .09 अरब डॉलर रह गया है। ‘जिओ न्यूज’ की रिपोर्ट के अनुसार एक ओर जहां पाकिस्तानी रुपया अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऐतिहासिक गिरावट के साथ 277 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया है वहीं दूसरी तरफ आईएमएफ ने राहत पैकेज बहाल करने के लिए कई शर्तें लागू की हैं, जिनमें स्थानीय मुद्रा के लिए बाजार-निर्धारित विनिमय दर और ईंधन सब्सिडी को सरल करना आदि शामिल हैं। ऐसे में इन शर्तों को लेकर कहा जा रहा है कि ये शर्तें पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के लिए किसी कड़वी दवा की तरह हो सकती हैं।
दरअसल आईएमएफ की शर्तों में बजट घाटे को कम करना, राजस्व को बढ़ाना, बिजली और पेट्रोलियम की सब्सिडी को समाप्त करना और विदेशी मुद्रा बाजार के हस्तक्षेप को कम करना शामिल है। पाकिस्तान की सरकार ने आईएमएफ के साथ बातचीत को बढ़ाने के लिए दो बड़ी शर्तों को लागू भी कर दिया है। कर्ज की शर्तों में से एक को पूरा करने के लिए अधिकारियों की ओर से एक्सचेंज रेट में ढील दी गई है, जिसके बाद पाकिस्तानी रुपए में भारी गिरावट देखने को मिली है।
क्या चाहता है आईएमएफ
पिछले हफ्ते पाकिस्तान की यात्रा पर पहुंची आईएमएफ की टीम ने पाकिस्तान सरकार के सामने राहत पैकेज के लिए जो शर्तें रखी हैं, उनमें खर्चों में भारी कटौती की मांग शामिल है। आईएमएफ के मुताबिक पाकिस्तान 900 अरब डॉलर का बजट घाटा झेल रहा है जिसे लेकर आईएमएफ को सबसे ज्यादा आपत्ति है। 900 अरब डॉलर उसकी जीडीपी का लगभग 1 प्रतिशत बनता है। इसके अलावा रक्षा बजट में सालाना 10 से 20 फीसदी की कटौती के साथ ही आईएमएफ ने मांग की है कि सैन्य और असैन्य अफसरों की संपत्ति का एलान किया जाए। साथ ही शहबाज सरकार को इस महीने ही 300 अरब डॉलर के मिनी बजट के बारे में घोषणा करनी होगी। पाकिस्तान को 900 अरब डॉलर के सर्कुलर कर्ज का सामना करना है। ऐसे में उसे भारी कर लगाने होंगे। साथ ही बिजली, गैस और ऊर्जा पर मिल रही छूट को खत्म करना होगा। साथ ही सभी पेट्रोलियम उत्पादों पर 17 फीसदी जीएसटी की भी शर्त रखी गई है। इसके अलावा आईएमएफ से सलाह-मशविरे के बाद ही पाकिस्तान कोई वित्त से जुड़े कानूनों में बदलाव कर सकेगा। एफएटीएफ की शर्तों के तहत अकाउंटेबिलिटी, ऑडिट और मनी लॉडिं्रग जैसे फैसलों के कानून पर आईएमएफ नजर रखेगा।
आईएमएफ अन्य शर्तों में बिजली और गैस पर सब्सिडी खत्म करना भी शामिल है। साथ ही देश के अमीरों पर बाढ़-टैक्स, बैंकिंग सेक्टर में मुनाफे पर 41 फीसदी टैक्स, सिगरेट और सॉफ्ट डिं्रक पर टैक्स 13 से बढ़ाकर 17 फीसदी करने, हवाई यात्राओं, संपत्ति खरीदने और विदेशों से लग्जरी आयात पर टैक्स बढ़ाने जैसी शर्तें शामिल हैं।
मिनी बजट से जनता पर आएगा बोझ
सरकार लगातार आईएमएफ की उन शर्तों में ढील की मांग कर रही है, जो जनता पर दबाव डालेंगे, जैसे ईंधन सब्सिडी में कटौती। सरकार अब आईएमएफ फंड को लुभाने के लिए एक मिनी बजट भी पेश करने की तैयारी कर रही है। पाकिस्तानी कंपनी आरिफ हबीब लिमिटेड ने एक नोट जारी करते हुए कहा कि मिनी बजट प्रस्तावित कर दिया गया है। इसमें बताया गया है कि सरकार हर वह कदम उठाएगी जो पैसा बढ़ाएं। इसमें कहा गया है सरकार एक्साइज ड्यूटी बढ़ा कर 25-30 अरब रुपए जुटाना चाहती है।
क्या हो सकता है मिनी बजट में
आरिफ हबीब लिमिटेड की ओर से कहा गया है कि बैंकों की विदेशी मुद्रा आय पर टैक्स लगाया जा सकता है, जिससे 20 अरब रुपए जुटाए जाएंगे। तीन फीसदी का बाढ़ शुल्क से 50 अरब रुपए जुटाने का अनुमान है। चीनी वाले पेय पदार्थ पर अतिरिक्त टैक्स लगा कर 60 अरब रुपए इकट्ठा किए जाएंगे।
