पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद को भले ही कांग्रेस आलाकमान ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए गठित प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया हो, प्रदेश कांग्रेस में उनकी कोई सुनवाई नहीं है। छब्बीस बरस तक भाजपा में रहे आजाद ने कांग्रेस इस उम्मीद के साथ ज्वाइन की थी कि उन्हें प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जायेगा। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी भी आजाद को दिल्ली की कमान सौंपना चाहती थीं। कारण पूर्वांचल का बड़ा वोट बैंक है जो दिल्ली सरकार गठन में खासा महत्वपूर्ण है। ऐसा लेकिन हो न सका। पुराने कांग्रेसियों ने आपसी रार भुला आजाद का विरोध करने के लिए एकजुट हो गए। नतीजा सुभाष चोपड़ा की अध्यक्ष पद पर ताजपोशी रही। बेचारे आजाद को नए प्रदेश अध्यक्ष एक अदद ऑफिस तक देने से आनाकारी करते रहे। खबर है कि आलाकमान की चेतावनी बाद बमुश्किल आजाद को एक कक्ष उन्होंने आवंटित तो कर दिया लेकिन सिर पर आ खड़े विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार करने की उन्हें अभी तक इजाजत नहीं मिल पाई है। आजाद इन दिनों रोज किसी न किसी मुद्दे पर प्रेस कांफ्रेंस कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहते हैं। खबर यह भी है कि वे सुभाष चोपड़ा, अजय माकन और कुछेक अन्य वरिष्ठ कांग्रेसियों के व्यवहार से इतने आहत हैं कि न केवल प्रचार समिति का अध्यक्ष पद बल्कि कांग्रेस छोड़ने का मन बना चुके है। जानकारों की माने तो विधानसभा चुनाव की तारीख घोषित होते ही वे कांग्रेस को अलविदा कह सकते हैं।

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