दो दिन पहले महाराष्ट्र के पशुपालन एवं डेयरी विकास मंत्री महादेव जानकर ने यह घोषणा करके सनसनी फैला दी है कि अभिनेता संजय दत्त उनकी पार्टी राष्ट्रीय समाज पार्टी (आरएसपी ) में शामिल होंगे । इसके चलते एक बार फिर 10 साल बाद संजय दत्त के अभिनेता से नेता बनने की चर्चाए चलने लगी है। हालांकि मंत्री की घोषणा के एक दिन बाद ही संजय दत्त ने इससे इंकार कर दिया है। लेकिन राजनीतिक सूत्र के हवाले से बताया जा रहा है कि वह इस बार महाराष्ट्र के आगामी विधानसभा चुनावों में उतरने के इच्छुक है।
राष्ट्रीय समाज पार्टी के संस्थापक और इस समय कैबिनेट मंत्री की भूमिका में महाराष्ट्र सरकार में शामिल महादेव जानकर ने बाकायदा संजय दत्त की राजनीति में प्रवेश करने की तारीख भी घोषित कर दी और यहा तक कह दिया कि संजय दत्त 25 सिंतबर को उनकी पार्टी का दामन थामेंगे । गौरतलब है कि राष्ट्रीय समाज पार्टी (आरएसपी ) महाराष्ट्र में सत्तारुढ़ भाजपा पार्टी की सहयोगी पार्टी है ।
रविवार को महाराष्ट्र सरकार में मंत्री महादेव पशुपालन एवं डेयरी विकास मंत्री महादेव जानकर ने पार्टी के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हमने अपनी पार्टी के विस्तार के लिए फिल्म क्षेत्र में काम करना शुरु कर दिया है । इसी के तहत अभिनेता संजय दत्त 25 सितंबर को राष्ट्रीय समाज पार्टी में शामिल होने जा रहे हैं ।
बता दें कि संजय दत्त ने भी आरएसपी की वर्षगाठ पर संजय दत्त ने अपना एक वीडियो जारी कर मंत्री जानकर और उनकी पार्टी को बधाई संदेश दिया है ।इससे उनके राजनीति में आने के कयासो को बल मिला था।
हालाकि बताया जा रहा है कि अभिनेता संजय दत्त ने सोमवार को मीडिया को दिए गए एक बयान में कहा कि वह किसी भी पार्टी में शामिल नहीं होने जा रहे हैं । दत्त ने कहा कि श्री जानकर हमारे प्रिय मित्र और भाई हैं, इसके लिए मैं उन्हें भविष्य की योजनाओं को लेकर बधाई देता हूं ।
यहा यह बताना जरुरी है कि संजय ने साल 2009 में राजनीति में भी कदम रखा था । तब अमर सिंह के सानिध्य में संजू बाबा ने समाजवादी पार्टी का दामन थामा था। जबकि संजय के पिता सुनील दत्त मां नरगिस दत्त और बहन प्रिया दत्त सभी कांग्रेस के पुराने साथी रहे हैं । लेकिन संजय ने इन बातों की परवाह किए बगैर मुलायम सिंह की समाजवादी पार्टी से लखनऊ सीट से चुनाव लड़ने तक का एलान कर दिया था।
संजय दत्त उन दिनों पूरी तरह से राजनेता की भाषा बोलने लगे थे । रैलियों में खुद को किसी खास वर्ग से जोड़कर भाषण देते थे ।इतना ही नहीं बल्कि टाडा और पोटा के खिलाफ भी खुलकर बोलते थे ।
संजय दत्त खुद के साथ हुए पुलिसिया ज्यादतियों को चुनावी रैलियों में वह जनता को बताते थे ।हालांकि किस्मत को तब उनका अभिनेता से नेता बनना शायद मंज़ूर नहीं था । तब संजय चुनावी मैदान में नहीं उतरें सके थे। कहा गया कि जब उनका चुनावी पर्चा सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था।