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कमलनाथ के लिए सुखद नहीं हैं आने वाले दिन 

नई दिल्ली। मध्यप्रदेश में कमलनाथ के अनुभव को देखते हुए कांग्रेस ने उन्हें कमान तो सौंपी, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते ही उन्हें अपनी पार्टी के विधायकों के जबर्दस्त असंतोष का सामना करना पड़ रहा है। जाहिर है कि दूसरी पार्टियों के समर्थन से सरकार चला रहे मुख्यमंत्री की चुनौतियां आने वाले दिनों में बढ़ सकती हैं। हर विधायक उन पर कुछ न कुछ पद हासिल करने के लिए दबाव बनाएगा। इसी तरह राज्य के दिग्गज नेता भी अपनों को दायित्व दिलवाने के लिए उन पर दबाव बनाए रखेंगे। ऐसे में सभी धड़ों के नेताओं और कार्यकर्ताओं को संतुष्ट कर पाना वाकई चुनौतीपूर्ण होगा।
खास बात यह है कि मंत्री पद न मिलने पर नाराज विधायक अभी से तीखे तेवर दिखाने लगे हैं।बदनावर सीट से विधायक राजवर्धनसिंह दत्तीगांव तो यहां तक आक्रोश जाहिर कर चुके हैं कि पार्टी में  वंशवाद के कारण उनका हक मार दिया गया। उन्होंने कहा कि क्षेत्र की जनता को उनके मंत्री बनने की बड़ी उम्मीद थी, लेकिन वंशवाद ने उनका हक छीन लिया। उन्होंने कहा, मैं इस अन्याय का बदला इस्तीफे से दूंगा। मंत्री बनने का मुझे शौक नहीं बल्कि यह मेरा हक है। अगर मैं किसी बड़े नेता या पूर्व मुख्यमंत्री का बेटा होता तो जरूर मंत्री बनता। दत्तीगांव अपनी सीट से 41 हजार से ज्यादा वोटों से जीते हैं।
पार्टी के नाराज विधायक आलाकमान से भी शिकायत कर रहे हैं। केपी सिंह, ऐदल सिंह कंसाना, बिसाहूलाल सिंह समेत 10 विधायक ऐसे हैं जो आलाकमान को अपने साथ हुए अन्याय की शिकायत करने बाकायदा दिल्ली पहुंचे। नाराज विधायकों के समर्थक अपने नेताओं को मंत्री बनाने को लेकर अल्टीमेटम दे रहे हैं। सुमावली से ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष मदन शर्मा ने तो विधायक कंसाना को मंत्री नहीं बनाने के विरोध में इस्तीफा दे दिया है।
मंत्रिमंडल के गठन से सिर्फ विधायक ही नहीं बड़े नेता भी संतुष्ट नहीं हैं। वे अपने-अपने पंसदीदा विधायकों को महत्वपूर्ण विभाग दिलाने पर अड़े हुए हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया गृह और परिवहन विभाग तुलसी सिलावट को दिलवाना चाहते हैं, तो मुख्यमंत्री कमलनाथ राजपुर के विधायक बाला बच्चन को चाहते हैं। इसी तरह दिग्विजय सिंह अनुभव और वरिष्ठता का हवाला देकर डॉ. गोविंद सिंह को गृह विभाग दिलाने पर अड़े हैं। दिग्विजय सिंह अपने बेटे और राघोगढ़ के विधायक जयवर्धन सिंह को वित्त विभाग देने की वकालत भी कर रहे हैं। कांग्रेस के भीतर महत्वपूर्ण पदों के लिए खींचतान साफतौर पर दिखाई दे रही है। जानकारों के मुताबिक बैसाखियों के सहारे सरकार चला रहे मुख्यमंत्री को आगे भी इसी तरह की समस्या से जूझना पड़ सकता है। जाहिर है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ के लिए आने वाले दिन सुखद नहीं हैं।

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