उच्च स्तर पर पहुंच गई महंगाई
पाकिस्तान की सालाना मुद्रास्फीति 48 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई है। जिससे आम जनता को बुनियादी खाद्य पदार्थों की जरूरतों लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रतिनिधिमंडल के आने से पहले, इस्लामाबाद ने राष्ट्रीय दिवालियापन की संभावना के साथ दबाव के आगे झुकना शुरू कर दिया, वहीं कोई भी मित्र देश उसे आसान तरीके से मदद की पेशकश करने को तैयार नहीं है। पाकिस्तान सरकार ने अमेरिकी डॉलर में बड़े पैमाने पर कालाबाजारी पर लगाम लगाने के लिए रुपये पर नियंत्रण को ढीला कर दिया, यह एक ऐसा कदम था जिसके कारण मुद्रा रिकॉर्ड स्तर पर गिर गई। वहीं सस्ते पेट्रोल की कीमतों में भी बढ़ोतरी की गई है।
तेल उद्योग बुरी तरह से पिटा
पाक सरकार दोनों शर्तें पहले मान चुकी है। तेल कंपनी सलाहकार परिषद (ओसीएसी) के मुताबिक तेल-गैस नियामक प्राधिकरण (ओजीआरए) और ऊर्जा मंत्रालय को भेजे पत्र में कहा है कि रुपए की विनिमय दर में गिरावट के चलते उद्योग को अरबों रुपये का घाटा हो चुका है। इससे तेल उद्योग बुरी तरह पिट जाएगा।
व्यापारियों ने दी धमकी
पाकिस्तान के व्यापारियों ने धमकी दी है कि अगर सरकार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की शर्तों को पूरा करने के लिए नए सिरे से टैक्स लगाती है तो वह देशव्यापी विरोध शुरू कर देंगे। साथ ही मांग की है कि सरकार इसके बजाय सेना के जनरलों, न्यायाधीशों और सांसदों के वेतन में कटौती करे। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के मरकजी तंजीम ताजिरन (व्यापारियों का केंद्रीय संगठन) के प्रतिनिधियों ने कहा कि अगर नए टैक्स लागू किए गए तो वे 13 फरवरी से पूरे देश में विरोध आंदोलन शुरू करेंगे।
अभी क्या है स्थिति
पाकिस्तान के पास विदेशी मुद्रा भंडार खत्म होने को है। पिछले हफ्ते सरकार ने बताया था कि उसके पास अब केवल 3.09 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार रह गया है। जिसमें से गत सप्ताह करीब 30 प्रतिशत से ज्यादा रकम खर्च हो गई होगी। अब पाकिस्तान को केवल आईएमएफ से कर्ज का आसरा बचा है। गौरतलब है कि पाकिस्तान की स्थिति अब पूरी तरह से श्रीलंका की तरह हो गई है। अगर आईएमएफ से कर्ज नहीं मिलता है तो पाकिस्तान दिवालिया हो जाएगा। ऐसी स्थिति में पाकिस्तानी मुद्रा काफी कमजोर हो जाएगी। विश्व बैंक के अनुसार, पाकिस्तान का कुल बाहरी ऋण स्टॉक 2020 के अंत तक 115.695 अरब डॉलर से बढ़कर 2021 के अंत तक 130.433 अरब डॉलर हो गया। सितंबर 2022 में देश का बाहरी कर्ज 126.9 अरब डॉलर तक पहुंच गया था। मतलब अब स्थिति सरकार के हाथ से निकल चुकी है।
ऐसे में अगर पाकिस्तान खुद को दिवालिया घोषित करता है तो मुल्क का सबसे बुरा दौर होगा। दिवालिया होने का मतलब है कि आपकी क्रेडिट रेटिंग लगातार खराब हो रही हो। जैसे कुछ दिन पहले श्रीलंका के साथ हुआ था। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों का उस देश से भरोसा उठ जाता है और कर्जदाता कर्ज अदायगी की तारीख बढ़ाने से इनकार कर देते हैं। अगर क्रेडिट रेटिंग खराब होगी तो कर्ज देने के लिए कोई तैयार नहीं होगा। संभव है कि पाकिस्तान सरकार आईएमएफ से शर्तों में छूट देने की मांग करे। टैक्स की सीमा कम करने की मांग करे, ताकि कर्ज भी मिल जाए और जनता पर ज्यादा बोझ भी न बढ़े। अगर ऐसा हो जाता है तो पाकिस्तान को आईएमएफ से कर्ज मिल जाएगा। लेकिन ऐसा न होने पर पाकिस्तान डिफॉल्टर की लिस्ट में आ सकता है।