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प्रेस क्लब ने कश्मीरी पत्रकार मसरत जेहरा के खिलाफ केस को बताया निंदनीय

प्रेस क्लब ने कश्मीरी पत्रकार मसरत जेहरा के खिलाफ केस को बताया निंदनीय

एक तरफ कोरोना का कहर जारी है वहीं दूसरी तरफ छात्रों और पत्रकारों पर पुलिस कार्रवाई कर रही है। ये दोनों मामले लॉकडाउन के बीच तुल पकड़ते जा रहे हैं। दिल्ली के नॉर्थ-ईस्ट इलाके में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े एक मामले में दिल्ली पुलिस ने जामिया के दो छात्रों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। मीरान हैदर और सफूरा जरगर के खिलाफ गैर-कानूनी गतिविधि (निरोधक) अधिनियम (यूएपीए) के अंतर्गत मामला दर्ज किया है।

इसके अलावा पुलिस ने जेएनयू के छात्र नेता उमर खालिद के खिलाफ भी यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया है। एफआईआर में पुलिस की तरफ से दावा किया है कि सांप्रदायिक दंगा एक ‘पूर्व नियोजित साजिश’ था, जो कथित तौर पर उमर और दो अन्य लोगों ने रची थी। मीरान हैदर और जरगर सफूरा को फिलहाल न्यायिक हिरासत में रखा गया है।

वहीं जम्मू और कश्मीर पुलिस ने फोटोजर्नलिस्ट मसरत जेहरा के खिलाफ केस दर्ज किया है। जेहरा पर आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया पर ‘देश विरोधी’ गतिविधियों का गुणगान करने वाले तस्वीरें साझा कीं। पुलिस ने अपने प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि साइबर पुलिस थाने को विश्वसनीय सूत्रों से सूचना मिली थी कि मसरत जहारा नाम की फेसबुक यूजर राष्ट्र विरोधी पोस्ट अपलोड कर रही थी, उनका इरादा प्रदेश में शांति के खिलाफ युवाओं को भड़काना था।

प्रेस क्लब ने कश्मीरी पत्रकार मसरत जेहरा के खिलाफ केस को बताया निंदनीय

कश्मीर प्रेस क्लब की तरफ से बताया गया है कि जेहरा को मंगलवार को पूछताछ के लिए थाने बुलाया गया था। द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट मुताबिक, जम्मू कश्मीर पुलिस ने 20 अप्रैल को जारी बयान में कहा कि कश्मीर जोन के साइबर पुलिस स्टेशन में यूएपीए की धारा-13 और आईपीसी की धारा-505 के तहत मसरत जेहरा के खिलाफ एक मामला दर्ज किया है। साइबर पुलिस स्टेशन को भरोसेमंद सोर्स से जानकारी मिली कि एक फेसबुक यूजर ‘मसर्त जहरा’ युवाओं को प्रेरित करने और सार्वजनिक शांति के खिलाफ अपराधों को बढ़ावा देने के लिए आपराधिक इरादे के साथ सोशल मीडिया पर एंटी-नेशनल पोस्ट्स कर रही है। माना जाता है कि मसरत के ये फोटोज कानून-व्यवस्था बिगाड़ने के लिए जनता को उत्तेजित कर सकते हैं। यूजर एंटी-नेशनल गतिविधियों के गुणगान करने वाले पोस्ट करती हैं।

पुलिस की तरफ के किए गए कार्रवाई को लेकर जेहरा ने मगलवार को एक ट्विट किया जिसमें उन्होंने लिखा, “ये बतौर पत्रकार अपने अधिकारों की रक्षा करने का समय है। इसलिए, मुझे शुभकामनाएं दीजिए, ये बतौर पत्रकार मेरे अधिकारों की रक्षा का समय है कि यह एक पत्रकार के रूप में मेरे अधिकारों की रक्षा करने का समय है, साइबर पुलिस स्टेशन जा रही हूं।”

कौन हैं मसरत जेहरा?

