तीन दिन पहले केंद्र सरकार ने दिल्ली मेरठ रेल कारीडोर की सुरंग के निर्माण के लिए चीनी कंपनी को ठेका दिया था। इसके बाद चीन ने लद्दाख में भारत की सीमा पर लड़ाई करके देश के 20 जवानों को शहीद कर दिया। इससे पूरे देश में चीन के प्रति खासा रोष पैदा हो गया। यहां तक की चीनी सामानों का बहिष्कार किया जाने लगा और चीन का पुतला जलाया गया। देश के हर शहर गांव से चीन के विरोध की खबर आ रही है।
इसी दौरान कांग्रेस की उत्तर प्रदेश महासचिव प्रियंका गांधी ने भी चीन को दिए गए रेल कॉरिडोर के ठेके पर जमकर घेराबंदी की है । प्रियंका ने ट्वीट करते हुए केंद्र सरकार को कहा है कि ये घुटने टेकने की प्रवृत्ति है। फिलहाल, सरकार ठेका निरस्त करने की तैयारियों में जुट गई है।
बहरहाल, चीनी कंपनियों को देश के बाहर का रास्ता दिखाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। रेल मंत्रालय के तहत आने वाले डैडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर में सिगनलिंग का जो काम चीनी कंपनियों को दिया था, उसका ठेका रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। हालांकि रेल मंत्रालय ने इसका श्रेय कही प्रियंका गांधी ना ले जाए इसके चलते कहा है कि खराब प्रदर्शन के चलते कंपनी का ठेका रद्द किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने आज ट्विटर पर लिखा हैं कि हमारे 20 जवान शहीद हुए हैं। ऐसे में केंद्र सरकार को मजबूत संदेश देना चाहिए । लेकिन सरकार ने दिल्ली-मेरठ सेमी हाईस्पीड रेल कॉरिडोर का ठेका चीनी कम्पनी को सौंप कर घुटने टेकने जैसी रणनीति अपनाई है। तमाम भारतीय कंपनियां भी इस कॉरिडोर को बनाने के काबिल हैं।
गौरतलब है कि दिल्ली-मेरठ के बीच सेमी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर बनना प्रस्तावित है। यह कॉरिडोर से दिल्ली, गाजियाबाद होते हुए मेरठ से जुड़ेगी। 82.15 किलोमीटर लंबे आरआरटीएस में 68.03 किलोमीटर हिस्सा एलिवेटेड और 14.12 किलोमीटर अंडरग्राउंड होगा। इस अंडरग्राउंड स्ट्रेच (सुरंग) को बनाने का काम चीनी कंपनी को दिया गया है।इसके लिए 5 कंपनियों ने बोली लगाई थी।
आरआरटीएस प्रोजेक्ट के अंडरग्राउंड स्ट्रेच बनाने के लिए हुए टेंडर में सबसे कम रकम की बोली एक चीनी कंपनी शंघाई टनल इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड (एसटीईसी) ने लगाई थी । जो 1126 करोड़ रुपये है। जबकि भारतीय कंपनी लार्सन ऐंड टूब्रो (एलएडटी) ने 1,170 करोड़ रुपये की बोली लगाई. एक और भारतीय कंपनी टाटा प्रोजेक्ट्स और एसकेईसी के जेवी ने 1,346 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। इस पूरे प्रोजेक्ट का प्रबंधन नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (एनसीआरटीसी) द्वारा किया जा रहा है।