यमन के अदन एयरपोर्ट पर हुए जोरदार बम धमाके में 22 लोगों की मौत हो गई और 50 से ज्यादा लोगों के घायल होने की पुष्टि हुई है। इस विमान में यमन की नई सरकार के सदस्य सऊदी अरब से आ रहे थे। जैसे ही विमान एयरपोर्ट पर पहुंचा, उसी समय जोरदार धमाका हुआ। जिन लोगों की धमाके में मौत हुई वह उनसें सरकार के सहायक कर्मचारी और अधिकारी शामिल थे। धमाके में प्रधानमंत्री और उनका मंत्रिमड़ल बिल्कुल सुरक्षित है। यमन के सूचना मंत्री ने इस हमले के पीछे हूती विद्रोहियों का हाथ बताया और हमले को एक कायरतापूर्ण चरमपंथी हमला कहा है।
यमन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार ने कहा कि ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों ने हवाई अड्डे पर चार बैलिस्टिक मिसाइल दागीं। घटना में हालांकि सरकार के विमान में सवार कोई हताहत नहीं हुआ है। अधिकारियों ने बताया कि बाद में शहर में एक और विस्फोट हुआ। यह विस्फोट उस पैलेस के पास हुआ, जिसमें कैबिनेट के सदस्यों को ले जाया गया था।
वीडियो फुटेज में दिख रहा है कि सरकारी प्रतिनिधिमंडल के विमान से बाहर आते ही धमाका हुआ। सरकारी विमान में सवार कोई व्यक्ति हताहत नहीं हुआ और कई मंत्रियों को वापस विमान में सवार होते हुए देखा गया। यमन के प्रधानमंत्री मईन अब्दुल मलिक सईद और अन्य को धमाके के तुरंत बाद हवाई अड्डे से शहर स्थित मशिक पैलेस ले जाया गया। 2 करोड़ वाली आबादी वाले देश यमन की सीमा उत्तर में सऊदी अरब, पश्चिम में लाल सागर, दक्षिण में अरब सागर और अदन की खाड़ी और पूर्व में ओमान से मिलती है।
We assure our ppl that all cabinet members r safe, &cowardly terrorist attack by Iran-backed Houthi militia on Aden airport will not deter us fm our duty & our life isn’t more valuable than other Yemenis.
May Allah have mercy on souls of martyrs, &wish fast recovery 4injured— معمر الإرياني (@ERYANIM) December 30, 2020
मंत्री इरियानी ने ट्वीट किया कर कहा कि “हम अपने लोगों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि सभी कैबिनेट मिनिस्टर सुरक्षित हैं और हवाई अड्डे पर इरान समर्थित हूती विद्रोहियों के कायरतापूर्ण चरमपंथी हमले हमें हमारी ज़िम्मेदारियों से भटका नहीं पाएंगे और हमारा जीवन अन्य यमनियों की तुलना में अधिक मूल्यवान नहीं है। अल्लाह मारे गए लोगों को शांति दे और मैं घायलों के जल्दी ठीक होने की दुआ करता हूं।
वर्ष 1962 को यमन के सुल्तान की मृत्यु के बाद 26 सितम्बर 1962 को यमन मे क्राति हो गयी यमन की क्रातिकारी सरकार ने रुस तथा मिस्त्र के सहयोग से यमन में गणतन्त्र की स्थापना कर दी। लेकिन शाहजादा हसन ने सऊदी अरब के जेद्दा प्रान्त में यमन की निर्वासित सरकार स्थापित कर ली। शीघ्र ही दोनो सरकारो के बीच खुला युद्ध छिड़ गया। युद्ध दिन प्रतिदिन उग्र होता गया। इस पर मार्च 1963 में डा॰ राल्फ बुंच को भेजकर यमन में शान्ति स्थापित करवायी तथा दोनो पक्षो को इस बात के लिए तैयार किया। अन्त मे संयुक्त राष्ट्र संध यमन शान्ति स्थापित करवाई।
यमन में मौजूदा संकट की शुरुआत 2014 में ईरान समर्थित हूथी बागियों के विद्रोह के साथ हुई, जिन्होंने कुछ ही दिनों में राजधानी सना पर कब्जा कर लिया। ऐसे में राष्ट्रपति अब्द रब्बू मंसूर हादी को भाग कर सऊदी अरब में शरण लेनी पड़ी थी। इसके बाद सऊदी अरब के नेतृत्व में खाड़ी देशों ने हूथी बागियों के खिलाफ हवाई कार्रवाई की जबकि जमीन पर यमनी सेना उनसे लोहा ले रही है। इस लड़ाई में लगभग एक लाख लोग अब तक मारे जा चुके हैं और लाखों बेघर हुए हैं। हालात ये हैं कि लोगों को खाना और दवाइयों की किल्लत से जूझना पड़ रहा है। एक राहत संस्था इंटरनेशनल रेस्क्यू कमेटी (आईआरसी) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यमन की 80 फीसदी आबादी यानी 2.4 करोड़ लोगों को मानवीय सहायता की जरूरत है। इनमें से 1.6 करोड़ लोग लगभग अकाल वाली परिस्थितियों में रह रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक युद्ध की वजह से यमन की अर्थव्यवस्था में 50 फीसदी की गिरावट आई है।
सऊदी अरब ने ओमान में हूथी बागियों के साथ सितंबर में अप्रत्यक्ष रूप से वार्ता शुरू की। यह वार्ता एक बड़े सऊदी तेल प्लांट पर हूथी बागियों के हमले के बाद हुई। इस हमले की वजह से तेल की वैश्विक आपूर्ति भी प्रभावित हुई थी। अमेरिका ने इस हमले के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया। हालांकि ईरान ने इससे इनकार किया। इस बातचीत में अंतरिम समझौतों पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया गया, जिनमें सना में यमन के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट को खोलना भी शामिल था। इस एयरपोर्ट को सऊदी नेतृत्व वाले गठबंधन ने 2016 में बंद कर दिया था।