Country

पंजाब कांग्रेस भी बदहाल 

कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व इस वक्त आई सी यू में पड़ा हुआ है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम पर पिछले दिनों पार्टी मुख्यालय से जब महाराष्ट्र कांग्रेस के नए पदाधिकारियों की सूची जारी हुई तब पार्टी भीतर ही सवाल उठे कि आखिर यह अध्यक्ष है कौन ?राहुल गांधी अपना इस्तीफा सार्वजनिक कर चुके हैं। ऐसे में वर्तमान में कौन पार्टी अध्यक्ष है। यह किसी को स्पस्ट नहीं।

गोवा और कर्नाटक में भरी बगावत के बाद नेतृत्व विहीन पार्टी के समक्ष अब पंजाब प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेताओं की रार एक बड़ा संकट बन उभर रही है।  मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने बीते 6 जून को मंत्रिमंडल में किए फेरबदल के  बाद आवंटित  ऊर्जा विभाग की जिम्मेदारी  संभाल रहे नवजोत सिद्दू के इस्तीफे ने एक बार फिर प्रदेश की राजनीति में भूचाल पैदा कर दिया है।

लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ पैदा हुई नाराजगी के बाद मामला उस समय तूल पकड़ गया जब मुख्यमंत्री ने अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए उनसे स्थानीय निकाय विभाग छीन लिया था । इस के बाद सिद्धू अज्ञातवास में चले गए।  माता वैष्णो देवी के दरबार से लौटे सिद्धू ने अपने कुछ सहयोगियों की सलाह पर इस्तीफे की कॉपी सोशल मीडिया पर जारी है।
सिद्धू ने भाजपा के राज्यसभा सदस्य से इस्तीफा दे कर भी सभी को स्तब्ध कर दिया था। सांसद पद से इस्तीफा देने के बाद सिद्धू कांग्रेस में शामिल हुए थे। मंत्री पद से त्यागपत्र दे कर सिद्धू कौन सी पार्टी में शामिल होंगे, यह समय ही बताएगा ।लेकिन सिद्धू की राजनीति  उसी तरह करवट ले रही है, जैसे भाजपा के सांसद के नाते उनका विरोध न केवल प्रदेश भाजपा इकाई, अकाली दल की लीडरशिप के साथ-साथ भाजपा की केंद्रीय लीडरशिप के साथ भी था।
विभाग बदलने की बाद सिद्धू कैप्टन अमरिंदर सिंह से ऐसे नाराज हुए जैसे वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अमृतसर संसदीय क्षेत्र से उनका टिकट काटकर वरिष्ठ नेता अरुण जेटली को चुनाव मैदान में उतरा था।
इसके बाद सिद्धू व जेटली के मतभेद गहरा गए थे। उस समय भी भाजपा के कई केंद्रीय नेताओं ने सिद्धू को अपनी नाराजगी दूर कर अरुण जेटली के चुनाव प्रचार में शामिल होने की कई बार अपील की थी। सिद्धू का इन सभी अपीलों पर कोई असर नहीं हुआ।जैसे वर्तमान में मंत्रिमंडल के कई सहयोगियों द्वारा सिद्धू से अपना विभाग संभलाने की जा रही अपील का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। स्मरण रहे भाजपा द्वारा लोकसभा चुनाव की टिकट काटने का सिद्धू को इतना गुस्सा था की वह मतगणना के  दिन भी अरुण जेटली के पक्ष में अपना मत डालने के  लिए नहीं आए थे।
जब सिद्धू ने वर्ष 2004, 2007 का उपचुनाव व 2009 का लोकसभा चुनाव लड़ा था तो जेटली ने इनके चुनाव की बागडोर संभाली थी। चुनाव प्रचार के दौरान सिद्धू जेटली को अपने राजनितिक गुरु का दर्जा देते थे।
सिद्धू और कैप्टन के बीच बड़ी दूरियों  को मिटने के  लिए राहुल गांधी ने भी कोई प्रयास नहीं किए। यही कारण है की सिद्धू द्वारा 6 जून को दिए इस्तीफे की बावजूद राहुल गांधी ने उस पर चुपी साधे रखी। अंत में कोई हल न देखकर सिद्धू ने अपने इस्तीफे की कॉपी  सार्वजनिक कर दी।

पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने यहां तक कहा था कि नवजोत सिंह सिद्धू की नजरें उनकी मुख्‍यमंत्री की कुर्सी पर हैं।लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन का ठीकरा कैप्टन  अमरेंदर  सिंह ने सिद्धू पर ही फोड़ा था। उन्होंने  कहा था कि “भारत में खासकर सर्विसमैन को यह बात बर्दाश्त नहीं है कि भारत का कोई व्यक्ति पाकिस्तानी सेना के जनरल को वहां जाकर गले लगाए।”

अपनी पाकिस्तान यात्रा के दौरान नवजोत सिंह सिद्धू ने पाकिस्तानी सेना के जनरल बाजवा को गले लगाया था। इसके बाद उनकी खूब आलोचना हुई थी। इसके बाद भी उनके रुख में कोई बदलाव नहीं आया था।

लोकसभा चुनाव के दौरान सिद्धू ने अपनी पत्नी के लिए टिकट मांगा था जो उन्हें नहीं मिला। वहीं अमरेंदर  सिंह की पत्नी को लोकसभा चुनाव के लिए टिकट  मिल गया था। इसको लेकर भी सिद्धू में नाराजगी थी।

नवजोत सिंह सिद्धू कैप्टन को सिर्फ पंजाब का ही नेता मानते है जबकि  खुदको पूरे देश का नेता मानते हैं।पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह के मना करने के बावजूद नवजोत सिंह सिद्धू करतारपुर कॉरिडोर की नींव रखने के लिए पाकिस्तान के बुलावे पर वहां गए थे। वहां से लौटने के बाद जब मीडियाकर्मियों ने उनसे इस बाबत सवाल  पूछा तो सिद्धू ने कहा था कि वह कांग्रेस के कैप्टन राहुल गांधी की इजाजत पर पाकिस्तान गए थे।

पंजाब सरकार के मंत्री राणा गुरमीत ने मंत्रिमंडल के सदस्य नवजोत सिंह सिद्धू पर गंभीर आरोप लगाए थे। राणा ने आरोप लगाया था कि सिद्धू जिस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं, उससे संकेत मिल रहे हैं कि वह पंजाब में तख्तापलट करना चाहते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि वह मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को कुर्सी से हटाकर खुद इस पद पर बैठना चाहते थे ।

सिद्धू पर निशाना साधते हुए कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने भी कहा था कि “मेरे और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच तकरार  का कोई भी युद्ध नहीं चल रहा है। अगर वह महत्वाकांक्षी हैं तो ठीक है, लोगों के पास महत्वाकांक्षाएं होती हैं।  मैं सिद्धू को बचपन से जानता हूं। वह पंजाब के मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं और इसके लिए वह मुझे हटाना चाह रहे थे।”

Leave a Comment

Your email address will not be published.

You may also like

MERA DDDD DDD DD