राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दो दशक से भी ज्यादा समय बाद सत्ता में भाजपा की दमदार वापसी से राजनीतिक गलियारों में साल के अंत में प्रस्तावित बिहार चुनाव को लेकर कानाफूसी शुरू हो गई है। कहा जा रहा है कि क्या भाजपा की आंधी बिहार में महागठबंधन को भी उड़ा देगी? क्या अब बिहार में भी भाजपा अपने बलबूते कमल खिलाएगी और सरकार बनाने में कामयाब होगी? राजनीतिक पंडितों का कहना है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद जब बीजेपी कार्यालय में प्रधानमंत्री उत्साह से लबरेज होकर पहुंचे और अपने सम्बोधन में प्रचंड जीत के लिए दिल्ली की जनता को बधाई देते हुए जैसे ही उन्होंने बिहार का नाम लेकर सीएम नीतीश कुमार के विकास कार्यों का जिक्र किया उससे साफ हो गया कि दिल्ली विजय के बाद एनडीए का अगला निशाना बिहार विधानसभा चुनाव है। पीएम मोदी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि याद कीजिए कि नीतीश जी के आने से पहले बिहार में क्या हालत थे। बिहार में बदलाव तभी आया जब नीतीश कुमार सूबे के सीएम बने और जब एनडीए की सरकार बनी यानी विकास की गारंटी, सुशासन की गारंटी प्रदेशवासियों को मिली। पीएम के इन बातों से जाहिर तौर पर संकेत मिल गए हैं कि बिहार चुनाव जीतने के लिए बीजेपी कोई कोर कसर नहीं छोड़ने वाली है। जानकार कहते हैं कि दिल्ली विधानसभा चुनाव एक चुनाव भर नहीं था, बल्कि बीजेपी के लिए ये प्रतिष्ठा का विषय बन गया था। दिल्ली जीत के बाद प्रधानमंत्री मोदी के उत्साह से इसे समझा भी जा सकता है। खास बात यह कि दिल्ली में अपार बहुमत के साथ भाजपा की जीत ने एनडीए के सहयोगी दलों के उत्साह को भी दोगुना कर दिया है। पीएम मोदी के इस प्रचंड जीत के लिए पूर्वांचलियों को भी विशेष तौर पर एनडीए नेताओं को धन्यवाद से समझा जा सकता है कि एनडीए के नेता इस प्रशंसा के बहाने बिहार की
राजनीति और यहां के वोटरों को बड़ा मैसेज दे रहे हैं। स्पष्ट है कि दिल्ली जीत के बाद बीजेपी का उत्साह चरम पर है और इसका सीधा असर बिहार के चुनाव पर पड़ेगा।
अब बिहार की बारी
