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कभी नहीं थमेगी पटेल को अपना नायक बनाने की राजनीतिक होड़ 

पुण्यतिथि विशेष : सरदार वल्लभ भाई पटेल पर किसकी कितनी दावेदारी ?

आज देश के पहले गृह मंत्रीऔर उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की पुण्यतिथि है। लौह पुरुष सरदार वल्ल्भ भाई पटेल का देश के निर्माण के इतिहास में इतना बड़ा है कि आज भी सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम को राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने फायदे के लिए भुनाने में पीछे नहीं हटती।

‘‘मैं अनुच्छेद 370 को रद्द करने का फैसला सरदार पटेल को समर्पित करता हूं।’’ :  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

 

वैसे तो पटेल को अपना नायक बनाने की होड़ चलती रहेगी लेकिन समय-समय पर यह सवाल तो उठना तय है कि आखिर सरदार वल्लभ भाई पटेल किसके हैं ? इस सवाल पर आतें हैं तो थोड़ा बहुत जवाब मिलता है 2019 के कांग्रेस और बीजेपी के बयानों से।

आज ही के दिन , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  स्टेच्यू ऑफ यूनिटी पर जाकर सरदार वल्ल्भ भाई पटेल को श्रद्धांजलि दी थी। इसी बीच सरदार किसके हैं, इसको लेकर राजनीतिक पार्टियों में होड़ शुरू हो गई थी। प्रियंका गांधी ने ट्वीट करके सरदार पटेल को कांग्रेस का नेता बताया था और  लिखा था कि ‘बीजेपी सरदार को अपनाने की कोशिश में जुटी है। सरदार को श्रद्धांजलि देते हुए देखकर बहुत खुशी हो रही है। सरदार की शख्सियत ही ऐसी है कि एक न एक दिन शत्रुओं को भी नमन करना पड़ता है।’

“सरदार पटेल कांग्रेस के निष्ठावान नेता थे” : प्रियंका गांधी

 

 

2019 में प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया था , “सरदार पटेल कांग्रेस के निष्ठावान नेता थे जो कांग्रेस की विचारधारा के प्रति समर्पित थे। वह जवाहरलाल नेहरू के क़रीबी साथी थे और आरएसएस के सख़्त ख़िलाफ थे। आज भाजपा द्वारा उन्हें अपनाने की कोशिशें करते हुए और उन्हें श्रद्धांजलि देते देख के बहुत ख़ुशी होती है, क्योंकि भाजपा के इस ऐक्शन से दो चीज़ें स्पष्ट होती हैं। पहला, उनका अपना कोई स्वतंत्रता सेनानी महापुरुष नहीं है। तक़रीबन सभी कांग्रेस से जुड़े थे। दूसरा, सरदार पटेल जैसे महापुरुष को एक न एक दिन उनके शत्रुओं को भी नमन करना पड़ता है।“

इसी दिन 2019 में जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाए जाने का फैसला देश के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल को समर्पित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि देश ने उस अनुच्छेद 370 को खत्म करने का फैसला किया जिसने जम्मू कश्मीर को सिर्फ अलगाववाद और आतंकवाद दिया।

प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय एकता दिवस पर कहा था ‘‘मैं अनुच्छेद 370 को रद्द करने का फैसला सरदार पटेल को समर्पित करता हूं।’’ उन्होंने कहा था कि जम्मू कश्मीर पर हमारा फैसला जमीन पर लकीर खींचने के लिये नहीं बल्कि विश्वास की श्रृंखला बनाने के लिये है।

प्रधानमंत्री कहा था कि देश ने उस अनुच्छेद 370 को खत्म करने का फैसला किया जिसने जम्मू कश्मीर को सिर्फ अलगाववाद और आतंकवाद दिया।

 

वल्लभभाई पटेल झवेरभाई

 

वल्लभभाई पटेल झवेरभाई भारत के महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक नेताओं में से एक थे। उन्होंने स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। माना जाता है कि उनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाड में हुआ था और अक्सर उन्हें सरदार के रूप में संबोधित किया जाता था। 22 साल की उम्र में उन्होंने मैट्रिक कर ली थी। हर किसी के लिए वह एक साधारण व्यक्ति से व्यक्ति थे, लेकिन उनमे दृढ़ इच्छा शक्ति थी। वे एक बैरिस्टर बनना चाहते थे।

 

36 साल की उम्र में अपना स्वप्न पूरा करने के लिए वह इंग्लैंड चले गए और मिडिल टेम्पल इन में शामिल हो गए।उन्होंने सिर्फ 30 महीने में अपने 36 महीने के कोर्स को पूरा किया। भारत लौटने के बाद वे अहमदाबाद के सबसे सफल बैरिस्टर में से एक बन गये।
महात्मा गांधी के काम और दर्शनशास्र से प्रेरित होकर, वह स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में शामिल हो गए।

उन्होंने खेड़ा, बारडोली और गुजरात के अन्य भागों के किसानों को एकत्रित किया और ब्रिटिश सरकार बढ़ाये गए कर के भुगतान के विरोध में गुजरात में अहिंसक सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया। वह अपने लक्ष्य में सफल रहे और ब्रिटिश सरकार ने उस वर्ष के लिए राजस्व का भुगतान निलंबित कर दिया। इसके साथ ही वह गुजरात में सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक बन गये। 1920 में वह गुजरात प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बने और 1945 तक इस पद पर कार्य किया।

गांधी के असहयोग आंदोलन के प्रबल समर्थक

वे गांधी के असहयोग आंदोलन के प्रबल समर्थक थे और उन्होंने गुजरात में शराब, अस्पृश्यता और जातीय भेदभाव के खिलाफ काम किया। वे 1922, 1924 और 1927 में अहमदाबाद के नगर निगम के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुये थे। जब महात्मा गांधी जेल में थे, उन्होंने 1923 में भारतीय ध्वज की स्थापना पर प्रतिबंध लगाने के ब्रिटिश कानून के खिलाफ नागपुर में सत्याग्रह का नेतृत्व किया था। 1931 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया गया था।

 

वह 1934 और 1937 में पूरे भारत में कांग्रेस के चुनाव अभियान में सबसे आगे थे  और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के आयोजन के दौरान एक प्रमुख नेता रहे। उन्हें भारत छोड़ो आंदोलन से पहले गिरफ्तार कर लिया था और 1945 में रिहा किया गया था।भारत की आजादी के बाद वह भारत के पहले गृह मंत्री और उप प्रधानमंत्री बने।

 

एक साहसी और दृढ़ संकल्प वाले व्यक्ति

उन्होंने पंजाब और दिल्ली में शरणार्थियों के लिए राहत शिविरों का आयोजन किया। संयुक्त भारत के निर्माण के लिए 565 अर्ध स्वायत्त रियासतों के समेकन के पीछे उन्ही का हाथ था। पटेल महात्मा गांधी के करीबी थे।

 

बाद में महात्मा गांधी की मृत्यु के बाद उनकी हालत भी बिगड़नी शुरू हो गयी और गांधी की मौत के दो महीने के भीतर ही एक उन्हें दिल का दौरा पड़ा। 15 दिसम्बर 1950 को उनकी मृत्यु हो गई। वह एक साहसी और दृढ़ संकल्प वाले व्यक्ति थे और सही मायनों में भारत के लौह पुरुष थे।

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