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26 साल की मसरत जहारा एक फ्रीलांस फोटोग्राफर हैं। उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रकाशकों के लिए काम किया है। एक फोटो पत्रकार के तौर पर मसरत जेहरा की फोटो वाशिंगटन पोस्ट, अल जज़ीरा, कारवां, दी सन, टीआरटी आदि में छपती रही है।

प्रेस क्लब ने कार्रवाई पर जताया विरोध

कश्मीर प्रेस क्लब ने मसरत जेहरा के खिलाफ यूएपीए के तहत की गई कार्रवाई पर विरोध जताया है। प्रेस क्लब ने गृह मंत्री अमित शाह, लेफ्टिनेंट गवर्नर जीसी मुर्मू और डीजीपी दिलबाग सिंह से आग्रह किया है कि मसरत की प्रताड़ना बंद हो। पत्रकार संगठनों का कहना है कि ऐसे समय जब दुनिया कोविड-19 महामारी से लड़ रही है, यह बड़ा ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार जम्मू-कश्मीर में पत्रकारों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने में व्यस्त है। कश्मीर प्रेस क्लब ने अपने जारी बयान में कहा है कि जम्मू-कश्मीर सरकार, खासकर पुलिस को यह समझने की जरूरत है कि पत्रकारिता और साइबर क्राइम के बीच एक बड़ा अंतर है। सरकार के पास किसी भी पत्रकार के स्टोरी को खंडन और उस पर रेस्पॉन्ड करने का पूरा अधिकार है पर पत्रकारों या उनके काम के खिलाफ मामले गैर-कानूनी और गलत हैं।

कश्मीर प्रेस क्लब ने अपने बयान में कहा, “कश्मीर में पत्रकारिता करना कभी आसान नहीं रहा। 5 अगस्त, 2019 से यहां पत्रकारों के लिए चुनौतियां और मुश्किलें कई गुना बढ़ गई हैं। कोविड-19 महामारी के समय भी पत्रकारों को थाने बुलाया जाता है और उनसे उनकी खबरों को लेकर पूछताछ की जाती है।”

क्लब ने आगे कहा, “ऐसे मामले भी सामने आए हैं जहां पत्रकारों को रिपोर्टिंग के लिए जाने पर परेशान किया गया। 19 अप्रैल को पुलिस ने एक राष्ट्रीय दैनिक के लिए काम करने वाले एक वरिष्ठ पत्रकार को मौखिक आदेश देकर बुलाया और उसकी एक रिपोर्ट में तथाकथित गलत तथ्यों के बारे में पूछताछ की। उस पत्रकार ने श्रीनगर थाने में जाकर अपनी बात कही जहां उसे उसी शाम को 40 किलोमीटर दूर अनंतनाग के एक पुलिस अधिकारी के सामने हाजिर होने के लिए कहा गया।”

कश्मीर वर्किंग जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने भी की आलोचना

कश्मीर प्रेस क्लब के अलावा कश्मीर वर्किंग जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने भी सरकार के इस कार्रवाई की कड़े शब्दों में आलोचना की है। एसोसिएशन ने कहा कि वह कश्मीर में पुलिस द्वारा पत्रकारों को लगातार प्रताड़ित किए जाने की निंदा और विरोध करती है। एसोसिएशन ने कहा, “पत्रकारों पर पुलिस की प्रताड़ना हर दिन नई ऊंचाई पर पहुंचती जा रही है। पत्रकारों का काम समाज के हर पहलू को सामने लाना है, चाहे वह विवाद का हो या असंतोष का। लेकिन यहां पुलिस पत्रकारों को धमकी देती है, उनकी पिटाई करती है, उनके खिलाफ फर्जी मामले दर्ज करती है। ऐसा करके सरकार लोगों के प्रति अपने कर्तव्य की विफलता को दर्शा रही है। एसोसिएशन ने वरिष्ठ पत्रकार पीरजादा आशिक को प्रताड़ित किए जाने के मामले का भी संज्ञान लिया है, जिन्हें पहले पुलिस ने श्रीनगर थाने में बुलाया और उसके बाद अनंतनाग में। पीरजादा की एक रिपोर्ट से सरकार नाखुश थी।”

क्या है UAPA एक्ट?

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गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967 में हुए संशोधन के बाद अब संस्थाओं के अलावा किसी व्यक्ति को भी आतंकवादी घोषित किया जा सकता है। इतना ही नहीं इस अधिनियम के तहत किसी पर मात्र शक होने के आधार पर उसे आतंकवादी घोषित किया जा सकता है। खास बात ये होगी कि इसके लिए उस व्यक्ति का किसी आतंकी संगठन से संबंध दिखाना भी जरूरी नहीं होगा। इस अधिनियम के तहत आतंकवादी का टैग हटवाने के लिए कोर्ट के बजाय सरकारी की बनाई रिव्यू कमेटी के पास जाना होगा। उसके बाद में मामले को लेकर कोर्ट में अपील की जा सकती है।

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