कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा एक बार फिर पार्टी से खफा बताए जा रहे हैं। भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के चलते भाजपा को एक बार छोड़ चुके येदियुरप्पा को पार्टी आलाकमान ने ना केवल वापस लिया, बल्कि कर्नाटक का चुनाव उनके चेहरे को आगे कर लड़ा। समीकरण लेकिन उनके पक्ष में ठीक से बैठ नहीं पाए। सरकार बनी, लेकिन चार दिन में बैठ भी गई। येदियुरप्पा अब चाहते हैं कि जद (एस) और कांग्रेस विधान दल में बड़ी तोड़-फोड़ कर उन्हें सरकार बनाने की हरी झण्डी आलाकमान दे डाले। पार्टी का लेकिन मानना है कि लोकसभा चुनावों से ठीक पहले ऐसा करना पार्टी की छवि को प्रभावित करने का काम करेगा। वर्तमान में कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों में से 17 भाजपा के पास हैं। पार्टी आलाकमान को मिल रही सर्वे रिपोर्ट इन सत्रह सीटों की बाबत बेहद निगेटिव है। ऐसे में कोई भी राजनीतिक उठापटक भाजपा को भारी पड़ने का खतरा है। इस बीच राज्य की तीन लोकसभा सीटों पर उपचुनाव भी होने जा रहा है। इनमें से एक शिमोगा सीट से येदियुरप्पा के बेटे प्रत्याशी हैं। कांग्रेस और जद (एस) ने संयुक्त रूप से पूर्व सीएम बीएस बंगरप्पा के बेटे को मैदान में उतार दिया है। जिसके चलते यहां कांटे की टक्कर होनी तय है। जानकारों की मानें तो लोकसभा चुनाव बाद यदि पार्टी येदियुरप्पा के कहे अनुसार काम नहीं करती है तो एक बार फिर वे बागी होने को तैयार बैठे हैं।

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