अब क्या करेंगे
तीन राज्यों में मुख्यमंत्रियों का चयन होने के बाद एक सोशल मीडिया पोस्ट बहुत वायरल हुई, जिसमें कहा गया है वसुंधरा, रमन और शिवराज यानी ‘वीआरएस’ को वालेंटरी रिटायरमेंट स्कीम यानी वीआरएस दे दी गई। अब सवाल है कि वसुंधरा, रमन और शिवराज का क्या होगा? उम्र 64 साल है इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि वे अभी रिटायर हो जाएंगे। वसुंधरा और रमन सिंह की उम्र जरूर 70 साल या उससे ऊपर हो गई है। नरेंद्र मोदी और अमित शाह की कमान वाली पार्टी में कम ही पूर्व मुख्यमंत्रियों की पूछ रहती है। थोड़े से लोग इसके अपवाद हैं, जो मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद भी सक्रिय रहे और राजनीति में जगह बनाई, वहीं कुछ ही लोग राज्यपाल बने अन्यथा ज्यादातर लोगों का करियर समाप्त हो गया।
शिवराज सिंह चौहान, वसुंधरा राजे और रमन सिंह तीनों 2018 में चुनाव हारने के बाद पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए गए थे काम लेकिन तीनों के ही पास न के बराबर था। थोड़े दिन के बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरी तो शिवराज फिर मुख्यमंत्री बन गए लेकिन वसुंधरा और रमन के पास पूरे पांच साल कोई काम नहीं रहा। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि उनको कोई काम मिलेगा। शिवराज सिंह चौहान ओबीसी हैं, रिटायर होने की उम्र में नहीं पहुंचे हैं और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के करीब हैं तो संभव है कि उनके लिए कोई भूमिका बन जाए। वे केंद्र में मंत्री बन सकते हैं या यहां तक कहा जा रहा है कि वे अगले साल जेपी नड्डा का कार्यकाल खत्म होने के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बन सकते हैं।
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि पिछले 10 साल में भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्रियों को देखें तो खुद ब खुद समझ में आ जाएगा कि सीएम पद से हटने के बाद उनकी क्या स्थिति रहती है। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद गुजरात की मुख्यमंत्री बनीं आनंदी बेन पटेल को राज्यपाल बनाया गया था लेकिन उनके बाद मुख्यमंत्री बने विजय रूपानी पिछले दो साल से अपने लिए काम तलाश रहे हैं। वे अब विधायक भी नहीं हैं। इसी तरह उत्तराखण्ड में भाजपा के तीन पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत।
राजनीतिक रेगिस्तान में भटक रहे हैं। झारखंड के एक पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा केंद्र में मंत्री हैं और दूसरे पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को ओडिशा का राज्यपाल बना दिया गया है। तीसरे पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी पार्टी छोड़ कर चले गए थे लेकिन 2019 के चुनाव के बाद उनको वापस पार्टी में लाया गया है और वे अभी प्रदेश अध्यक्ष हैं। असम के मुख्यमंत्री रहे सर्बानंद सोनोवाल को केंद्र सरकार में जगह मिल गई और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उप मुख्यमंत्री बन कर किसी तरह से अपने को प्रासंगिक बनाए रखने की
जद्दोजहद में हैं।