गांबिया में भारतीय फार्मास्यूटिकल कंपनी की खांसी की दवा के सेवन से कथित तौर पर 66 बच्चों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बच्चों को खांसी की दवाई लेते समय सावधानी बरतने का आग्रह किया था। वहीं अब उज्बेकिस्तान ने दावा किया है कि भारतीय कंपनी द्वारा निर्मित खांसी की दवाई का सेवन करने से 18 बच्चों की मौत हो गई है।
उज्बेकिस्तान ने जिस कंपनी पर आरोप लगाया है वह भारतीय है और उसका नाम मैरियन बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड है। यह कंपनी 2012 में उज्बेकिस्तान में रजिस्टर्ड हुई थी। उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस घटना का संज्ञान लिया है और इस संबंध में एक बयान जारी किया है। इस बयान में विस्तार से बताया गया है कि बच्चों की मौत क्यों हुई होगी।
मैरियन बायोटेक कंपनी द्वारा निर्मित Doc-1 Max Syrup के सेवन से उज्बेकिस्तान में अब तक 18 बच्चों की मौत हो चुकी है। इन बच्चों की मौत सांस लेने में तकलीफ के कारण हुई है। मिली जानकारी के मुताबिक जिन बच्चों की मौत हुई है, उन्हें अस्पताल में भर्ती करने से पहले उनके माता-पिता ने Doc-1 Max Syrup दिया था। बच्चों को यह दवाई 2 से 7 दिन तक दिन में 3 से 4 बार दी गई। बयान में कहा गया है कि ओवरडोज के कारण बच्चों की मौत हुई।
भारतीय कंपनी द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि इस सिरप में पैरासिटामोल मुख्य घटक है। डॉक्टर-1 मैक्स सिरप का गलत इस्तेमाल किया गया। यह दवा केवल फार्मासिस्ट के बताए अनुसार दी गई थी, हालांकि यह सर्दी के इलाज के लिए डॉक्टर द्वारा निर्धारित नहीं की गई थी। इस वजह से बच्चों की हालत बिगड़ी है।
क्या था गाम्बिया में हुई मौतों वाला मामला
दरअसल अफ्रीकी देश गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत की दुर्भाग्यपूर्ण घटना सामने आई थी। डब्ल्यूएचओ को संदेह है कि ये मौतें इन बच्चों को दी जाने वाली कफ सिरप के कारण हुई हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक डब्ल्यूएचओ ने इस संबंध मेंडीसीजीए (ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया) को अलर्ट किया था। डीसीजीए ने इन सभी तरह के मामलों पर तुरंत हरियाणा प्रशासन से चर्चा कर जांच शुरू कर दी थी ।
मेडेन फार्मास्यूटिकल्स के साथ जांच जारी रिपोर्टों के मुताबिक ग्लोबल हेल्थ बॉडी ने कहा कि वह भारत में कंपनी और नियामक प्राधिकरणों के साथ आगे की जांच कर रहा है। हालांकि भारतीय सरकार द्वारा कंपनी को क्लीनचिट दे दी गई है।