Uttarakhand

‘‘खनन के सबसे बड़े संरक्षक त्रिवेंद्र रावत’’

जनसंघर्ष मोर्चा के नेता रघुनाथ नेगी ने प्रमाणों के साथ खुलासा किया कि मुख्यमंत्री ने बाहरी खनन करोबारियों को लाभ पहुंचा कर प्रदेश को करोड़ों के राजस्व का चूना लगाया
जनसंघर्ष मोर्चा के रघुनाथ सिंह नेगी ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत पर सनसनीखेज आरोप लगाया है कि राज्य में भाजपा सरकार गठन के बाद से ही मुख्यमंत्री खनन माफियाओं को लाभ पहुंचाने का काम करते रहे हैं। उनकी कार्यशैली ऐसी है कि एक साजिश के तहत प्रदेश के खनन कारोबारियों को खनन के काम से रोका गया, जबकि इसकी आड़ में बाहरी प्रदेशां के खनन करोबारियों और माफियाओं को करोड़ों का लाभ पहुंचाया गया। इसके चलते प्रदेश को कई सौ करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ है।
देहरादून में एक प्रेस वार्ता के दौरान नेगी ने कई प्रमाणों सहित खुलासा किया कि सरकार बनने के तुरंत बाद ही मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने 9 मई 2017 के माध्यम प्रदेश में हर प्रकार के खनन कारोबार को निलंबित कर दिया था। इसके लिए बकायदा एक षड़यंत्र किया गया जिसके तहत सरकार द्वारा पत्र संख्या 459/VII-1/13/ख/2017 दिनांक 9 मई 2017 के माध्यम से एक आदेश जारी किया। इस आदेश में कहा गया कि राज्य में खनन के सभी प्रकार की श्रेणियां के लिये बनाई गई नीतियों के प्रावधानों के अनुसार राज्य में स्वीकृत समस्त स्टोन क्रेशर, स्क्रीनिंग प्लांट, खनिजां के भण्डारण एवं निजी नाप भूमि में स्वीकृत उप खनिज, खनिज एवं गौण खनिज के खनन पट्टे तत्काल प्रभाव से निलंबित किये जाते हैं।
इस आदेश में इसके लिए तीन सदस्य कमेटी के गठन की भी सूचना जारी की गई जिसमें अध्यक्ष पद पर सचिव औद्योगिक विकास और मुख्य वन संरक्षक उत्तराखण्ड तथा केन्द्रीय मृदा एवं जल संरक्षण अनुसंधान एवं परीक्षण संस्थान को सदस्य बनाया गया। इस कमेटी राज्य में सभी प्रकार के निलंबित खनन के करोबार जैसे स्टोन क्रेशर, स्क्रीनिंग प्लांट, खनिजां के भण्डारण एवं निजी नाप भूमि में स्वीकृत खनन पट्टे (उप खनिज एंव गौण खनिज) का परीक्षण कर सरकार को एक माह में अपनी संस्तुति देने का निर्देश जारी किया।
हैरानी की बात यह है कि कमेटी द्वारा आठ माह के बाद शासन को सूचित किया गया कि कमेटी को दिये गये निर्देशां पर कमेटी परीक्षण करने में पूरी तरह से असमर्थ है। इसका ख्ुलासा आनंदवर्धन  प्रमुख सचिव औद्योगिक विभाग द्वारा पत्र संख्या 1423ध्टप्प्.1ध्2017ध्13 खध्17 देहरादून दिनांक 3 जनवरी 2018 को जारी कार्यालय ज्ञापन में साफ कर दिया कि ‘‘उक्तानुसार निलंबित स्टोन क्रेशर, स्क्रीनिंग प्लांट खनिजां के भण्डारण एवं  निजी नाप भूमि में स्वीकृत खनन पट्टे उप खनिज एवं गौण खनिज के खनन के पट्टों के सबंध में परीक्षण हेतु गठित कमेटी में नामित सदस्य यथा केन्द्रीय मृदा एवं जल संरक्षण अनुसंधान एवं परीक्षण संस्थान देहरादून द्वारा उक्त कार्य हेतु असमर्थता व्यक्त किये जाने के दृष्टिगत सम्यक विचारोपरांत उक्त संगत कार्यालय ज्ञाप संख्या 459ध्टप्प्.1ध्13 ध्खध्2017 दिनांक 9 मई 2017 को एतद्द्वारा निरस्त किया जाता है।
आश्चर्यजनक है कि 9 मई 2017 को गठित की गई कमेटी जारी कमेटी नौ माह के बाद अपनी असमर्थता वयक्त करती है और सरकार इस दौरान खामोश रहती है जबकि राज्य में खनन के सभी करोबार पूरी तरह से बंद पड़ चुके थे। इसके चलते मंहगी दरों पर राज्य के निवासियां को बाहरी राज्यों से खनन के लिए जतन करना पड़ा और हिमाचल प्रदेश उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों के खनन कारोबारियों को करोड़ों का फायदा पहुंचाया गया। इसके उलट उत्तराखण्ड के खनन करोबारियां को आदेश के द्वारा काम करने से रोक दिया गया। इससे राज्य को कई सौ करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ और जनता को भारी समस्याओं से दो चार होना पड़ा।
रघुनाथ सिंह नेगी का आरोप है कि इस पूरे प्रकरण में एक बड़ा षडयंत्र रचा गया और इसके लिये मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रात ही सबसे बड़े जिम्ेदार है क्योंकि मुख्यमंत्री खनन विभाग के विभागीय मंत्री है। अपने ही विभाग में हो रहे इस बड़े खेल को मुख्यमंत्री द्वारा संरक्षण दिया गया। यही नहीं नौ माह के बाद बगैर परीक्षण करवाये हुये ही सभी निलंबित खनन के कारोबार और खनन के पट्टों को चालू कर दिया गया। इस से साफ होता है कि सरकार द्वारा जानबूझ कर नौ माह तक बाहरी प्रदेशो के खनन माफियाओं के हितो को साधने के लिये अपने राज्य में खनन के करोबार को रोका गया जिससे बाहरी राज्यों के खनन करोबारियो और माफियाओं को इसका भरपूर फायदा मिला। इसके बाद राज्य में खनन को चालू कर दिया गया वह भी बगैर किसी परीक्षण के ही किया गया।
नेगी के सवालों और आरोपों को देखे तो मामला वाकई कहीं न कही गंभीर दिखाई दे रहा है। जब सरकार ने परीक्षण करवाने के लिए एक माह का समय दिया तो किस आधार पर सरकार नौ माह तक चुप बैठी रही जबकि राज्य में खनन की कीमतें आसमान छूने लगी थी। और जब नौ माह के बाद सरकार ने रोक हटाई तो क्यो नही खनन के करोबार का परीक्षण करवाया गया। यह सवाल भी उठता है कि किस आधार पर सरकार ने मान लिया कि राज्य में हो रहा खनन का करोबार पूरी तरह से पाक साफ है। इन सवालां से सरकार फंसती दिखाई दे रही है। साथ ही मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टालरेंस के दावो की भी पोल खुल रही है। यह आरोप तब और भी गम्भीर हो जाता है कि जब मामला स्वंय मुख्यमंत्री के विभाग का हो। उसमें बड़े पैमाने पर चल रहे खेल का खुलासा प्रमाणां के साथ सामने आ रहा हो।

Leave a Comment

Your email address will not be published.

You may also like

MERA DDDD DDD DD