लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बीजेपी का सामना करने के लिए इंडिया गठबंधन लगातार बैठकें कर रहा है। इस गठबंधन में शामिल दलों का दावा है कि आगामी चुनाव में वो बीजेपी को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा देंगे। हालांकि एक हकीकत यह भी है कि इंडिया गठबंधन में शामिल दलों में से कौन कब दूसरे खेमे में शामिल हो जाए, यह खुद बीजेपी के इन विरोधियों को भी नहीं पता।
इंडिया गठबंधन की बैठकों के बीच बिहार के सीएम नीतीश कुमार का जी-20 डिनर में शामिल होना और पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा उनका परिचय अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन से करवाए जाने के बाद अब एक बार फिर से उनको लेकर कयास लगाए जाने लगे हैं। कहा तो ये तक जा रहा है कि बिहार की सियासत का यह ‘पुराना चावल’ यूं ही जी-20 डिनर में शिरकत करने नहीं पहुंच गया। नीतीश ने इसमें शामिल होकर एक तीर से दो निशाने साधे हैं।
दरअसल पिछले साल बिहार में जदयू और राजद के साथ आने के बाद जी -20 डिनर में पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार के बीच यह पहली मुलाकात है। नीतीश कुमार अपनी राजनीतिक शालीनता और कई बार अपने सहयोगी दल के विरोध में रुख अपनाने के लिए भी पहजाने जाते हैं । उन्होंने डिनर में शामिल होकर न सिर्फ राजनीतिक कौशलता का संदेश दिया बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया कि वो निर्णय लेने के मामले में एक स्वतंत्र विचार वाले व्यक्ति हैं।
ऐसे में इस मुलाकात को लेकर न केवल बिहार में बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी सियासी हलचल बढ़ गई है। एक तरफ इंडिया गठबंधन की तीन बैठक होने के बाद भी संयोजक पद पर फैसला नहीं हो सका, वहीं दूसरी ओर पीएम से सीएम की मुलाकात ने गठबंधन के भविष्य को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। जी-20 डिनर के बाद जो तस्वीर सामने आई उसमें पीएम मोदी का हाथ नीतीश के हाथ में है।
तस्वीर में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और भारत की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू भी हैं लेकिन नीतीश के हाथ में मोदी का हाथ इस तस्वीर को देख सियासी चर्चा शुरू हो गई कि कहीं नीतीश कुमार एक बार फिर से पलटी न मार लें। इस सियासी फुसफुसाहट को और हवा उस वक्त मिल गई जब रात्रिभोज के अगले ही दिन केंद्र सरकार ने बिहार को 1942 करोड़ रुपये जारी कर दिए।
असल में पिछले डेढ़ साल से नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच मुलाकात नहीं हुई थी। जब एनडीए की सरकार थी, तब जातीय जनगणना को लेकर सर्वदलीय बैठक में दोनों की मुलाकात हुई थी। नीतीश कुमार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के दिए जी 20 डिनर में जरूर शामिल हुए। लेकिन उनके शपथ ग्रहण समारोह में वह शरीक नहीं हुए थे। यहां तक कि संसद भवन के उद्घाटन समारोह का भी उन्होंने बहिष्कार कर दिया था। नीतीश कुमार पहले भी पाला बदल चुके हैं इसलिए इस बार भी अटकलें लगाईं जा रही है कि नीतीश फिर पाला बदल सकते हैं।
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने एक वीडियो जारी कर नीतीश कुमार पर निशाना साध कहा कि ष्इंडिया गठबंधन नीतीश कुमार के लिए गेट है तो एनडीए खिड़की है। अगर नीतीश को इंडिया में भाव नहीं मिला तो वो पाला बदल कर खिड़की के रास्ते एनडीए में जा सकते हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि नीतीश कुमार दबाव की राजनीति करने में माहिर हैं। इस मुलाकात को लेकर भी कैलकुलेट करेंगे कि इंडिया गठबंधन में उनकी क्या स्थिति बनती है। यदि उन्हें लगेगा कि महत्वपूर्ण भूमिका उन्हें नहीं मिलेगी और गठबंधन की सरकार नहीं बनने वाली है तो कोई बड़ा फैसला भी ले सकते हैं। उनके मन में क्या चल रहा है, यह तो उनकी पार्टी जेडीयू के नेता भी बताने की स्थिति में नहीं है लेकिन जब भी अपने सहयोगी गठबंधन की तरफ से दबाव होता है तो वह इसी तरह की रणनीति अपनाते हैं।
इंडिया गठबंधन में भी नीतीश कुमार को अभी तक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं मिली है। न तो संयोजक बनाया जा रहा है और न ही प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर कोई फैसला हो रहा है। उधर आरजेडी चीफ लालू यादव भी तेजस्वी यादव को सीएम बनाने को लेकर उन पर दबाव बना रहे हैं। ऐसे में मोदी और नीतीश की ये मुलाकात सियासत में नया गुल खिला सकती है।