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आदमी को चाहिए वक्त से डरकर रहे

सन 1965 मेें आई फिल्म ‘वक्त’ के यूं तो सभी गाने सुपरहिट रहे थे, एक गाना पूर्व गृह एवं वित्तमंत्री पी. चिदंबरम की वर्तमान स्थिति पर विशेष रूप से काबिले जिक्र है। साहिर लुधियानवी के लिखे इस गीत को स्वर दिया मोहम्मद रफी ने। गीत के शुरुआत बोल हैं-

‘वक्त से दिन और रात
वक्त से कल और आज
वक्त की हर शै गुलाम
वक्त का ही शे पर राज।’

देश के गृहमंत्री और वित्तमंत्री रहे पी. चिदंबरम यूं तो अंग्रेजी परस्त राजनेता हैं, यह गीत यदि उन्होंने समय रहते सुना होता, तो आज शायद वे ज्यादा बेहतर स्थिति में होते। पी चिदबंरम कल शाम से लापता हैं। फरार है कहना ज्यादा मुनासिब होगा। त्रासदी यह कि कभी उनके अधीन काम करने वाली देश की दो जांच एजेंसियां ही उन्हें गिरफ्तार करने पर आमदा हैं। वित्तमंत्री रहते प्रर्वतन निदेशालय यानि इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट उनके अधीन था तो गृहमंत्री रहते सीबीआई। आज कानून पीछे-पीछे और चिदबंरम आगे-आगे है यानी वे कानून से लुक्का-छुप्पी का खेल खेल रहे हैं। इसी कानून के वे बड़े ज्ञाता और देश के रसूखदार वकीलों में एक हैं। यानी त्रासदी उपर त्रासदी। तमिलनाडु में यूथ कांगे्रस नेता के बतौर अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू करने वाले पी. चिदबंरम 1984 में पहली बार शिवांगा लोकसभा सीट जीत संसद पहुंचे। 1991 में पहली बार केंद्र में मंत्री बने चिदबंरम लगातार केंद्रीय राजनीति के शीर्ष में बने रहे हैं।

 


विवादों से गहरा नाता

पी चिदबंरम की राजनीतिक यात्रा बेहद विवादास्पद रही हैं। हालांकि अपने रसूल के बल पर कानून के लंबे हाथ उन तक समय रहते पहुंच न सके। आरोप उन पर शुरुआत दौर संे ही चस्पा होते रहे हैं। इन आरोपों में गंभीर अर्थिक भष्ट्राचार से लेकर विवादित उद्योगपतियों के वकील बनने और खुद के चुनाव को बेइमानी कर जीतने जैसे आरोप शामिल हैं। 2009 के आम चुनाव में शिवांगा लोकसभा सीट में चिदबंरम की जीत खासी विवादास्पद रही। एआईएडीएमके प्रत्याक्षी राजा कन्नप्पन को पहले 3,555वोट से जीता घोषित किया गया लेकिन कुछ ही घंटों बाद चिदबंरम को 3354 मतों से जीत घोषित कर दिया गया। तमिलनाडु की तत्कालीन सीएम जे. जय ललिता ने तब आरोप लगाया था कि चिदबंरम ने चुनाव कर्मियों के साथ मिलकर हेराफेरी कर राजा कन्नप्पन को मिले वोट अपने नाम कराए।

सिख समुदाय कांग्रेसी नेता जगदीश टाइटलर को 1984 दगों में सीबीआई द्वारा क्लीन चिट् देने के चलते चिदबंरम से खासा नाराज रहता है। उनके गृहमंत्री काल में यह क्लीन चिट् दी गई। नतीजा 7, अप्रैल 2009 के दिन एक प्रेस काॅन्फ्रेंस कर रहे गृहमंत्री पर एक सिख पत्रकार जनरैल सिंह ने जूता दे मारा। यह देश की पहली जूता मारने की घटना थी।

सुब्रमण्यम स्वामी का कोप

पूर्व केन्द्रीय मंत्री और भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सबसे पहले पी चिदबंरम पर गंभीर आर्थिक भष्ट्राचार के आरोप लगाए थे। बकौल सुब्रमण्यम स्वामी 2007 में वित्त मंत्री रहते चिदबंरम ने ‘एयरसेल’ मोबाइल सेवा कंपनी को मैम्सिक कम्युनिकेशन द्वारा खरीदे जाने के सौदे में महत्वपूर्ण रोल निभाया। चिदबंरम के मंत्रालय ने तब तक इस सौदे को लेकर अपनी सहमती नहीं दी, जब तक चिदबंरम के बेटे कार्तिक को पांच परसेंट कमीशन नहीं मिला। यही वह मामला है जिसकी जांच करते-करते सीबीआई और ईडी आज चिदबंरम के घर तक जा पहुंची है। यही मामला है जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट के जज ने चिदबंरम को अग्रिम जमानत देने से मना करते हुए उन्हें पूरे खेल का ‘मास्टरमाइंड’ कह डाला है। कीर्ति चिदबंरम पर इस डील में कमीशन लेने के अलावा बोगस कंपनियों के जरिए हवाला कारोबार से जुड़े होने, ब्रिटेन में रियल स्टेट का बेनामी धंधा करने जैसे आरोप भी है। चिदबंरम पर 6 दिसंबर 2013 के दिन वरिष्ठ अधिवक्ता ‘दि वन एड ओनली वन’ राम जेठमलानी ने एक बड़ा आरोप एन.डी.टी.वी. के मालिकों प्रणव और राधिका राय संग मिल पांच हजार करोड़ का हवाला कारोबार करने का आरोप लगाया था। यह आरोप भी अब जांच एंजनसियों की तहकीकात का हिस्सा है। इसी तहकीकात के चलते पिछले दिनों प्रणव और राधिका राॅय को भारत छोड़ विदेश जाने से रोक दिया गया था। बहरहाल ‘वक्त’ के इस सुपर हिट गीत के अंतिम बोल सभी को, विशेषकर सत्ता के शीर्ष पर बैठे हमारे हुक्मरानों को हमेशा याद रखना चाहिए।

‘आदमी को चाहिए वक्त से डर कर रहे
कौन जाने किस घड़ी वक्त का बदले मिजाज।’

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